सोलह संस्कारों में से एक हैं भारतीय संस्कृति में अन्नप्राशन संस्कार
शुभ-मुहूर्त में नन्ही-सी परी शिवी का सात्विकता और शुद्धता के साथ पौष्टिक आहार दिया गया , दी गई दीघार्यु की कामना
बिलासपुर -परिवार वही स्वर्ग हैं , जहां एक-दूसरे के प्रति साझा संवाद , शिक्षा एवं संस्कार तीनों का संगम हो । संस्कार का सीधा सा भावार्थ हैं कि एक-दूसरे के संबंधों की मर्यादा, पवित्रता से मिलने वाला सामूहिक आनंद की अनुभूति कराये । यह तीनों संस्कार न्यायधानी बिलासपुर नगर में रहने वाले हाईकोर्ट बिलासपुर के सीनियर एडवोकेट अशोक कुमार स्वर्णकार के यहां दिखाई दिया। स्वर्णकार जी की पौत्री एवं डॉक्टर अमित कुमार स्वर्णकार की सुपुत्री सुश्री शिवी के जन्म के पांचवें माह पूर्ण करने पर धार्मिक अनुष्ठान के रुप में अन्नप्राशन संस्कार किया गया । छोटी-सी बच्ची देवी मॉ के रुप में मानी गईं हैं । शुभ मुहूर्त में देवी-देवताओं का पूजन करने के पश्चात् स्वर्णकार परिवार के मुखिया मानेन्द्र एवं डॉक्टर रमेश स्वर्णकार ने बच्चीं को लकड़ी के पाटे पर बैठाकर चंदन, टीका ,गुलाल वैगरह लगाकर , वस्त्र आभूषण पहनाकर स्वागत-सत्कार किया । वैदिक मंत्रोच्चर से स्वर्णकार परिवार के लोगों ने ईश्वर को साक्षी मानकर शुद्ध चांदी के कटोरी और चम्मच से खीर प्रसाद चटाया। चांदी शीतलता प्रदान करती हैं और अत्यंत मुलायम होने के कारण त्वचा को इससे शिशु के शरीर पर कोई नुक्सान नहीं होता इसीलिए चांदी के चम्मच से खीर चटाई जाती हैं। भागवताचार्य पंडित दिनेश कुमार दुबे ने कहा कि गर्भ में रहते हुए बच्ची के पेट में गंदगी प्रवेश कर जाती हैं । अन्नप्राशन में सबसे पहले खीर प्रसाद चटाकर बच्चीं को सात्विकता , शुद्धता और अंतःकरण से पवित्रता प्रदान करती हैं । अन्नप्राशन का उद्देश्य बच्चें को तेजस्वी, बलशाली तथा मेघावी बनाना हैं । इसीलिए चांवल का भात खिलाने का उल्लेख वेद पुराण एवं शास्त्रों में हैं । इसमें दही,मधुरस और गाय का घी सम्मिश्रण करने का भी परामर्श दिया जाता हैं । डॉक्टर अमित और श्रीमति शीला स्वर्णकार अपनी बेटी शिवी को अब तक कैमरें की नजरों से दूर रखते आए हैं किन्तु घर-परिवार और आंगतुक मेहमानों के शामिल होने से खूब सारी तस्वीरें खिची गईं । इस दृश्य को अपने कैमरे में कैद करने के लिए ताली और खिलौने दिखा दिखाकर खूब तस्वीरें ली गई । शशिभूषण सोनी ने कहा कि मनुष्य को पूर्ण रूप से पोषित और पल्लवित करने के लिए शरीर , तन और मस्तिष्क को अन्न और जल की आवश्यकता होती हैं । चरक संहिता में भी शिशु के जन्म के छठवें महिनें में अन्न खिलाने का शुभ मुहूर्त हैं। साइंस की मानें तो भी यह उल्लेखित हैं कि मां के गर्भ में शिशु जो भोजन करता है उस दौरान मलिन तत्वों को भी वह ग्रहण कर लेता हैं , उस मलिन दोष का निवारण शिशु को शुद्ध भोजन करवाकर ही किया जा सकता हैं ।अन्न से ही शिशु पोषित और पल्लवित होता हैं । छोटी-सी बच्ची को पतली खिचड़ी , सूजी की खीर, साबूदाना और पिसे हुए फिरनी देने से शरीर पुष्ट होता हैं।
प्रातः स्मरणीय परम पूज्य श्रीमद् जगतगुरु शंकराचार्य कांशी पीठाधीश्वर स्वामी शास्वतानंद सरस्वती जी महाराज ने विडियो कालिंग के माध्यम से नन्ही-सी शिवी सहित पूरे परिवार को शुभिशीष प्रदान किया । शंकराचार्य स्वामी जी ने कहा कि अन्न से मन बनता हैं और अन्न से ही ऊर्जा का संचार होता हैं।अन्न से केवल शरीर का पोषण नहीं होता बल्कि मन , बुद्धि , विद्या तेज़ तथा आत्मा का भी पोषण होता हैं। इसी कारण अन्नप्राशन संस्कार में शिशु को शुद्ध चांदी की कटोरी चांदी के चम्मच से दूध पिलाने या खीर चटाने की परंपरा हैं। नवजात शिशु को चांदी के बर्तनों में भोजन कराने या पानी,दूध पिलाने से कोई संक्रमण नहीं होता और भोजन कई घंटों तक शुद्ध बना रहता हैं । अन्न ही मनुष्य का भोजन हैं, उसे ईश्वर का कृपा प्रसाद समझकर खिलाना चाहिए।
अंत में शिवी को श्रीमति मानवेन्द्र , बसंती स्वर्णकार, श्रीमति राधिका देवी स्वर्णकार, श्रीमति सुरभि सराफ,शीला स्वर्णकार , पूर्व पार्षद श्रीमति शशिप्रभा सोनी, सुमन , उषा देवी , आलोक कुमार, सुमीत कुमार , दिनेश कुमार सराफ , एनटीपीसी के उप-
महाप्रबंधक इंजीनियर सत्यनारायण सोनी, तहसीलदार सीपत बिलासपुर में पदस्थ शशिभूषण सोनी , डॉक्टर शांति कुमार, प्रोफ़ेसर राजेश कुमार शुक्लाजी सहित अन्य लोगों ने दीर्घायु , यशस्वीं और विदुषी होने का आशिष दिया। कालोनी वासियों ने भी बालिका को लंबी उम्र, अच्छा स्वास्थ्य और सोद्देश्य जीवन के लिए बधाइयां दी ।