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*नगर के दो युवा रत्न रौनक बोरा एवं आदि बोरा ने किया 30 दिन उपवास व्रत पूर्ण कर मास खम्मन पूरा होने पर दोनों तपस्वीयों का हुआ अभिनन्दन*

*देवकर:-* नगर देवकर में जहां आचार्य श्री1008 राम लाल जी म, सा, जी के आज्ञानुवर्तीय शासन दीपक श्री हेमन्त मुनि जी म, सा, एवं सौरभ मुनि जी म, सा, जी का चार माह का चातुर्मास प्राप्त हुआ है नगर में चातुर्मास के प्रथम दिन से ही नगर के जैन समाज के द्वारा तप तपस्या त्याग धर्म अराधना जोरदार तरीके से आरंभ किया गया और यह रफ्तार सुचारू रूप से चल रही है।वही उपवास की इस कड़ी में रौनक बोरा ने बुधवार 10अगस्त 30दिनो की उपवास मास खम्मन पुरा कर पारणा किया, वहीं आदि बोरा ने आगे बढ़ते हुए 32 दिनों का पच्चखान गुरु महाराज से लिया, तथा श्री मति संजना बड़ेर ने 15 दिनों की उपवास व्रत पूर्ण कर पारणा की , आगे तपस्या करने वालों में जो गतिमान है श्री मति प्रतिभा बोरा 08 प्रियांशु बोरा 04,प्रखर बोरा 04, श्री मति किरन रीढ़04,ने तपस्या की पच्चखान लिए।

*इसी प्रकार ईकासन तप में लीलाधर सिंधवी एवं विमला बाई बोरा जी लगातार गतिमान रुप से बढ़ते जा रहे हैं और आंयबिल की लड़ी भी लगातार गतिमान है जैन भवन हाल में रोजाना की तरह धार्मिक क्रियाएं चल रही है प्रवचन के समय उपस्थित जन समुदाय को सम्बोधित करते हुए श्री हेमन्त मुनि जी म, सा, एवं सौरभ मुनि जी म, सा, ने कहा कि कर्मों से मुक्ति होना चाहते हो पर कर्म बन्ध बन्द नहीं करना चाहते हैं तो कहां से मुक्ति मिलेगी,जो तुम्हें पसंद नहीं है वैसा काम, व्यवहार दुसरे के प्रति भी मत करो आदमी को व्रत धारी बनना चाहिए जिससे अन्ता करण समता का भाव उजागर हो वह धर्म कहलाता है। सन्तों ने कहा कि इस संसार में सबसे दुर्लभ चीज है, आर्य क्षेत्र की प्राप्ति, उसके बाद मनुष्य जन्म की प्राप्ति मिलना, उसके बाद उत्तम कुल की प्राप्ति,और पचेन्द्विय की सुलभता,और निरोगता, उसके बाद भी धर्म अराधना तप तपस्या त्याग धर्म नहीं किया तो यह मनुष्य जन्म बेकार हो जायेगा,जो व्यक्ति जिण शासन की रक्षा कर लिया वह जन्म जन्म तक तर जायेगा, विद्बवान दो प्रकार के होते है 1आंतरिक जगत,2 बाहरी जगत,विद्धवान हमेशा नर्म रहता है अंहकारी नही, असत्य को छोड़कर सत्य को धारण करने वाले ही विद्धवान बन सकता है,वाद विद्बवान बढ़ाता है,विवाद मुर्ख बढ़ाता है।।

*धर्म जोड़ता है या तोड़ता है –उत्तर धर्म तोड़ता है, धर्म अशुभ कर्मों को तोड़ता है , चारित्र पांच प्रकार के होते है ज्ञान, दर्शन, चारित्र,मोक्ष,और ज्ञान, चारित्र का मतलब -त्यागना अहिंसा,परिग्रह,भौतिक सुख सुविधा को छोड़ना चारित्र हैं। वही इन दिनों नगर के गांधी चौक स्थित जैन भवन में रोजाना सुबह से, शाम,रात तक सभी कार्यक्रमों का संचालन सफलतापूर्वक संपन्न हो रहा है।

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