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श्रद्धा-भक्ति पूर्वक मनाया जाएगा दिनांक 13 जुलाई,2022 को गुरु पूर्णिमा । गुरु पूर्णिमा का पावन पर्व ऐतिहासिक जगन्नाथ मंदिर ( बड़े मठ ) चांपा में 

*श्रद्धालु भक्तजन बड़े मठ के मठाधीश पंड़ित लाल दास महंत महराजश्री से आशीर्वाद प्राप्त करेंगे ।*

*जगन्नाथ मठ मंदिर, चांपा में छतरीनुमा भवन में चरण पादुकाओं में गोपालदास, बालकदास,रामचरण दास महंत जी की पूजा-अर्चना भी किये जाने की परंपरा जमींदारी काल से चली आ रही हैं ।*

*भगवान जगन्नाथ स्वामी,राम लखन एवं माता सीता सहित संकट मोचन हनुमान जी की विशेष पूजा-अर्चना की जायेगी ।*

कान्हा तिवारी / रवि तंबोली एस एस समाचार के लिए शशिभूषण सोनी ।

गुरु पूर्णिमा का पावन पर्व बड़े ही श्रद्धा भक्ति पूर्वक 13 जुलाई 2022 को गुरु के प्रति श्रद्धा और विश्वास के साथ मनाया जायेगा। इस अवसर पर भगवान् जगन्नाथ स्वामी की विशेष पूजा-अर्चना के साथ चरण पादुका की पूजन विधि विधान से की जायेगी । प्राप्त जानकारी के अनुसा लगभग दो सौ पचास साल पुरानी परंपराओं के तहत इस बार भी श्री जगन्नाथ मठ मंदिर मठ में गुरु पूर्णिमा के अवसर पर प्रातःकाल से ही भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा,राम-लक्ष्मण और सीता, कुष्ण, मां संतोषी देवी एवं संकट मोचन हनुमान जी की विशेष पूजा अर्चना भी की जायेगी। ब्रम्ह मुहूर्त में मंगला श्रृंगार आरती के पश्चात् इस मठ के संस्थापक स्वामी गोपालदास बालकदास रामचरण दास जी महाराज की समाधि स्थल पर विशेष सजावट की गई हैं , यहां विधिवत पूजा-अर्चना के पश्चात् लगभग सतर वर्षों पहले ब्रम्हचारी पंडित लाल दास महंत जी महाराज विराजित हुए थे । मठ-मंदिर के पुजारियों के द्वारा सबसे पहले उनकी पूजा-अर्चना कर आशीर्वाद प्राप्त करेंगे और उसके बाद पादुकाएं रखी गई हैं उसका पूजा-पाठ के बाद भोग लगाकर भंडारा महाप्रसाद लोगों को वितरित किया जायेगा । साहित्यकार शशिभूषण सोनी ने बताया कि कोसा , कांसा एवं कंचन की नगरी , चांपा के मध्य में स्थित जगन्नाथ मठ मंदिर चांपा में गुरु पूर्णिमा का पवित्र पावन दिन की प्रतिक्षा लोगों को रहती हैं । इस दिन श्रद्धालुओं के लिए धार्मिक आस्था और सांस्कृतिक विरासत की याद भी दिलाता हैं । गुरु पूर्णिमा पर्व पर संत-महात्माओं की पुरानी फ़ोटो और उनके कदमों के निशान के लिए छतरिमा नुमा छत तैयार किया गया हैं । छतरी पर दिवंगत हो चुके संत-महात्माओं के चरण पादुकाओं की पवित्रता के साथ लोग दर्शन-पूजन करने के उमड़ पड़ेगें । मठाधीश श्रद्धेय पंडित लाल दास महंतजी सबसे पहले ने विधि-विधान से पूजा-अर्चना करके उनको याद स्मरण करेंगे।देश भर में बढ़ रहे कोरोना संक्रमण को देखते सोशल डिस्टेन्स के नियमों का पालन करते हुए उपस्थित लोगों ने श्रद्धा सुमन अर्पित किया जायेगा । प्रगतिशील स्वर्ण एवं रजत समिति के सचिव शशिभूषण सोनी ने बताया कि ऐतिहासिक जगन्नाथ मंदिर लगभग वर्ष प्राचीन पत्थरों से निर्मित हैं। ऐतिहासिक और सांस्कृतिक विरासत की याद दिलाता है। पत्थरों पर उकेरी गई उत्कृष्ट कलाकृति स्थापत्य कला कौशल का बखान करती हैं । मंदिर प्रागंण के छतरीनुमा भवन में स्वर्गीय गोपाल दास महंत जी , बालकदास, सुकराम दास, रामानुजन दास महंत एवं रामचरण दास महंतजी की स्मृतियां शोभा पा रही हैं। उन्होंने बताया कि ये चरण पादुकाएं प्रतिवर्ष गुरु पूर्णिमा पर स्थल को सजाया संवारा जाता हैं और लोग श्रद्धा भक्ति से पूजा-अर्चना करते हैं । संत-महात्माओं के जीवन चरित्र और उनकी स्मृतियों की ओर देखने का मौका प्रत्येक पर्व पर मिलता हैं । गुरु पूर्णिमा के अवसर पर चांपा जमींदारी की ओर से विशेष आमंत्रण पर प्रतिवर्ष कुंवर भिवेन्द्र बहादुर सिंह देव अपनी अर्द्धांगिनी श्रीमति सविता देवी, कुमारी साहिबा एवं सुपुत्र आर्य वीर सिंह देव के साथ आते हैं और दिवंगत गुरुदेव की चरण पादुकाओं के समक्ष नतमस्तक होते हैं । वर्तमान पूज्यनीय और आदरणीय संत-महात्माओं का श्रीफल ,अंग वस्त्र और स्वेछा निधि भेंटकर स्वागत- सत्कार करते हैं । बड़े मठ मंदिर के मुख्य पुजारी महंत कृष्णधर मिश्रा ने बताया कि मंदिर के प्रांगण में स्थित चरण पादुकाएं बड़े-बड़े साधकों और और संतों की यादें दिलाता हैं । अतीत में यही चरण पादुकाएं कभी इस मन्दिर के प्रांगण में चलती रहती थी और चटचट की ध्वनि से समय के पृष्ठों पर जीवन-काल की गति आज़ भी अंकित हैं । गति ही जीवन हैं , इस बात का अहसास निर्जीव पड़ी , यही पादुकाएं कराती हैं ।

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