भिलाई गोलीकांड के शहीदों को पॉवर हाउस स्टेशन में मजदूरों ने दी श्रद्धांजलि पावर हाउस से एसीसी चौक तक निकली रैली और नियोगी चौक में हुई सभा
भिलाई। भिलाई गोली कांड के तीसवी बरसी पर छत्तीसगढ मुक्तिमोर्चा के बड़ी संख्या में लोगों एवं मजदूरों ने भिलाई पॉवर हाऊस रेलवे स्टेश पहुंचकर वहां शहीदों को अपनी श्रद्धांजलि दी और उसके बाद पॉवर हाउस अंबेडकर चौक से एसीसी चौक यानि शंकरगुहा नियोंग चौक छावनी पहुंचकर सभी मजदूरों ने नियोगी के प्रतिमा पर माल्यार्पण कर उनको भी श्रद्धांजलि दी और वहां एक महती सभा हुई। जिसमें मजदूर नेताओं ने कहा कि आज भी उद्योगपतियों द्वारा पहले से अधिक जमकर मजदूरों का शोषण किया जा रहा है।
इसमें केन्द्र की मोदी सरकार और राज्य सरकार दोनो मजदूरों के हितैषी होने के बजाय उद्योगपतियों का साथ दे रहे है। कोरोना का लाभ उठाते हुए मोदी सरकार ने पिछले दरवाजे से 8 घंटा के बजाय 12 घंटा काम कराने का कानून बना दिया। वहीं श्रमविभाग भी आज मजदूरों के इंसाफ दिलाने के बजाय उद्योगपतियों का रक्षाकवच बना हुआ है। हड़ताल के कानून में 14 दिन के नोटिस के बजाए 60 दिन किया गय। नया ट्रेड यूनियन के पंजीयन रूकावट डालने नियम बहुत कठिन कर दिया गया।
इस दौरान मजदूर नेताओं ने पिछले 30 साल पहले हुए इस गोली कांड को याद करते हुए कहा कि हजारों मज़दूर अपनी जायज मांगो को लेकर बैठे थे उन मांगों को पूरा कराने के बजाय एक जुलाई 1992 के रोज भा.ज.पा. को पट़वा सरकार द्वारा पुलिस के माध्यम से गोली चालन करवाया गया, जिसमें 17 मजदूर शहीद हुये थे, उनका शहीद दिवस छत्तीसगढ़ मुक्ति मोर्चा समन्वय समिति द्वारा इस वर्ष भी आज 30 वीं बरसी मनाने यह कार्यक्रम आयोजित किया गया है।
उन्होंने कहा कि उद्योग पतियों ने नियोगी जो की हत्या के अलावा रेल पटरी में गोली कांड कराकर छत्तीसगढ़ मुक्ति नीचा संगठन को समाप्त करने का सपना देखे थे, वे हत्या तो करा लिये है, किन्तु संगठन को समाप्त नहीं कर पाये इसलिए हमारे लोग आज भी अपनी क्षमतानुसार संघर्ष कर रहे है। उन्होंने यह भी कहा कि सत्ता में बैठी केन्द्र सरकार द्वारा 44 श्रम कानूनों को खत्म कर मात्र 4 श्रम कोड बनाये गये, जो पूरे देश के मजदूरों के खिलाफ है। इस दौरान छमुमों के भीमराव बागड़े, तुलसी देवदास, जे पी नायर, ऐ जी कुरैशी, पूनाराम साहू, बंशीलाल साहू, भगत साहू, भानू रामटेके सहित अन्य लोग उपस्थि थे।