भिलाई के प्रगतिशील कृषक पड्डा को दिल्ली में मिला कृषि क्षेत्र में सराहनीय कार्य हेतु नवोन्मेषी किसान पुरस्कार
भिलाई। भाकृअनुप भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान नई दिल्ली द्वारा 9 से 11 मार्च तक आयोजित पूसा कृषि विज्ञान मेला में भिलाई के किसान राजिन्दर सिंह पड्डा को कृषि एव संबत्र गतिविधियों में सराहनीय योगदान के लिए नवोन्मेषी किसान पुरस्कार सम्मानित किया गया। यह पुरस्कार कैडेट प्रभारी जेपीएस डबास , संयुक्त निदेशक प्रसार बीएस तोमर एवं ए के सिंह निर्देशक ने श्री पड्डा को प्रदान किया।
इस पूसा कृषि विज्ञान मेला में देश भर के 52 लोग ईनाम लेने पहुंचे थेजिनमें राजिन्दर सिंह पड्डा छग से दुर्ग जिले के भिलाई के इकलौते किसान थे। श्री पड्डा को यह पुरस्कार मिलने पर छग कामधेनु विश्व विद्यालय प्रबंधन ने उनको बधाई दी है। ् राजिन्दर सिंह पड्डा ने अपने द्वारा किये जा रहे कृषि के कार्यो का पत्रकारों के समझ उल्लेख करते हुए कहा कि कचांदूर में इनका खेती का कार्य पैतृक है, इनके द्वारा यहां डेयरी मछली पालन, पोल्ट्री फाम साथ साथ है। इसके अलावा हरे चारे का उत्पादन अत्यधिक मात्रा में करते है, चारे की खेती को इन दिनो अत्यधिक महत्व दे रहा हूं,और हरे चारे की प्रोसिसिंग भी करते हैं। मैं हर साल 2 सौ एकड़ में हरे चारे का उत्पादन करते है, इसकेलिए वचन दूधवाले से मेरा करार है, उनको प्रतिवर्ष पांच हजार टन चारे देता हूं, छग में अधिक खेती धान की होती है, इसके साथ ही यहां पानी की बहुत ही कमी है। हमारे द्वारा नेपियर, बारसिन, मक्का ज्वार की हम खेती करते है। श्री पड्डा वैसे पेशे से एमबीए और इंजीनियर है लेकिन अपने पैतृक खेती होने के कारण खेती में ही इनका लगाव बढते गया।श्री पड्डा ने आगे कहा कि छग में बारसिंग की खेती करना काफी लाभदायक है, मेरा पूरा उत्पादन मशीन से होता है, कचांदू, समोदा व आप पास के क्षेत्रों में मे पैरे की मशीन को किराये पर भी देता हूं। श्री पड्डा ने आगे कहा कि चारे के लिए नेपियर लगाना चाहिए, वह जानवरों के लिए बेहद उत्तम है। इसके अलावा किसान बारसिन की तरफ झूंके। मैँ जो भी उत्पादन करता हूं लेकिन किसी भी प्रकार का केमिकल खाद उपयोग नही करता हूं। उन्होंने आगे कहा कि कचांदूर एवं आसपास का तापमान हमेशा 5-7 डिग्री कम ही रहता है, इसलिए यहां और यहां के आसपास सब हरा ही हरा दिखाई देता है।