छत्तीसगढ़दुर्ग भिलाई

आज भिलाई चरोदा निगम में एमआईसी की बैठक

महापौर और आयुक्त में हो रही तानातानी और एमआईसी सदस्यों की उदासीनता का दिखेगा असर

भिलाई। भिलाई-चरोदा नगर निगम में इन दिनों एक के बाद एक विवादों की खिचड़ी पक रही है। धीरे-धीरे पक रही विवादों की इस खिचड़ी में सोमवार 26 अगस्त को लंबे समय के अंतराल में होने जा रही एमआईसी की बैठक में जबरदस्त उबाल आने का आसार है। निवास में दी गई कर्मचारियों की सुविधा वापस लेने के बाद महापौर व आयुक्त के बीच तनातनी और इसमें एमआईसी सदस्यों की उदासीनता का असर भी इस बैठक में पड़ सकता है।

भिलाई-चरोदा निगम एमआईसी की बैठक सोमवार को पूर्वान्ह 11 बजे आहूत की गई है। इसकी सूचना सभी एमआईसी सदस्यों को दी जा चुकी है। बीते मार्च महीने में बजट के लिए आयोजित सामान्य सभा के पश्चात एमआईसी की यह पहली बैठक में किन प्रस्तावों पर चर्चा होनी है, इसकी संक्षेपिका उपलब्ध नहीं कराये जाने से सदस्यों में उहापोह की स्थिति बनी हुई है। हाल के दिनों में घटित राजनीतिक घटनाक्रमों के चलते महापौर श्रीमती चन्द्रकांता मांडले और एमआईसी में शामिल कुछ सदस्यों के संबंधों पर दरार उभरने की चर्चा है। कल होने वाली एमआईसी की सूचना के साथ ही सदस्यों को प्रस्ताव सूची उपलब्ध कराने की परंपरा का इस बार निर्वहन नहीं किए जाने से महापौर और एमआईसी के कुछ सदस्यों के बीच खटास की चर्चा को पर्याप्त बल मिल रहा है।

यहां पर यह बताना भी लाजिमी होगा कि हाल के दिनों में महापौर श्रीमती चन्द्रकांता मांडले और निगम के नये आयुक्त कीर्तिमान सिंह राठौर के बीच तनातनी अखबारों की सुर्खियों पर है। निगम आयुक्त राठौर ने पदभार ग्रहण करने के बाद महापौर मांडले के वसुन्धरा नगर स्थित सरकारी आवास में सेवा दे रहे तीन प्लेसमेंट कर्मचारियों को वापस बुला लिया है। आयुक्त के इस कदम से खफा महापौर खुलकर अपनी नाराजगी जता रही है। लेकिन इस मामले में एमआईसी का कोई भी सदस्य अब तक महापौर के साथ नजर नहीं आया है। इससे महापौर और एमआईसी सदस्यों के बीच पहले जैसे मधुर संबंध नहीं रहने की राजनीतिक गलियारे में चल रही चर्चा को बल मिल रहा है।

गौरतलब रहे कि महापौर श्रीमती चन्द्रकाता मांडले तकरीबन डेढ़ साल पहले एमआईसी में फेरबदल कर दिग्गज और अनुभवी माने जाने वाले पार्षदों को बाहर का रास्ता दिखा दिया था। इस फेरबदल में फिरोज फारुकी, सुषमा जेठानी, राम खिलावन वर्मा और पार्थो बाग को हटाकर नये नवेले पार्षद आशा यादव, अपर्णा दासगुप्ता, रोहित साहू और नंदिनी जांगड़े को एमआईसी में जगह दी गई थी। जबकि किशोर साहू, चन्द्रप्रकाश पांडेय, राजू कुमार देवांगन व तुलसी मरकाम को एमआईसी में यथावत रखा गया। एमआईसी से दिग्गजों को दरकिनार किए गए महापौर के निर्णय को लेकर तरह-तरह की चर्चा चली थी।

कहने वाले यह कहने से भी चूके नहीं थे कि दिग्गज और अनुभवी पार्षदों के एमआईसी में रहने से महापौर को मानमाफिक काम करने की आजादी नहीं मिल पा रही थी। लेकिन बाद में नये नवेले पार्षदों को लेकर बनी एमआईसी सदस्यों के साथ भी अब महापौर मांडले का तालमेल गड़बड़ाने की चर्चा भिलाई-चरोदा में पिछले कई दिनो से चल रही है।

लगभग छह महीने तक एमआईसी की एक भी बैठक नहीं हो पाने को इसी से जोडक़र देखा जा रहा है। ऐसे में कल होने वाली एमआईसी की बैठक में इसका असर पडऩे की संभावना से इंकार नहीं किया जा रहा है।

दो सदस्यों के एमआईसी से इस्तीफे की चर्चा

एमआईसी के आठ में से दो सदस्यों के द्वारा कुछ दिन पहले ही महापौर को अपना इस्तीफा सौंप दिया गया है। इसमें एक पुरुष तथा एक महिला है। दोनों ही सदस्य भाजपा से चुने गए हैं। बताते हैं कि महापौर चन्द्रकांता मांडले ने इन दोनों सदस्यों का इस्तीफा लेने के बाद एमआईसी में फेरबदल के लिए अधिकारियों से मार्गदर्शन भी ले लिया था। लेकिन इसी बीच उनके निवास से कर्मचारियों को हटा दिए जाने के मुद्दे पर आयुक्त के साथ बखेड़ा खड़ा होने से एमआईसी भंग करने के इरादे पर महापौर ने ब्रेक लगा दिया। चर्चा यह भी है कि एमआईसी के कुछ और भी सदस्यों की महापौर से जम नहीं रही है।

आज होने वाली एमआईसी की बैठक पर प्रश्रचिन्ह

एमआईसी की बैठक नियमित अंतराल में नहीं होने का असर निगम के कामकाज में भी पडऩे लगा था। बताते हैं तात्कालिक आयुक्त के निर्देश पर निगम सचिवालय की ओर से महापौर मांडले को विकास और व्यवस्था से जुड़े प्रस्तावों को एमआईसी से मंजूरी दिलाने का मौखिक आग्रह किया जाता रहा। लेकिन महापौर मांडले ने इस पर गंभीरता नही दिखाई । इसके कारण विधिवत लिखित में प्रस्ताव व संक्षेपिका भेजकर निगम सचिवालय ने महापौर को एमआईसी की बैठक आयोजित करने का आग्रह किया। इसके बाद भी महापौर और एमआईसी सदस्यों की बैठक को लेकर दिलचश्पी नही दिखाई। आखिरकार महापौर को लिखित में भेजे गए सारे प्रस्ताव 13 अगस्त को नगर निगम अधिनियम की धारा 13 तथा 13 (क) के तहत 10 दिन की समयावधि खत्म होते ही स्वत: पारित हो गए। इसके चलते सोमवार 26 अगस्त को आयोजित की गई बैठक के होने को लेकर भी प्रश्नचिन्ह की स्थिति बन गई है।

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