अक्षय तृतीया पर विवाह के लिए सजे गुड्डे-गुड़िया,
अक्षय तृतीया पर विवाह के लिए सजे गुड्डे-गुड़िया,
अक्षय तृतीया पर छत्तीसगढ़ में गुड्डे गुड़िया के विवाह की परंपरा है
अक्षय तृतीया के दिन का विशेष महत्व है. इस दिन लोग बिना मुहूर्त दिखाए कोई भी मांगलिक कार्य कर सकते हैं
धार्मिक मान्यता अनुसार अक्षय तृतीया के दिन भगवान विष्णु के छठे अवतार परशुराम का जन्म हुआ था. अक्षय तृतीया के दिन ही भगवान कृष्ण की वजह से द्रौपदी को अक्षय कलश की प्राप्ति हुई थी. अक्षय तृतीया के दिन ही राजा जनक को माता सीता हल जोतते वक्त कलश में मिली थीं. इतना ही नहीं इसी दिन सागर मंथन की शुरुआत भी हुई थी और उसमें से निकलने वाला अमृत कलश पात्र में भी भरा था. कहते हैं कि कलश में 33 हजार करोड़ देवी- देविताओं का वास होता है. इसलिए अक्षय तृतीया के दिन कलश पूजन का विशेष महत्व होता है. धार्मिक मान्यता अनुसार अक्षय तृतीया के दिन सोने के आभूषण खरीदना बेहद शुभ माना जाता है, ऐसी मान्यता है कि इस दिन सोने के आभूषण खरीदने से पूरे साल धन-संपत्ति की कमी नहीं होती है.
छत्तीसगढ़ में अक्षय तृतीया को अक्ती तिहार के रूप में भी मनाया जाता है. इस दिन गुड्डे-गुड़िया की शादी की जाती है. अक्षय तृतीया को लेकर छत्तीसगढ़ का बाजार गुलजार है
अक्षय तृतीया के मौके पर परंपरागत रूप से सोना-चांदी, कार-बाइक, इलेक्ट्रानिक उत्पाद और कपड़े की खरीदारी देशभर में की जाती है. इस दिन छत्तीसगढ़ में मनाये जाने वाले अक्ती तिहार के लिए गुड्डे-गुड़ियों का भी बाज़ार सजकर तैयार है. सराफा बाजार में अक्षय तृतीया को लेकर काफी उत्साह है. अक्षय तृतीया पर शादियों की खरीदी के लिए बाजार में शहरी व ग्रामीण दोनों ही क्षेत्र के लोग पहुंच रहे हैं.
पिछले साल कोरोनाकाल के कारण 2020 व 2021 में अक्षय तृतीया पर बड़े आयोजन नहीं हो सके. तीसरे वर्ष 2022 में शादियों का अवसर प्राप्त हुआ है. 2021 की दीपावली के बाद यह सबसे बड़ा अवसर है, जब बाजार में चहल-पहल बढ़ी है. इससे दुकानदार भी खुश नजर आ रहे हैं. धनतेरस में जिस तरह सोना-चांदी, बर्तन खरीदना शुभ माना जाता है उसी तरह अक्षय तृतीया के दिन भी घर के लिए जेवर और बर्तन खरीदना शुभ माना जाता है. कारोबारियों ने भी अक्षय तृतीया के लिए तैयारी कर रखी है.
इस बार साेने-चांदी के भाव में उछाल जरूर है, लेकिन अक्षय तृतीया के मौके पर अच्छी खरीददारी की उम्मीद है. क्योंकि पिछले दो सालों में कोरोना के संकट के चलते बाजार ठंडा था, लेकिन इस बार अक्षय तृतीया के कुछ दिन पहले से ही बाजार में रौनक दिखने लगी है. बता दें कि इसी तरह छत्तीसगढ़ में अक्षय तृतीया को अक्ती तिहार के रूप में मनाया जाता है और यहां घरों में गुड्डे-गुड़ियों का पारम्परिक तरीके से पूरे साजो सामान के साथ विवाह कराया जाता है. जिसके लिए बच्चों के साथ खरीदी करने के लिए बड़े भी बाजार तक पहुंचे.मुंगेली गोल बाजार में सजे गुड्डे-गुड़ियों के बाजार मे लोगों की भीड़ सुबह से ही दिखाई दी.
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने अक्षय तृतीया को छत्तीसगढ़ में माटी दिवस के रूप में मनाने का ऐलान किया है. इसको लेकर भी तैयारियां की जा रही हैं.