*शिक्षा सचिव के पास बेमेतरा डीईओ की शिकायत, सेवानिवृत्त शिक्षक नारद सिंह ने अपात्र लोगो को अब तक 864000 रु निर्वहन गुजारा भत्ता दिए जाने का उठाया मामला*

*बेमेतरा:-* अंततः सेवा निवृत्त शिक्षक नारद सिंह राजपूत ने खेल ही दिया मास्टर स्ट्रोक इस बार पूर्व डीईओ मधुलिका तिवारी और वर्तमान डीईओ अरविंद मिश्रा की ऐसी घेराबंदी किए जहां से दोनो शिक्षा अधिकारियों का इस बार निकल पाना संभव ही नही क्योकि शिक्षा सचिव के पास किए शिकायत में सारी बातें दस्तावेजी प्रमाणित है हरिभूमि कार्यालय ब्यूरो चीफ के पास उपलब्ध दस्तावेज में प्रथम दृष्टया दोनो डीईओ दोषी प्रतीत हो रहे हैं समाचार लिखे जाने तक आठ लाख चौसठ हजार का वित्तीत अनियमितता हो चुका है अब तो जांच मे ही तस्वीर साफ होगी इस वीत्तीय अनियमितता के लिए जिम्मेदार कौन हालांकि सेवा निवृत्त शिक्षक नारद सिंह राजपूत ने शिक्षा साचीव को लिखे पत्र में विभागीय अनुशासनात्मक कार्यवाही सहित संबंधित थाने में दोनो डीईओ के विरुद्ध एफआईआर कराने की मांग किए है
*आखिर क्या है मामला*
तीन वर्ष पूर्व नारद सिंह राजपूत ने डीईओ बेमेतरा के पास भोला तिवारी एवं उपासना पांडे नामक शिक्षकों की शिकायत किए थे कि उक्त दोनों शिक्षकों की प्रथम नियुक्ति आदेश ट्रांसफर आदेश एल पी सी और सर्विस बुक फर्जी और कूटरचित है गत 10 वर्षों से उक्त शिक्षक अवैध तरीके से नौकरी कर रहे है लंबी जद्दोजहद के बाद डीईओ कार्यालय बेमेतरा ने अंततः विभागीय जांच उपरांत नारद सिंह राजपूत की शिकायत को सही पाया और सीईओ/बीइओ जनपद पंचायत पाली के द्वारा डीईओ बेमेतरा को सौंपे प्रतिवेदन जिसमे उक्त अधिकारियों ने स्पष्ट रूप से लिखा है कि भोला तिवारी और उपासना पांडे का नियुक्ति और ट्रांसफर आदेश कार्यालय जनपद पंचायत पाली द्वारा जारी नही किया गया है साथ ही बीइओ पाली ने भी अपने प्रतिवेदन में स्पष्ट रूप से लिखा है कि न तो उक्त शिक्षकों को किसी ऑफिस या स्कूल में कार्यग्रहण कराया गया और न ही एल पी सी जारी किया गया और तो और सर्विसबुक में भी जो हस्ताक्षर हुए है न तो किसी बीइओ के हस्ताक्षर है और न सीईओ के हस्ताक्षर है इन्ही दस्तावेजों के आधार पर विभागीय जांच में दोषी पाए जाने पर भोला तिवारी और उपासना पांडे के विरुध्द। डीईओ बेमेतरा ने साजा के तत्कालीन बीइओ डॉ नीलिमा गडकरी को साजा थाना में एफआईआर दर्ज कराने निर्देश जारी किए थे जिस पर तत्कालीन बीइओ डॉ नीलिमा गडकरी ने एफआईआर दर्ज कराई थी
*डीईओ बेमेतरा कार्यालय बना फर्जीयो के लिए वरदानी कार्यालय*
गत दिनों जिस प्रकार ब्याख्याता रविन्द्र यादव को संचालक संचालनालय रायपुर ने नारद सिंह के शिकायत पर सीधे बर्खास्त किया 13 वर्ष पूर्व रविन्द्र यादव को संचालक ने विभागीय जांच में दोषी पाया और एफआईआर का आदेश जारी हुवा उसे डीईओ बेमेतरा 13 वर्षो तक नौकरी कराता रहा हद तो तब और हो गई जब ब्याख्याता रविन्द्र यादव को प्रथमश्रेणी दंडाधिकारी न्यायालय साजा ने तीन वर्ष का कारावास आठ हजार का आर्थिक दण्ड की सजा सुना दिया उसके बाद भी डीईओ अरविंद मिश्रा द्वारा खेला कर दो माह तक नौकरी में बरकरार रखकर वेतन देता रहा ऐसे ही जिले में सैकड़ो फर्जी शिक्षाकर्मी जो संविलयन के बाद सहा शिक्षक एल बी बन चुके है कइयों की शिकायत डीईओ कार्यालय में धूल खाते पड़ी है जांच एक इंच आगे नही बढ़ी है जांच के नाम पर बस चिट्ठी चिट्ठी का खेल हो रहा है और कुछ नही जिसके चलते तमाम फर्जी शिक्षकों को डीईओ कार्यालय द्वारा वरदानी अभयदान मिला हुवा है और बेखौफ होकर नौकरी कर रहे है
*शिकायत शाखा के वरिष्ठ लिपिक की भूमिका है संदिग्ध*
