गुब्बारा छोड़कर दिये पर्यावरण संरक्षण का संदेश सिंचाई हेतु देसी मटके को बनाया ड्रिप इरिगेशन
भिलाई। नगर पालिक निगम भिलाई क्षेत्र अंतर्गत शहरी गौठान कोसानगर में आज विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर महापौर नीरज पाल, निगम आयुक्त प्रकाश सर्वे, अपर आयुक्त अशोक द्विवेदी, महापौर परिषद की सदस्य तथा उद्यान एवं पर्यावरण विभाग की प्रभारी नेहा साहू, स्वास्थ्य विभाग के प्रभारी लक्ष्मीपति राजू, महापौर परिषद के सदस्य एवं सामान्य प्रशासन विभाग के प्रभारी संदीप निरंकारी, गरीबी उपशमन एवं सामाजिक कल्याण विभाग के प्रभारी चंद्रशेखर गवई, वाहन विभाग के प्रभारी लालचंद वर्मा एवं पार्षद रविशंकर कुर्रे ने गुलमोहर, महानीम, कदंब, बादाम, स्टोपीडिया एवं ताबुदियारोजा जैसे किस्मों के पौधे रोपित किए। पौधे रोपित करने के साथ ही इसके सुरक्षा एवं संरक्षण का संकल्प लिया गया। इस दौरान गुब्बारा छोड़कर पर्यावरण संरक्षण तथा अधिक से अधिक पौधे रोपित करने तथा इसे सुरक्षित रखने की अवधारणा के साथ इसका संदेश प्रसारित किया गया।
विश्व पर्यावरण दिवस पर महापौर नीरज पाल ने निगम के अधिकारियों से कहा कि बारिश आते ही रिक्त स्थानों पर पौधे रोपित कर इसे सुरक्षित रखने का प्रयास करें। उन्होंने कहा कि यह एक अच्छा मौका है जब आज हम बारिश से पूर्व वृक्षारोपण की दिशा में आगे बढऩे के लिए तैयार हो जाते हैं और वर्षा ऋतु आते ही वृक्षारोपण कर पाते हैं।
वहीं निगम आयुक्त प्रकाश सर्वे ने कहा कि पौधे लगाने के साथ ही इसकी देखभाल और सुरक्षा की जिम्मेदारी बढ़ जाती है, इस ओर विशेष ध्यान देकर पौधे को जीवित रखने का प्रयास करें। पर्यावरण एवं उद्यान विभाग की प्रभारी नेहा साहू ने सभी को विश्व पर्यावरण दिवस की बधाई देते हुए कहा कि आज के युग में जहां कोविड काल में ऑक्सीजन की जरूरत महसूस हुई थी, इसको देखते हुए भिलाई वासियों को पौधारोपण करने की दिशा में आगे बढऩे की आवश्यकता है।
पौधारोपण के कार्यक्रम में कार्यपालन अभियंता डीके वर्मा, सहायक अभियंता आर एस राजपूत, जनसंपर्क अधिकारी पीसी सार्वा, उप अभियंता गौरव अग्रवाल, सहायक अधिकारी परमेश्वर चंद्राकर, महिला स्व सहायता समूह से सुलोचना धनकर, पूनम साहू एवं रेखा बघेल आदि मौजूद रहे। पौधे को पानी देने के लिए ड्रिप इरिगेशन की पद्धति का उपयोग करते हुए देशी मटके को अपनाया, पौधों को जरूरत के हिसाब से मिलेगा पानी आज रोपित किए गए पौधों को ड्रिप इरिगेशन की देशी मटकी पद्धति के माध्यम से पानी दिया जाएगा।
यदि इस पद्धति को समझें तो यह काफी कारगर पद्धति है जिसे भिलाई निगम अपना रहा है। पौधे रोपित करने के बाद पौधे के बगल में मटका जिसमें छोटा सा छेद कर दिया जाता है उसे स्थापित किया गया है। पौधे में पानी डालने के बजाय मटके में पानी डाला जाता है, छोटे से छेद के माध्यम से पानी बूंद-बूंद करके पौधों की जड़ों को मिलता है। इस पद्धति से 75 प्रतिशत पानी बचाया जा सकता है साथ ही पौधों को जरूरत के मुताबिक पानी मिलता है तथा गर्मी के दिनों में खासकर यह पद्धति पौधों को जीवित रखने के लिए काफी कारगर है। इस टेक्नोलॉजी में यदि पौधों को एक दिन पानी न भी दे तो भी पौधे जीवित रहते हैं। इस टेक्निक से पौधों की बढ़वार भी अच्छी होती है।