कितना विशेष है वैज्ञानिकों का खोजा गया नया ब्लैकहोल
इन दिनों ब्रह्माण्ड में किसी नए ब्लैक होल की खोज कोई अनोखी बात नहीं है. लेकिन अगर यह ब्लैक होल दूसरों से हटकर तो जरूर अनोखी बात हो सकती है. ऐसा ही हुआ जब खगोलविदों को मिल्की वे में एक ऐसा ब्लैक होल खोजा जो सुसुप्त (Dormant) Black Hole) है और ऐसा लगता है कि वह किसी मरते हुए तारे के विस्फोट के बिना ही पैदा हुआ था. वैज्ञानिक इस अजीब से ब्लैक होल को “भूसे में सुई” (Needle in the Haystack) कह रहे हैं. वैज्ञानिकों को इस ब्लैकहोल के बारे में धुंधले एक्स रे विकिरण (X Ray quiet) से पता चला है, जबकि आमौतर पर ब्लैक होल के पास से शक्तिशाली और चमकीली एक्स रे विकिरणें निकला करती हैं.धुंधली एक्स रे के इशारे
तेजी से और चमकीली एक्सरे विकिरणों का दिखने से पता चलता है कि ब्लैक होल अपने आसपास का पदार्थ कितनी तेजी से निगल रहा है जिसकी वजह उसके बहुत ही ज्यादा शक्तिशाली गुरुत्वाकर्षण बल के कारण होता है. इसके साथ ही वैज्ञानिकों ने यह पाया कि यह ब्लैक होल सुपरनोवा जैसे तारकीय विस्फोट की वजह से पैदा ही नहीं हो पाया होगा.
कैसे बनते हैं ब्लैक होल
ब्लैक होल के बारे में माना जाता है कि तारे के मरते समय हुए सुपरनोवा विस्फोट के बाद बचे अवशेषों के सिकुड़ने से अतिअसामान्य घनत्व वाले पिंड में बदलने से बनता है. इसका गुरुत्व इतना ज्यादा होता है कि उसके प्रभाव से प्रकाश तक बाहर नहीं छूट पाता और वह उसे भी अंदर खींच लेता है. और उसके आसपास की गतिविधियों के कारण पैदा हुए तीव्र प्रकाश से ही उसकी उपस्थिति का पता चलता है.एक अलग ही ब्लैक होल
लेकिन यह ब्लैक होल अलग है. इसका भार हमारे सूर्य से केवल 9 गुना ज्यादा है. इसके टेरेनटुला नेब्युला इलाके के विशाल मैगेलैनिक बादल गैसेक्सी में खोजा गया है जो पृथ्वी से एक लाख 60 हजार प्रकाशवर्ष दूर स्थिति है. इसके साथ एक बहुत ही चमकीला गर्म नीला तारा भी है जो सूर्य से 25 गुना बड़ा है और दोनों एक दूसरे का चक्कर लगाते हुए एक द्विज तंत्र बना रहे हैं.