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विक्रमादित्य युगीन वृहत्तर भारत विचार समागम

*विक्रमादित्य युगीन वृहत्तर भारत विचार समागम*

का आयोजन दिनांक
19 से 21 जून 2022 उज्जैन म.प्र. में

*महाराजा विक्रमादित्य शोधपीठ उज्जैन ,*
*इतिहास संकलन योजना नई दिल्ली एवं मालवा प्रान्त ईकाई ,*
*विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन ,*
*मध्यप्रदेश विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद भोपाल के सहयोग से आयोजित।* किया गया था। जिसमे प्रथम दिवस उदघाटन सत्र में

परामर्श समिति – ( मंचस्थ अतिथि गण )
*डॉ बालमुकुंद पाण्डेय* राष्ट्रीय संगठन मंत्री अखिल भारतीय इतिहास संकलन योजना नई दिल्ली

*श्री शिवशेखर शुक्ल* प्रमुख सचिव संस्कृति विभाग मध्यप्रदेश
*श्री अल्केश चतुर्वेदी* कुलसचिव साँची बौद्ध भारतीय ज्ञान अध्ययन विश्विद्यालय साँची
*प्रो. अखिलेश कुमार पाण्डेय* कुलपति विक्रम विश्विद्यालय उज्जैन
*डॉ तेजसिंह सैंथव* अध्यक्ष अखिल भारतीय इतिहास संकलन समिति मालवा प्रान्त,
*डॉ प्रशांत पुराणिक* कुलसचिव विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन ,
*डॉ हर्षवर्धन सिंह तोमर* क्षेत्रीय संगठन सचिव अखिल भारतीय इतिहास संकलन योजना नई दिल्ली
तथा
*16 राज्यों से आये हुए इतिहास कार , साहित्यकार ,पुरातत्वविद , शोधार्थी गणों का वृहद समागम*

हुआ। उपरोक्त सत्र में सम्राट विक्रमादित्य के विषय मे
पंचांग में , सिक्को में , इतिहास मे , साहित्य में , खुदाई में , पुरातत्व में ,
कथाओं के रूप में , दंत कथाओं में , लोक गाथाओं में , हमारे दादी नानी के बताये कहानियों में , किवदंतियों में आदि आदि में सम्राट विक्रमादित्य के प्रत्यक्ष विद्यमान होने के अनगिनत प्रमाण उपलब्ध किये गये ।

*द्बितीय दिवस के सत्र में विभिन्न राज्यों से आये हुए इतिहास कार, साहित्यकार ,पुरातत्वविद , शोधार्थी गणों के अलावा नॉर्वे , कनाडा , मॉरीसस , अमेरिका ,स्वीडन , डेनमार्क
आदि अंतरराष्ट्रीय स्तर के वक्ताओं ने भी हिस्सा लिया।

*द्वितीय दिवस के प्रथम सत्र के मंचस्थ अतिथियों में प्रमुख रूप से*

श्री नितेश कुमार मिश्रा
सहायक प्राध्यापक
प्राचीन भारतीय संस्कृति एवम पुरातत्व
प. रविशंकर शुक्ल यूनिवर्सिटी रायपुर छत्तीसगढ़

अध्यक्ष , भारतीय इतिहास संकलन समिति छत्तीसगढ़ प्रान्त,

डॉ आनन्द मूर्ति मिश्र
विभागाध्यक्ष मानव विज्ञान
बस्तर विश्वविद्यालय जगदलपुर,

डॉ संध्या शर्मा ,
सदस्य भारतीय इतिहास संकलन समिति

ज्योतिष एवम वास्तु सलाहकार
पण्डित मनोज शुक्ला महामाया मन्दिर रायपुर

तथा

ढाल सिंह देवांगन व कु. भाग्य श्री दीवान
शोधार्थी प्राचीन भारतीय संस्कृति एवम पुरातत्व

ने नॉर्वे तथा कनाडा के वक्ताओं के बाद अपना अपना शोध पत्र से सम्बंधित वक्तव्य दिया।

छत्तीसगढ़ से गये उपरोक्त वक्ताओं के अध्यक्षीय भाषण में नितेश मिश्रा जी ने छत्तीसगढ़ से प्राप्त लौह अयस्क से बने शस्त्रों आदि का सम्राट विक्रमादित्य से सम्बन्ध होने का प्रमाण बताया।

डॉ संध्या शर्मा ने छत्तीसगढ़ के लोक परम्परा में महराज विक्रमादित्य व भर्तृहरि के जीवंत प्रमाण को प्रस्तुत किया।

पण्डित मनोज शुक्ला ने अपने शोध विषय मे
*पुराणों व इतिहासों में सम्राट विक्रमादित्य*

जिसमें संवत प्रचलन के आरम्भ तथा डोंगरगढ़ की माँ बम्लेश्वरी देवी की स्थापना का सम्राट विक्रमादित्य से सम्बंधित ऐतिहासिक प्रमाण को प्रस्तुत किया।

तीसरे व समापन सत्र का आयोजन उज्जैन से लगभग 50 किमी दूर
विश्व विख्यात कालगणना स्थल डोंगला में किया गया था।
डोंगला को पूरे पृथ्वी का मध्य स्थल होने की खोज सन 1986 में
डॉ वाकणकर ने किया था। तथा वर्तमान में इस कालगणना केंद की
देख रेख वैज्ञानिक डॉ घनश्याम रत्नानी सहित शोध संस्थान समिति द्वारा किया जा रहा है। जहां
12 मीटर की ऊँचाई पर बना
20 इंच का टेलिस्कोप लगा है।

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