छत्तीसगढ़

मासूम के ईलाज के लिए भटक रही विधवा मां ओर स्वास्थ्य सुविधाओं के नाम पर वाहवाही लूट रहा प्रशासन

कोण्डागांव। दो बच्चियों की लाचार विधवा मां बीमार बेटी के ईलाज हेतु दर-दर की ठोकरें खा रही है, इस विधवा की व्यथा यहीं खत्म नहीं होती क्योंकि बुधियारीन बाई नामक उक्त विधवा ने वर्ष 2016 में हुए एक सड़क दुर्घटना में अपने पति के साथ एक बेटी ओर इससे पूर्व में इकलौते पुत्र की बिमारी से हो चुकी मौत को देख चुकी है और इस तरह अपने परिवार में एक के बाद एक तीन मौतें देखकर उसे जो मानसिक आघात पहुंचा, वह वर्तमान में तीन वर्ष बाद भी इस विधवा के चेहरे और हावभाव से नजर आ रहा है।

इस तरह की आकस्मिक विपदाओं से परेषान विधवा महिला को आज पर्यंत न तो विधवा पेंषन और न ही प्रधानमंत्री आवास जैसी सरकारी योजनाओं का लाभ ही मिल सका है। इतनी सारी विपदा झेल चुकी विधवा महिला को वर्तमान में अपनी सिकलिन से पीडित बच्ची के ईलाज हेतु दर-दर की ठोकरें खाते आसानी से देखा जा सकता है।

जिला व तहसील कोण्डागांव और नारायणपुर विधानसभा क्षेत्रांतर्गत आने वाले और जिला मुख्यालय कोण्डागांव से लगभग 21 किमी दुर मर्दापाल मार्ग पर बसे ग्राम गोलावंड निवासी बुधियारीन बाई की गरीबी ने एक बेटी को शिक्षा से वंचित कर दिया तो दूसरी बेटी सिकलिन जैसी गंभीर बिमारी से पीडित है। गरीबी का दंष झेल रही विधवा मां के सामने केवल स्वयं सहित अपनी दोनों बेटियों के पालन पोषण की जिम्मेदारी होती तो संभवतः वह जैसे तैसे इसका निर्वहन कर लेती, जैसे कि ग्रामीण क्षेत्र की अन्य विधवाएं कर लेती है, लेकिन इसका मामला कुछ अलग इसलिए है, क्योंकि बुधियारिन उर्फ कुडीन के पति पंचराम की मौत चार साल पहले एक सड़क दुर्घटना में हो गई थी। पति की मौत के बाद इस महिला पर अपने दोनों बच्चियों को पालने की जिम्मेदारी आ गई। चार साल से महिला सरकारी मदद के लिए भटक रही है पर आज तक कोई मदद नहीं मिल पाई। बुधयारिन बाई कहती है की मदद के नाम पर ग्राम पंचायत गोलावण्ड से एक बोरी चावल और पति तथा बच्ची के क्रियाकर्म हेतु दो हजार रूपये मिले, प्रधान मंत्री आवास से लेकर विधवा/निराश्रित पेशन की मांग सरपंच से कई बार कर चुकी पर आज तक कोई मदद के लिए आगे नहीं आया।

करोड़ों का हॉस्पिटल फिर भी नही हो पा रहा बच्ची का इलाज

बुधयारीन को अपनी सिकलिन बिमारी से पीडित बच्ची के ईलाज हेतु जिला मुख्यालय के अस्पतालों के चक्कर लगाते आसानी से देखा जा सकता है। लगभग सप्ताह भर पूर्व उक्त विधवा मां जिला मुख्यालय में अपनी बिमार बच्ची का ईलाज कराने पहुंची तो कुछ सामाजिक कार्यकर्ताओं व प्रेस प्रतिनिधियों के द्वारा यहां संचालित प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में पदस्थ बीएमओ डाॅ.आर.के सिंह से बिमार बच्ची कु.दिविका का स्वास्थ्य परीक्षण कराया, बिमारी गंभीर तथा खून मात्र 4 ग्राम होने के कारण कु.दिविका को जिला अस्पताल कोण्डागांव में ले जाकर भर्ती कराया गया, जहां बच्ची को दो युनिट खून चढ़ाया गया, फिर अच्छी चिकित्सा के लिए उसे मेकाॅज जगदलपुर के लिए रिफर कर दिया गया, लेकिन गरीबी व मानसिक रुप से परेषान विधवा मां अकेले होने के कारण अपनी बिमार बच्ची को मेकाॅज जगदलपुर नहीं ले जा सकी और बिमार बच्ची को वापस अपने घर गोलावण्ड ले गई। जहां बच्ची का स्वास्थ्य पुनः बिगडा तो विधवा मां, ग्राम के अपने अन्य रिस्तेदारों के साथ बिमार बच्ची को पुनः जिला अस्पताल कोण्डागांव लेकर आई। सूचना मिलने पर इस बार पुनः सामाजिक कार्यकर्ताओं व प्रेस प्रतिनिधियों ने प्रयास किया कि उक्त बिमार बच्ची का अच्छा ईलाज हो, इसी क्रम में यहां पदस्थ डाॅ.सूरज सिंह राठौर व डाॅ.रुद्र कष्यप से आग्रह किया तो उन्होंने बिमार बच्ची का सोनोग्राफी तो ज्ञात हुआ कि सिकलिन के कारण बच्ची की स्थिति नाजूक हो गई है और आॅपरेषन कराने की नौबत आ गई है। यही कारण है कि उसे मेकाॅज जगदलपुर के लिए रिफर किया गया था। प्रेस प्रतिनिधियों ने चिकित्सकों को बिमार बच्ची की मां की विषम परिस्थितियों की जानकारी देकर इसी अस्पताल में ईलाज करने का आग्रह किया गया है। वर्तमान में सिकलिन बिमारी से पिडीत बच्ची जिला अस्पताल में ही भर्ती है और जहां उक्त बच्ची के ईलाज होने की संभावना बेहद कम है।

अब देखने वाली बात यह है कि निती आयोग द्वारा आकांछि जिलों में प्रथम स्थान प्राप्त कोण्डागांव का जिला प्रशासन इस गंभीर रुप से बिमार बच्ची का ईलाज करवा पाता है, या नहीं ?

राजीव गुप्ता

Rajeev kumar Gupta District beuro had Dist- Kondagaon Mobile.. 9425598008

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