हज करना 50 फीसदी हुआ महंगा! यात्रियों को अब देने होंगे इतने लाख रुपये
नई दिल्ली. कोरोना महामारी के दो साल के अंतराल के बाद हज पर जाने वाले भारतीय मुसलमानों को महंगाई का सामना करना पड़ा रहा है. क्योंकि इस वार्षिक मुस्लिम तीर्थयात्रा हज की लागत में 50 फीसदी की बढो़तरी हुई है. बता दें कि भारत की हज समिति (HCI), एक सरकार द्वारा संचालित संस्था है, जो हज यात्रियों के लिए यात्रा की व्यवस्था करती है. डेक्कन हेराल्ड की रिपोर्ट के मुताबिक भारत से इस साल 79,237 मुसलमान हज जा सकते हैं. जबकि साल 2019 में 2 लाख मुस्लिम तीर्थयात्री हज करने गए थे. इस बार सऊदी अरब देशी व विदेशी मिलाकर केवल एक मिलियन यानी कि 10 लाख तीर्थयात्रियों के आने की अनुमति दे रहा है. बता दें कि पिछले दो वर्षों में सऊदी अरब की सरकार ने किसी विदेशी को हज करने की अनुमति नहीं दी थी.
डेक्कन हेराल्ड से बात करते हुए कर्नाटक राज्य हज समिति के अध्यक्ष रउफुद्दीन कचेरीवाले ने कहा कि उनके हाथ बंधे हुए थे, यह सब सऊदी अरब की वजह से है. इस साल भारतीय हज समिति के माध्यम से जाने वाले भारतीय तीर्थयात्रियों को 3,900,500 रुपये का भुगतान करना होगा, जो 2019 में 2,69,700 रुपये था. वहीं निजी ऑपरेटर एक हज यात्री से 6 लाख रुपये तक ले रहे हैं. एक हज वीज़ा की कीमत 1,200 रियाल है. जबकि पहले कीमत 300 रियाल थी. वहीं भारत से वापसी उड़ान टिकट की कीमत 60,000 रुपये के जगह 90,000 रुपये है. इसके अलावा सऊदी अरब 15 फीसदी वैट की शुरुआत की है. होटलों पर 5 फीसदी नगरपालिका टैक्स भी है.
बता दें कि आर्थिक संकट के चलते श्रीलंका के मुसलमानों ने हज यात्रा नहीं करने का फैसला किया है. अरब न्यूज की रिपोर्ट के मुताबिक सऊदी अरब ने साल 2022 के लिए श्रीलंका से 1585 हज तीर्थयात्रियों के कोटा को मंजूरी दी थी. हालांकि राष्ट्रीय हज समिति, श्रीलंका हज टूर ऑपरेटर्स एसोसिएशन व मुस्लिम धार्मिक और सांस्कृतिक मामले के विभाग सहित कई पक्षों द्वारा की गई चर्चा के बाद यह फैसला लिया गया है.
वहीं सऊदी अरब की ओर से जारी एडवाइजरी के अनुसार, इस साल 65 वर्ष से अधिक आयु वाले लोग हज यात्रा पर नहीं जा सकेंगे. उन पर प्रतिबंध का यह फैसला कोरोना महामारी को ध्यान में रखते हुए लिया गया है. सऊदी अरब के विदेश मंत्रालय ने कहा कि, दूसरे देशों से आने वाले लोगों को नेगेटिव कोविड रिपोर्ट पेश करनी होगी और जरूरी नियमों का पालन करना होगा.