डिमांड नहीं इसलिए घाटे मे स्टील फैक्ट्रियां, 35 में 20 प्लांट्स बंद
सबका संदेस न्यूज़ छत्तीसगढ़ रायगढ़- इंफ्रास्ट्रक्चर के काम कम या बंद होने के कारण लोहे का बाजार मंदी की मार झेल रहा है। इसका असर जिले के उद्योगों पर पड़ रहा है। पूंजीपथरा इंडस्ट्रियल पार्क में स्थापित 35 में 20 से ज्यादा उद्योग बंद हो चुके हैं। जितनी ईकाइयों चल रही हैं वे नुकसान में उत्पादन कर रही हैं। इसका असर औद्योगिक जिले की अर्थव्यवस्था और रोजगार पर पड़ रहा है। इंडस्ट्रियल हब कहा जाने वाला जिला पिछले कुछ सालों से लगातार बदहाली झेल रहा है। कई उद्योग बंद हुए हैं।
उत्पादन के लिए बाहर से महंगे रेट पर खरीद रहे हैं कच्चा माल
- उद्योग संगठन से जुड़े लोगों कहना हैं कि उद्योगों को आयरन ओर, कोयला समेत जैसे रॉ मेटेरियल्स ओडिशा और दूसरे राज्यों से मंगाने पड़ते हैं। इससे प्रोडक्शन कॉस्ट तो ज्यादा है ही, उत्पादन के बाद उठाव नहीं होने से नुकसान हो रहा है। राज्य सरकार दो माह बाद नवंबर में उद्योगों के लिए नई नीति ला रही है, जिसमें उद्योगपतियों से सुझाव मांगे जा रहे हैं। उद्योगपतियों का कहना है कि नीति से कुछ मदद मिली तो हालात सुधर सकते हैं।
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प्रोडक्शन कॉस्ट ज्यादा, इतने उद्योग बंद हो गए
जिंदल इंडस्ट्रियल एरिया में सूर्योदय इस्पात, बालाजी इस्पात, एआर इस्पात, जय हनुमान इस्पात, नर्मदा इस्पात, मां बंजारी, जियोन स्टील जैसे करीब 10 उद्योग बंद हो चुके थे। पिछले हफ्तेभर में बालाजी इंडक्शन, हर्ष विनिमय, जीवन स्टील, राधे गोविंद स्टील, रजत इस्पात जैसे प्लांट बंद हो चुके है । इंडस्ट्रियल एरिया के कुछ प्लांट्स में तीन यूनिट में से सिर्फ एक यूनिट ही चल रही है।
- उद्योगपति संजय अग्रवाल के अनुसार सरकार को स्पेशल पैकेज की घोषणा स्टील इंडस्ट्री के लिए करनी होगी, नहीं तो इसकी दशा और खराब हो जाएगी। स्टील से जुड़े सामान की डिमांड काफी कम होती जा रही है, इसका प्रमुख वजह सरकार और प्राईवेट सेक्टर में कोई भी निवेश नहीं आ रहा है। इंपोर्ट ड्यूटी कम है जिस वजह से चाइना का माल इंडिया आ रहा है, इंपोर्ट ड्यूटी को बढ़ाना जरूरी है।
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एक टन में डेढ़ हजार का नुकसान
उद्योग और उनका असर
- जिले में स्पंज आयरन फैक्ट्री- 20
- जिले में संचालित स्टील फैक्ट्री- 35
उद्योगों के मजदूर, माल की ट्रेडिंग करने वाले, ट्रांसपोर्टिंग करने वाले, उद्योगों से अप्रत्यक्ष रूप से आय अर्जित करने वालों की संख्या लगभग 50 हजार है। इन्हें मिलने वाली तनख्वाह या आय के पैसों से शहर के बाजार में रौनक रहती है। शिक्षा, स्वास्थ्य के साथ मनोरंजन पर खर्च बढ़ता है लेकिन मंदी और बेरोजगारी के कारण व्यापारी भी कई दिनों से निराश हैं।
- नुकसान क्यों यह समझें
- एक टन स्पंज आयरन 16500 रुपए
- पिग आयरन 24500 रुपए प्रति टन
इंडस्ट्रियलिस्ट अरविंद शर्मा बताते हैं कि एक टन लोहा बनाने में स्पंज और पिग आयरन के अलावा बिजली और लेबर चार्ज मिलाकर लगभग 27 हजार 500 रुपए खर्च होता है। बाजार में अभी लोहे की कीमत 26 हजार रुपए प्रति टन है। ऐसे में लोहा बनाने वाली कंपनियों को एक टन पर लगभग 1500 रुपए का नुकसान है, कई लोग मजबूरी में प्लांट चला रहे हैं।
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लोहे से जुड़े प्रोडक्ट बिकना काफी कम हो गया है
अभी रॉ मेटेरियल राउरकेला और झारसुगड़ा से मंगाना पड़ रहा है। पड़ रहा है। इसे मंगवाने में भी काफी अधिक खर्च करना पड़ रहा है। लोहे का जितना उत्पादन है, उतना उठाव नहीं है, लागत भी नहीं निकल रही है। 10 छोटे और मझले उद्योग बंद हो चुके हैं । राज्य और केन्द्र सरकार के कोई भी इन्फ्रास्ट्रक्चर के प्रोजेक्ट नहीं आ रहे हैं । हर जगह पर कंस्ट्रक्शन के काम बंद होते जा रहे हैं। कंस्ट्रक्शन से जुड़े काम बंद होने से लोहे से जुड़े प्रोडक्ट बिकना काफी कम हो गया है।
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