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हिंदी साहित्य भारती, दुर्ग द्वारा पुस्तक विमोचन समारोह आयोजित

सबका संदेश के लिए राकेश जसपाल की रिपोर्ट

‘पारिजात से झरे फूल’ संदेश परक – कैलाश वनवासी

हिंदी साहित्य भारती दुर्ग इकाई के तत्वाधान में डॉ. दीक्षा चौबे द्वारा रचित कहानी संग्रह ‘पारिजात से झरे फूल’ का विमोचन वरिष्ठ कथाकार गुलवीर भाटिया और बलदाऊ राम साहू के करकमलों से किया गया। विमोचन कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के रूप में रायपुर के सुविख्यात व्यंग्यकार राजशेखर चौबे मुख्य अतिथि ख्यातलब्ध समीक्षक कैलाश बनवासी व डॉ. हंसा शुक्ला द्वारा की गई।

तत्पश्चात मंचस्थ अतिथियों का स्वागत कर उनके श्री कर कमलों द्वारा ‘पारिजात से झरे फूल’ पुस्तक का विमोचन किया गया।

लेखिका डाॅ दीक्षा चौबे ने अपने आत्मकथ्य में कहा कि यह पुस्तक स्त्री विमर्श पर केन्द्रित है। स्त्री ही स्त्री की पीड़ा को भलीभांति समझ सकती है। उन्होंने आगे कहा कि पुस्तक की कहानियां हमारे आसपास की घटनाओं से संबंधित है। जब आप पढ़ेंगे तो आप इन कहानियों से जुड़ते जाएंगे।

कथाकार कैलाश बनवासी ने इसकी निरपेक्ष भाव से समीक्षा की। साथ ही उन्होंने यह भी बताया कि कहानी का स्वरूप संदेशपरक है लेकिन  शिल्प को और समर्थ करने की आवश्यकता है। हिंदी साहित्य भारती दुर्ग इकाई की अध्यक्ष डॉ. हंसा शुक्ला ने समीक्षा करते हुए कहा कि पुस्तक की कहानियाँ सहज और रोचक हैं इनके पात्र व पृष्ठभूमि से ऐसा लगता है कि वे हमारे आसपास के और हमारे परिवार के बीच से ही हैं।

कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के रूप में रायपुर से आए विख्यात व्यंग्यकार श्री राजशेखर चौबे ने कहा कि डाॅ दीक्षा चौबे की कहानी के क्षेत्र में उपस्थिति कथा साहित्य को समृद्ध करेगी।

अध्यक्ष की आसंदी से विचार रखते हुए हिंदी साहित्य भारती के प्रांतीय अध्यक्ष बलदाऊ राम साहू ने लेखिका को बधाई देते हुए कहा कि साहित्य सृजन सदैव से सोद्देश्य रहा है। रचनाकार निश्चय उद्देश्यों के तहत अपने विचारों को समाज के समक्ष रखता है और समाज को शिक्षित करता है या दिशा निर्देश करता है। कहानी गद्य साहित्य की सबसे पुरानी और रोचक विधा है। जिसके माध्यम से अपनी बात सहजता से समाज तक ले जाता है। मुख्य अतिथि गुलबीर सिंह भाटिया ने कहा कि दीक्षा की कहानियों में भावनात्मकता और मार्मिकता का पक्ष उभर कर आया है। उन्होंने लेखिका का ध्यान इसके कलात्मक पक्ष की ओर आकृष्ट कराया।

हिंदी साहित्य भारती दुर्ग के मीडिया प्रभारी व कार्यक्रम के संचालनकर्ता श्री विक्रम सिंह ‘अपना’  ने सुमधुर स्वर में माँ शारदे के भजन का भावपूर्ण गायन किया तथा आभार प्रदर्शन हिंदी साहित्य भारती के महामंत्री श्री चंद्रकांत साहू ने किया।

इस कार्यक्रम में विशेष रुप से डॉ. सुजाता दास, प्रदीप भट्टाचार्य संपादक छत्तीसगढ़ आसपास, प्रशांत कानस्कर, पुरबो हवा साहित्यिक समिति भिलाई के अध्यक्ष बागची, डॉ. संजय दानी, डाॅ दादू लाल जोशी, राजनारायण श्रीवास्तव, डाॅ राकेश चौबे. समीर चौबे, शरद कोकास, शंकर सिंह राठौर  बृजेश कुमार तिवारी, डॉ. चित्ररेखा चौबे, योगेश शर्मा, श्रीमती रीता शर्मा, विमल तिवारी, शेफाली, आनंद, शीला तिवारी, श्रीमती रश्मि शुक्ला, विजय कुमार चौबे, श्रीमती दिव्या चौबे, प्रशांत तिवारी, परिवेश तिवारी, अविनाश कश्यप, प्रार्थना तिवारी,अनीश शर्मा, क्षितिज चौबे, श्रीमती सुभद्रा चौबे सहित बड़ी संख्या में कवि लेखक श्रोतागण व हिंदी साहित्य भारती के सभी पदाधिकारी मौजूद थे।

रविवार 27 मार्च को आयोजित कार्यक्रम का स्थल स्व. राजीव गाँधी खेल एवं लोककला भवन, सिविल लाईन दुर्ग था।

यह जानकारी हिंदी साहित्य भारती के दुर्ग जिला मीडिया प्रभारी विक्रम सिंह ने दी।

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