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*नगर देवकर के राम मंदिर से धूमधाम से निकाली गयंभगवान जगन्नाथ की शोभायात्रा, नगर के श्रद्धालु हुए शामिल*

*देवकर :-* नगर देवकर में आज भगवान जगन्नाथ की शोभा यात्रा नगर के प्राचीन मंदिर बांके बिहारी मंदिर से निकाली गई। जिसमे श्री बांके बिहारी धर्मार्थ सेवा समिति के तत्वाधान में गाजे बाजे के साथ निकाली गई रथ यात्रा में भक्तों ने बढ़चढ़ कर हिस्सा लिया रथ यात्रा का जगह जगह स्वागत किया गया। वहीं प्रसाद वितरण किया गया। आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि से भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा निकाली जाती है। गौरतलब हो कि आज एक जुलाई को भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा पूरे प्रदेश व देश भर में निकाली गई। दरअसल ऐसी मान्यताएं हैं कि हिंदू धर्म में चार धामों में एक जगन्नाथ रथ यात्रा में शामिल होने वाले को सबसे ज्यादा सौभाग्यशाली माना जाता है। हिंदू धर्म में मान्यता है कि रथ यात्रा में शामिल होने वाले भक्तों पर भगवान जगन्नाथ की कृपा बरसती है और भक्तों को 100 यज्ञ के बराबर पुण्य फल की प्राप्ति होती हैं। उड़ीसा के पुरी में स्थित जगन्नाथ मंदिर में हर साल आषाढ़ में भव्य जगन्नाथ रथयात्रा निकाली जाती है। हिंदू पंचांग के अनुसार इस साल रथ यात्रा की शुरुआत 01 जुलाई से हुईं। हिंदू मान्यता के अनुसार भगवान विष्णु के अवतार श्री कृष्ण का ही एक रूप जगन्नाथ हैं जगन्नाथ का अर्थ होता है जग का स्वामी। जगन्नाथ रथ यात्रा को हर साल हर्षोल्लास के साथ निकाला जाता है। बताया जाता है कि हिंदू परंपरा के अनुसार भगवान जगन्नाथ, बलभद्र जी और सुभद्रा जी को एक 108 घड़ों के जल से स्नान कराया जाता है। इस स्नान को सहस्त्रधारा स्नान के नाम से जाना जाता है। मान्यता है कि 108 घड़ों के ठंडे जल से स्नान करने के बाद तीनों देवता बीमार हो जाते हैं। ऐसे में वे एकांतवास में चले जाते हैं और उन्हें 15 दिनों तक एकांतवास में रखा जाता है। इस वजह से रथ यात्रा के 15 दिन पहले मंदिर के कपाट बंद कर दिए जाते हैं, ताकि तीनों देवी देवता आराम कर सके। 15 दिन बाद ठीक होने के बाद भगवान जगन्नाथ, बड़े भाई बलराम और छोटी बहन सुभद्रा एकांतवास से बाहर आते हैं और भक्तों को दर्शन देते हैं । तब भव्य यात्रा निकाली जाती है । तब उन्होंने कहा प्रभु आप तो त्रिभुवन के स्वामी हो, आप मेरी सेवा कर रहे हो, आप चाहते तो मेरा ये रोग भी तो दूर कर सकते थे, रोग दूर कर देते तो ये सब करना नहीं पड़ता। जगन्नाथजी बोले मुझसे अपने भक्त की पीड़ा नहीं देखी जाती इसलिए सेवा कर रहा हूं, जो प्रारब्ध होता है उसे भोगना ही पड़ता है, लेकिन अब तुम्हारे प्रारब्द्ध में जो 15 दिन का रोग और बचा है,उसे मैं स्वंय ले रहा हूं। यही कारण है कि आज भी हर साल भगवान 15 दिनों के लिये बीमार पड़ते हैं।

चूंकि इस पावन अवसर पर आज देवकर सहित आसपास के ग्रामीण इलाको में बड़ी धूमधाम के साथ भव्य रथ एवं शोभायात्रा निकाली गई। जिसमें देवकर में प्राचीन राम मंदिर में सैकड़ो की तादाद में भक्तगणों के बीच भगवान जगन्नाथ रथ पर सवार होकर नगर भ्रमण कराया गया। फलस्वरूप बड़े ही हर्षोल्लास के साथ इस पावन पर्व नगरवासियों द्वारा मनाया गया।

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