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क्या होते हैं माइक्रोनोवा, जिन्हें खोजना है बहुत मुश्किल What are micronovae, which are very difficult to find

ब्रह्माण्ड (Universe) में जितने भी खगोलीय पिंड वे किसी ना किसी रूप में तारों से ही बनते हैं. गैलेक्सी कई तारों से मिलकर बनती है, तो ब्लैक होल, ग्रह, आदि अनेक पिंडों का भी तारों से ही निर्माण होता है. तारों का अंत होने वाले विस्फोट यानि सुपरनोवा की स्थिति भी कई पिंडों के निर्माण की नीव बनाती है. अब यूरोप के खगोलविदों ने एक नए तरह का तारकीय विस्फोट (Staller Explosion) की खोज की है. इस खास तरह के विस्फोट को वैज्ञानिकों ने माइक्रोनोवा (Micronova) नाम दिया है. वैज्ञानिकों का कहना है कि इन्हें देख पाना तो बहुत मुश्किल होता है, लकिन ये बहुत सामान्य खगोलीय घटना होते हैं.कब बनता है माइक्रोनोवा
नेचर जर्नल में प्रकाशित अध्ययन के अनुसार यह माइक्रोनोवा वहां होता है जहां तारे की सतह पर स्थानीय संलयन प्रतिक्रिया की वजह से ऊर्जा और पदार्थ बाहर निकलता है और ध्रुवों पर सीमित हो जाता है. लेकिन माइक्रोनोवा सुपरनोवा की तरह किसी तारे के विनाश के बाद का नतीजा नहीं होता है. बल्कि यह तो सफेद तारे का दूसरे तारे का पदार्थ खाने की वजह से होता है.द्विज तारों में से एक में
माइक्रोनोवा की स्थिति पैदा होने के लिए सफेद तारे में तीव्र मैग्नेटिक फील्ड का होना बहुत जरूरी है. यह तभी बनता है जब द्विज तारों में से एक शक्तिशाल मैग्नेटिक फील्ड वाला सफेद बौना हो जिससे सभी संचयित पदार्थ मैग्नेटिक ध्रुवों तक जाने लगता है जहां ऊष्मीय संयलयन नाभकीय प्रतिक्रिया होती है.माइक्रो होने पर भी शक्तिशाली
अब चूंकि सुपरनोवा की तुलना में प्रतिक्रिया और विस्फोट दोनों की ही मात्रा कम होती है, इस प्रतिक्रिया और विस्फोट को वैज्ञानिकों ने माइक्रोनोवा नाम दिया है. यहां तक कि सफेद बौने की सतह पर होने वाले विस्फोट से भी हलका होता है जिसे नोवा कहा ज्यादा है. लेकिन माइक्रो नाम होने के बाद भी यह विस्फोट बहुत ही शक्तिशाली होता है जो बौने के ध्रुवों पर होता है लेकिन ग्रहों तक को उड़ा कर खत्म करने में सक्षम होता है.बहुत मुश्किल होता है इन्हें पकड़ना
ये प्रतिक्रियां संक्रमण कालिक होती हैं और विस्फोट केवल कुछ ही घंटों में खत्म हो जाता है इसलिए इन्हें देख पाना बहुत ही मुश्किल काम होता है. शोधकर्तोओं ने पहला विस्फोट नासा के ट्रांजिटिंग एक्सप्लोनेट सर्वे सैटैलाइट (TESS) के सर्वे आकंडों का अवलोकन करते समय पाया था. इसके बाद उन्होंने खोज करने पर दो और ऐसे विस्फोट खोज निकाले. पहले दो सफेद बौने में पाए गए और तीसरे विस्फोट की पुष्टि के लिए यूरोपियन साउदर्न ऑबजर्वेटरी की वेरी लार्ज टेलीस्कोप ऐरे से पुष्टि हो सकी. तीनों ही विस्फोट सफेद बौनों के ध्रुवों से हुए थे.सुपरनोवा- सबसे प्रसिद्ध तारकीय विस्फोट
यह पड़ताल दर्शाती है कि ऐसे माइक्रोनोवा ब्रह्माण्ड यहां तक कि हमारी गैलेक्सी में भी बहुत सामान्य घटना के तौर पर होते होंगे लेकिन कम समय की घटना होने के कारण इन्हें देख पाना मुश्किल होता है. तारकीय विस्फोटों में सुपरनोवा सबसे प्रसिद्ध विस्फोट होते हैं जो तारे के ईंधन खत्म होने पर बनते हैं जिसके विस्फोट के बाद ब्लैक होल या न्यूट्ऱॉन तारे बनते हैं. इसके अलावा द्विज तारे में से एक सफेद बौना दूसरे तारे का पदार्थ गुरुत्व से खींचने लगता है जिससे अंत में सुपरनोवा विस्फोट होता है.और भी तरह के होते हैं विस्फोट
सफेद बौने का निर्माण तभी होता है जब एक तारे में सुपरनोवा जैसे विस्फोट होने की स्थिति नहीं होती. हमारी सूर्य भी अरबों सालों बाद ऐसी ही स्थिति में पहुंच जाएगा. सफेद बौने भी न्यूट्रॉन तारे, ब्लैक होल की तरह बहुत ही संकुचित पिंड होते हैं जो तारे के ईंधन के खत्म होने के बाद बनते हैं. इसके अलावा अतिविशाल तारे से हाइपरनोवा, दो न्यूट्ऱॉन तारों के टकराव से किलोनोवा जैसे उच्च ऊर्जा विस्फोट भी होते हैं.इसके अलावा एक चमकीले तारे की दिखने वाले धुंधले हो जाने वाली संक्रमण वाली घटना को दिया गया नाम है. जो केवल द्विज तारों में सफेद बौनों के साथ होती है. लेकिन माइक्रोनोवा केवल शक्तिशाली मैग्नेटिक फील्ड वाले सफेद बौनों में ही होती है जहां पदार्थ उनके ध्रुवों पर जमा हो जाता है और नाभकीय प्रतिक्रियाएं वहीं पर होती हैं.

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