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कोयला खनन: घटबर्रा ने निवासियों ने सरपंच के खिलाफ मोर्चा खोला; शीघ्र खनन आरंभ करने के लिए कलेक्टर से आवेदन किया

 छत्तीसगढ़:* सरगुजा में कोल् माइनिंग शुरू करवाने के लिए अपनी मांग तेज़ करते हुए घटबर्रा गांव के निवासियों ने जिला कलेक्टर को पत्र लिख कर हाल में हुए तथाकथिक ग्राम पंचायत को गैरकानूनी बताते हुए प्रार्थना की है की खनन के लिए भू-अर्जन की प्रक्रिया को जल्द पूरा किया जाये। 13 जून को लिखे गए पत्र में अपने ही सरपंच के खिलाफ मोर्चा खोल घटबर्रा के निवासियों ने साफ़-साफ़ कहा है की लंबित प्रक्रियाओं को जल्द पूरा किया जाये ताकि उन्हें समय से रोजगार और मुआवज़ा मिल सके।

"महोदय हम आपको सूचित करना चाहते हैं की दिनांक 08.06.2022 को आयोजित ग्रामसभा आपके कार्यालयी आदेश दिनांक 07 06.2022 के स्थगन आदेश की विपरीत है, जिसमे भू-अर्जन अधिकारी उपस्थित नहीं थे। इस कारण से दिनांक 08.06.2022 को ग्रामसभा का आयोजन कर परियोजना का विरोध करने के प्रस्ताव पर गुपचुप तरीके से कुछ सदस्यों का हस्ताक्षर लिया गया है, जो की पूरी तरह नियम विरुद्ध एवं गलत है। अतः अनुरोध है की भू-अर्जन प्रक्रिया को आगे बढ़ाते हुए हमें जल्द मुआवज़ा एवं रोजगार दिलाने की कृपा करे," ग्रामीणों ने चिट्ठी में कहा। पत्र के साथ-साथ करीब 100 से अधिक ग्रामीणों ने अपने हस्ताक्षर भी संलग्न किये हैं।
उल्लेखनीय है की 8 जून को घटबर्रा के सरपंच ने एक ग्रामसभा बुलाई थी जिसमे कोयला खनन के विरुद्ध निर्णय लिया गया था। लेकिन नियमों की अनदेखी की वजह से वो सभा अगले दिन से ही विवादों में घिर गयी थी। "दिनांक 08.06.2022 को सरपंच घटबर्रा के द्वारा गलत तरीके से नियम विरुद्ध ग्रामसभा का आयोजन ग्राम पंचायत भवन के जगह गोंड़पारा में किया गया जिसमे विषय वस्तु के सम्बन्ध में किसी भी सदस्य को किसी प्रकार की कोई जानकारी नहीं दी गयी थी और कुछ लोगों को बुलाकर तथा उसके घर जाकर उनका हस्ताक्षर उपस्थित पंजी में लिया गया है," पत्र में ग्रामीणों ने बताया।

उल्लेखनीय है कि छत्तीसगढ़ में भारत सरकार द्वारा अन्य राज्य जैसे गुजरात, महाराष्ट्र, आँध्रप्रदेश, राजस्थान इत्यादि को कोल् ब्लॉक आवंटित किये गए हैं। जिसमें राजस्थान सरकार के 4400 मेगावॉट के ताप विद्युत उत्पादन संयंत्रों के लिए सरगुजा जिले में तीन कोयला ब्लॉक परसा ईस्ट केते बासेन (पीईकेबी), परसा और केते एक्सटेंशन आवंटित किया गया है।

इन तीन में से अभी फिलहाल पीईकेबी में ही कोयला खनन का कार्य चल रहा है। जबकि शेष दो की अनुमति राज्य सरकार के विभिन्न विभागों में पिछले तीन सालों से अटकी हुई थी। इसके चलते परसा कोल ब्लॉक के अनुमोदन की त्वरित प्रक्रिया हेतु महीने भर पहले हजारों ग्रामीणों द्वारा एक आंदोलन भी किया गया था। इसके अलावा राजस्थान के मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत अपने उच्चाधिकारियों के साथ छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल से मिलकर अपने राज्य में चल रही कोयले और बिजली की किल्लत का हल निकालने के लिए भी आये थे। श्री बघेल ने उनको भरोसा दिलाया था की वे राजस्थान को नियमानुसार हर तरह की सहायता प्रदान करेंगे। उसके बाद परसा के स्थानीय लोग को आशा जगी थी की क्षेत्र में खदान खुलने से उन्हें रोजगार मिलना शुरू हो जाएगा।

खनन कार्य के लिए अपनी स्वीकृति देते हुए इन सात गांवों के निवासियों ने पहले अपनी जमीनें सरकार को दे दी थी| नियमानुसार उन्हें मुआवजे की राशि के साथ-साथ परियोजना में नौकरी भी मिलनी थी, किन्तु कार्य शुरू ना हो पाने की वजह से अब उन्हें दोहरी मार पड़ रही है| एक तरफ जीवनयापन के लिए उन्हें मुआवजे की राशि को खर्च करना पड़ रहा है, वहीँ दूसरी तरफ वो आर्थिक विकास के अभाव में उन्हें किसी और प्रकार का रोजगार भी नहीं मिल रहा है|

घटबर्रा के निवासियों द्वारा लिखे गया इस पत्र को परसा के लोगों ने भी समर्थन दिया है। इस से पहले सरगुजा ज़िले के सात गावों ने मिलकर वरिष्ठ कांग्रेस नेता राहुल गाँधी को चिट्ठी लिख कर खनन परियोजना से होने वाले लाभ को बताते हुए प्रार्थना की थी की खनन कार्य जल्द से जल्द शुरू किया जाये| उन्होंने ये भी बताया की कुछ बाहरी लोग और फ़र्ज़ी NGO साथ मिल कर गांव वालों को इस परियोजना के खिलाफ भड़काने का कार्य कर रहे हैं|

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