जिस प्रकार भोला तिवारी और उपासना पांडे को अपात्र होने। के बाद भी निलंबन निर्वहन गुजारा भत्ता दिया जा रहा है और अब तक 864000 रु शासन को आर्थिक नुकसान पहुचा चुका है इस संबंध में नारद सिंह राजपूत ने जून 2022 में थाना प्रभारी साजा के पास उक्त शिक्षकों को मिल रहे निर्वहन गुजारा भत्ता पर रोक लगाने और दोषी डीईओ मधुलिका तिवारी के विरुद एफआईआर दर्ज कराने आवेदन दिया था जिस पर कलेक्टर बेमेतरा ने 04 जुलाई 2022 को डीईओ को नियमानुसार कार्यवाही कर कार्यालय कलेक्टर बेमेतरा और शिकायत कर्ता नारद सिंह को कृत कार्यवाही की सूचना देने पत्र लिखे है उस पर कार्यवाही के बजाय बीइओ बेरला को निर्वहन गुजारा भत्ता देने का एक नया पत्र जारी कर दिए डीईओ का यह कृत्य कलेक्टर के पत्र की अवमानना है जब डीईओ कार्यालय यह बात भलीभांति जान रहा है कि भोला तिवारी औऱ उपासना पांडे शासकीय कर्मचारी नही है फिर भी डीईओ उक्त शिक्षकों को शासकीय कर्मचारी की तरह निर्वहन गुजारा भत्ता क्यो दे रहा है नारद सिंह ने जब डीईओ कार्यालय के वरिष्ठ लिपिक दीक्षित से चर्चा किया तो कोर्ट के आदेश का हवाला देता है कि कोर्ट के निर्देश पर उक्त शिक्षकों को निर्वहन गुजारा भत्ता दिया जा रहा है उक्त लिपिक द्वारा बर्खास्त ब्याख्याता रविन्द्र यादव के बारे में ऐसे ही कोर्ट के हवाला का कुतर्क प्रस्तुत कर रहा था जो आगे चलकर झूठा साबित हुआ और अंततः संचसलक ने ब्याख्याता रविन्द्र यादव को बर्खास्त किया इस मामले में भी डीईओ को प्रश्न किया जाता है तो लिपिक दीक्षित को सामने कर उनके कुतर्क से शिकायत कर्ता नारद सिंह राजपूत को संतुष्ट करने का प्रयास किया जाता है जिस शिक्षक की नियुक्ति ही नही हुई है उसको निलंबन और बर्खास्तगी की आवश्यकता ही नही,अब उक्त शिक्षकों काशासकीय कर्मचारी कैसे माना ये तो अब जांच में ही खुलासा होगा बहरहाल गुजारा भत्ता दिए जाने और शिकायत के बाद भी उस पर रोक न लगना कार्यालय के वरिष्ठ लिपिक दीक्षित की भूमिका पर सवालिया निशान खड़ा कर रहा है विभागीय सूत्रों के हवाले से प्राप्त खबर के अनुसार हाई स्कूल थान खम्हरिया और बीइओ ऑफिस बेरला में बर्खास्त ब्याख्याता रविन्द्र यादव को वेतन देने और बेरला बीइओ ऑफिस में भोला तिवारी और उपासना पांडे को निर्वहन गुजारा भत्ता दिए जाने मोबाइल से लिपिक दीक्षित द्वारा दबाव बनाने प्रयास किया जाता रहा है
*डॉ नीलिमा गडकरी को एफआईआर कराना पड़ा महंगा*
जिस प्रकार तत्कालीन बीइओ डॉ नीलिमा गडकरी ने त्वरित कार्यवाही करते हुए 06 लोगो के विरुध्द साजा थाने में एफआईआर दर्ज कराई और अपने विकासखंड में कार्यरत फर्जी शिक्षकों के विरुध्द उच्च कार्यलयों को पत्र लिखती रही उससे फर्जीयो और उनके सरंक्षक में दहशत पैदा हो गया था एफआईआर कराने के बाद एक फर्जी शिक्षाकर्मियों का सरगना जो साजा विकासखंड में सहा शिक्षक एल बी के पद में कार्यरत है बीइओ ऑफिस में बीइओ के चेम्बर में खुले आम बीइओ डॉ नीलिमा गडकरी को धमकी दे रहा था कि आप एफआईआर क्यो कराए ऐसे आदेश बहुत आता जाता रहता है आप अपनी अभियान बंद नही करोगे तो इस पद से बहुत जल्दी हटने वाली हो और हुवा भी वही डीईओ कार्यालय बेमेतरा ने एक साजिश के तहत बीइओ को निलंबन करा दिए धमकी देने वाले सरगना ने ठीक ही कहा था रविन्द्र यादव मामले में संचालक ने एफआईआर कराने जो निर्देश दिया था अमल होने में 07 वर्ष लगा उसी प्रकार 11 फर्जी शिक्षाकर्मियों के विरुध्दएफआईआर दर्ज कराने तत्कालीन कलेक्टर बेमेतरा कार्तिकेय गोयल के निर्देश पर भी देखा गया पूरा जनपद खाली हो गया था कोई अधिकारी अपने सीट पर नही बैठे थे दूसरे दिन कलेक्टर ने दल भेजकर एफआईआर कराने का प्रयास किया अंततः एक पंचायत साचीव टीकम वर्मा के द्वारा एफआईआर कराया गया ऐसी स्थित में फर्जीयो पर कैसे कार्यवाही होगी जब ब्लॉक से लेकर जिला तक अधिकारी कर्मचारी सरंक्षण देने में संलिप्त है।