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*जब कोई व्यक्ति किसी कार्य को कुशलतापूर्वक संपन्न करता है। अर्थात कम समय में पूरा करता है, उसके काम की क्वालिटी भी बहुत अच्छी होती है – ज्योतिष* ।

जब कोई व्यक्ति किसी कार्य को कुशलतापूर्वक संपन्न करता है। अर्थात कम समय में पूरा करता है, उसके काम की क्वालिटी भी बहुत अच्छी होती है। तो इसे ‘कार्यकुशलता’ कहते हैं। इस कार्यकुशलता से दूसरे लोग प्रभावित होते हैं।” “इसी प्रकार से जब कोई व्यक्ति ईमानदारी से काम करता है। अर्थात उसकी भाषा में व्यवहार में पूरी नम्रता सभ्यता होती है, उसमें छल कपट नहीं दिखाई देता। बार-बार व्यवहार करने से पता चलता है, कि “जैसा उसके मन में है, वह वैसा ही बोलता और वैसा ही आचरण करता है.” इस सारी बात को एक शब्द में ‘ईमानदारी से व्यवहार करना’ कहा जाता है। तो जब कोई व्यक्ति इस प्रकार से ईमानदारी से व्यवहार करता है, तो उसकी ईमानदारी भी लोगों को प्रभावित करती है।”*

 

अब यदि आपके सामने दो व्यक्ति हों। एक व्यक्ति कार्य करने में बहुत कुशल हो, जैसा कि ऊपर बताया है। दूसरा व्यक्ति व्यवहार में पूरा ईमानदार हो, जैसा कि ऊपर बताया है। तब आप यदि दोनों की तुलना करेंगे, तो पता चलेगा, कि *”कार्यकुशल व्यक्ति, दूसरों को जितना प्रभावित करता है, उस की तुलना में ईमानदार व्यक्ति, दूसरों को अधिक प्रभावित करता है।”*

 

कुछ लोग कहते हैं कि *”तुलना नहीं करनी चाहिए.”* यह सिद्धांत गलत है। पश्चिमी सभ्यता का है, और वेदों के विरुद्ध है। *”तुलना किए बिना तो आप एक चप्पल जैसी साधारण वस्तु भी नहीं खरीद सकते।”* जब आप कोई चप्पल भी खरीदते हैं, तो पहले दो चार चप्पलों में तुलना करते हैं, कि कौन सी अच्छी है। जो चप्पल अच्छी होती है, वही खरीदते हैं, ख़राब नहीं। *”इसी प्रकार से स्कूटर कार मोबाइल कंप्यूटर आदि कोई भी वस्तु आप खरीदते हैं, तो बिना तुलना किए नहीं खरीदते।” “इसलिए तुलना करना अनिवार्य और स्वाभाविक है।”*

 

तो सारी बात को कहने का सार यह हुआ, कि *”व्यक्ति को कार्यकुशल भी होना चाहिए, और ईमानदार भी। परंतु दोनों में से ईमानदारी का मूल्य अधिक है।” “यदि कोई व्यक्ति व्यवहार में ईमानदार है, और उसके कार्य में कुशलता कुछ कम है, तो भी वह अपने जीवन में उस की तुलना में अधिक सफल होगा, जो व्यक्ति कार्य में तो कुशल है, परंतु ईमानदार कुछ कम है।” “और यदि किसी व्यक्ति में ये दोनों ही गुण हों, फिर तो बात ही क्या है। तब तो सोने पर सुहागा है।”*

 

*”अतः पूरा प्रयत्न करें, कि दोनों गुण आपके जीवन में हों। पहले ईमानदारी को धारण करें। फिर धीरे-धीरे कार्यकुशलता भी प्राप्त करें। तभी आप अपने जीवन में सफल हो पाएंगे।”*

 

—- । ज्योतिष कुमार रायपुर छत्तीसगढ़

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