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मानसून से पहले बैठक: बाढ़ रोकने और सिंचाई सुविधाओं के संबंध में सहयोग बढ़ाएंगे भारत-नेपाल

पटना. भारत और नेपाल के बेहतर होते संबंध का असर दिखने लगा है. मानसून से पहले बाढ़ से सुरक्षा और सिंचाई सुविधाओं के संबंध में दोनों देशों ने सहयोग बढ़ाने का फैसला लिया है. पटना में भारत-नेपाल कोसी एवं गंडक परियोजना संयुक्त समिति की 10वीं बैठक में कई महत्वपूर्ण फैसले लिए गए जो बिहार के लिए बड़ी राहत की खबर मानी जा रही है.

समय-समय पर भारत-नेपाल कोसी एवं गंडक परियोजना संयुक्त समिति की बैठक होती रहती है लेकिन हाल के दिनों में नेपाल से बेहतर हो रहे संबंध के बीच दो दिवसीय 10वीं बैठक पटना में हुई जो बिहार के लिहाज से बेहद महत्वपूर्ण मानी जा रही है. इस बैठक में कोसी और गंडक परियोजनाओं से संबंधित विभिन्न मुद्दों पर दोनों देशों के बीच विचार-विमर्श हुआ. बैठक में भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व जल संसाधन विभाग, बिहार सरकार के सचिव संजय कुमार अग्रवाल ने किया जबकि नेपाली प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व जल संसाधन एवं सिंचाई विभाग के डायरेक्टर जनरल सुशील चंद्र आचार्य ने किया.बैठक के बाद जल संसाधन विभाग के सचिव संजय कुमार अग्रवाल ने बताया कि भारत-नेपाल कोसी एवं गंडक परियोजना संयुक्त समिति की बैठक में कोसी और गंडक परियोजनाओं से संबंधित सभी मुद्दों की विस्तृत समीक्षा की गई. इसमें कोसी और गंडक प्रोजेक्ट्स के संचालन एवं संपोषण से जुड़े मुद्दे, प्रोजेक्ट क्षेत्र की सुरक्षा और बाढ़ से बचाव के अलावा नहर के संचालन में आने वाली कठिनाइयों से संबंधित मुद्दे शामिल थे.कोसी परियोजना बिहार के लिहाज से बेहद महत्वपूर्ण है क्योंकि कोसी नदी नेपाल में हिमालय से निकल कर भारत में सुपौल जिले में प्रवेश करती है और कटिहार जिले के कुरसैला के पास गंगा नदी में मिलती है. कोसी नदी पर नेपाल भू-भाग में भीमनगर में कोसी बराज निर्मित है. यह भी एक बहुउद्देशीय योजना है, जिसके जरिये सिंचाई एवं बाढ़ प्रबंधन होता है. 1964-65 में निर्मित कोसी बराज का निर्माण हुआ था. कोसी बराज से दो नहरे- पूर्वी कोसी नहर और पश्चिमी कोसी नहर- निकलती हैं, जिनसे नेपाल के सप्तरी जिले और बिहार के सुपौल, सहरसा, मधेपुरा, अररिया, पूर्णिया, कटिहार, मधुबनी तथा दरभंगा जिलों में सिंचाई की सुविधा प्रदान की जाती है.गंडक परियोजना भी बिहार के लिए बेहद महत्त्वपूर्ण है क्योंकि गंडक नदी नेपाल प्रभाग में हिमालय से निकलकर पश्चिमी चंपारण जिले के वाल्मीकिनगर में भारत की सीमा में प्रवेश करती है. वाल्मीकिनगर से गंडक नदी उत्तर प्रदेश के कुछ प्रभाग में प्रवाहित होते हुए बिहार के पश्चिम चंपारण, गोपालगंज, सारण, मुजफ्फरपुर तथा वैशाली जिला होते हुए सोनपुर में गंगा नदी में आकर मिल जाती है. गंडक नदी की कुल लंबाई 630 किलोमीटर है, जिसमें 370 किलोमीटर नेपाल एवं तिब्बत प्रभाग में पड़ता है.नेपाल स्थित कैचमेंट एरिया में होने वाली वर्षापात गंडक नदी के जल स्तर को प्रभावित करने का मुख्य कारक है, जो बिहार में बड़े इलाके में बाढ़ का कारण बनती है. गंडक परियोजना के अंतर्गत वर्ष 1967-1968 में वाल्मीकिनगर में गंडक बराज का निर्माण हुआ था. गंडक बराज एक बहुउद्देशीय परियोजना है, जिसका उद्देश्य बड़े इलाके को बाढ़ से सुरक्षा और सिंचाई सुविधा उपलब्ध कराने के साथ-साथ जल-विद्युत उत्पादन है.

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