तेजी से बदल जाता है नेप्च्यून के वायुमंडल का तापमान The temperature of Neptune’s atmosphere changes rapidly
सौरमंडल (Solar System) के सभी ग्रह अपनी अनोखी विशेषताएं लिए हुए हैं. इनमें नेप्च्यून ग्रह (Neptune) सूर्य से सबसे ज्यादा दूर है और बाकी ग्रहों की तरह इसका अध्ययन भी वैज्ञानिकों के लिए अहमियत रखता है. पिछले दो दशकों के अध्ययन से पता चला है कि नेप्च्यून ग्रह के वायुमंडल का तापमान (Temperature of Neptune Atmosphere) अप्रत्याशित रूप से बदल रहा है. दुनिया भर के कई टेलीस्कोप के आंकड़ों की मदद से वैज्ञानिक नेप्च्यून की वायुमंडल की तापमान में इस बदालव क साफ तस्वीर बनाने में सफल रहे हैं और उम्मीद के खिलाफ उन्होंने पाया की इस ग्रह का औसत तापमान कम हो रहा है.
दो दशकों से बदलाव
लेस्टर यूनिवर्सिटी के अंतरिक्ष वैज्ञानिकों की अगुआई में हुए इस अध्ययन में बताया गया है कि नेप्च्यून के वायुमंडल के पिछले दो दशकों में कैसे बदलाव आ रहा है. इसी सप्ताह प्लैनेटरी साइंस जर्नल में प्रकाशित इस अध्ययन में वैज्ञानिकों ने नेप्च्यून के वायुमंडल से निकलने वाली गर्मी के स्पैक्ट्रम में थर्मल इंफ्रारेड तरंगों का अवलोकन किया.
कहां से लिए आंकड़े
इस शोध में लेस्टर के अलावा नासा के जेट प्रपल्शन लैबोरटरी का भी योगदान है जिसमें शोधकर्ताओं ने अलग अलग जगहों से दो दशकों तक लिए गए सभी थर्मल इंफ्रारेड तस्वीरो के आंकड़ों का अध्ययन किया. ये आंकड़े यूरोपियन साउदर्न ऑबजर्वेटरी के वेरी लार्ज टेलीस्कोप, चीली के जैमिनी साउथ टेलीस्कोप के साथ हवाई के सुबारू, केल और जेमिनी नॉर्थ टेलीस्कोप एवं नासा के स्प्लिट्जर टेलीस्कोप के आंकड़े शामिल थे.
तापीय चमक में कमी
इन्हीं आंकडों के आधार पर ही शोधकर्ता नेप्च्यून के वायुमंडल के तापमान की स्प्ष्ट और पूरी तस्वीर बना सके जिसमें शोधकर्ताओं को यह जानकर हैरानी हुई की ये आंकड़े साफ तौर पर दर्शा रहे हैं कि नेप्च्यून की तापीय चमक कम हो गई है. साल 2003 से शुरू हुई थर्मल इमेजिंग से पता चला है कि नेप्च्यून के समतापमंडल में वैश्विक औसत तापमान में 2018 तकलगभग 8 डिग्री सेल्सियस तक की गिरावट आई है.
क्यों नहीं थी इसकी उम्मीद
इस अध्ययन के प्रमुख लेखक और लेस्टर यूनिवर्सिटी के पोस्ट डॉक्टोरल रिसर्च एसोसिएट डॉ माइकल रोमन ने बताया कि इस बदालव की आशा नहीं था. चूंकि हमें इसे शुरुआती दक्षिणी गर्मी के मौसम से अवलोकन कर रहे थे इसलिए हम आशा कर रहे थे कि धीरे धीरे यहां गर्मी बढ़नी चाहिए ना की ठंडक