छत्तीसगढ़दुर्ग भिलाई

अक्षय तृतीया पर हुआ पुतरा-पुतरी का विवाह

भिलाई। अक्षय तृतीया पर शहर में पारम्परिक रिति-रिवाज के प्रति लोगों का उत्साह देखते बना। छोटे बच्चे अपने परिवार के बड़ों के साथ मिलकर मिट्टी के बने पुतरा पुतरी का विवाह रचाने की तैयारी में जुटे रहे। लोगों ने सुबह अपने पितरों को याद करते हुए घर पर उनके सम्मान में नया घड़ा रखा। वहीं इस दिन खरीदी करना शुभ होने से भिलाई-दुर्ग सहित आसपास के सभी बाजारों में रौनक देखते बनी।

अक्षय तृतीया पर मिट्टी के बने पुतरा पुतरी का विवाह संपन्न कराने का परम्परा रही है। इस परम्परा का निर्वहन आज के दिन शहर में अनेक परिवारों ने किया। इस दौरान छोटे बच्चों का उत्साह देखते बना। बच्चों ने वर और वधू पक्ष में बंटकर पुतरा पुतरी के विवाह के संस्कार पूरा किया।

इसमें परिवार के बड़ों ने भी अपनी सहभागिता दी। पुतरा पुतरी के विवाह के लिए मंडप सजाकर तेल हल्दी की रस्म अदा की गई। इसके साथ ही गोधुली बेला में विवाह के बाद प्रीति भोज का भी आयोजन की भी तैयारी बच्चों ने कर रखी है।

आज अक्षय तृतीया का पर्व मनाया गया। इस दौरान अनेक परिवारों में विवाहए मुंडनए गृह प्रवेश सहित अन्य शुभ कार्य बिना मुहुर्त देखे संपन्न कराया गया। अक्षय तृतीया का दिन अत्यंत शुभ होने से इसका अलग ही महत्व माना गया है। सोने चांदी के आभूषण और वाहन आदि खरीदने के लिए भी अक्षय तृतीया के दिन को शुभ माना गया है। इसका असर आज भिलाई . दुर्ग के सभी बाजारों में देखने को मिला। बाजारों में शुभ खरीदी के लिए ग्राहकों को आकर्षित करने आफर भी लागू किया गया है।

छत्तीसगढ़ में अक्षय तृतीया पर दिवंगत पूर्वजों को भी श्रृद्धा से याद किया जाता है। आज लोगों ने सुबह अपने अपने पितरों को जल अर्पित किया और उनके लिए घर में मिट्टी का नया घड़ा रखा। देवी देवताओं को खीर पुड़ी का भोग लगाकर पूजा अर्चना की गई। वहीं खेतों पर जाकर माटी पूजन कर धान के छिड़काव करने की परम्परा का किसानों ने निर्वहन किया। इसके साथ ही आने वाले वर्ष में फसल अच्छी होने की कामना की गई।

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