छत्तीसगढ़दुर्ग भिलाई

साधना आराधना करने के लिए तीन बातों पर चलना जरूरी-साध्वी रत्न ज्योति

आनंद मधुकर रतन भवन में हो रहा आनंद पुष्कर दरबार की धर्मसभा का आयोजन

दुर्ग। आनंद पुष्कर दरबार की धर्मसभा  हर्ष और उल्लास के वातावरण में चातुर्मास का प्रतिपल धार्मिक अनुष्ठान नवकार मंत्र की नियमित आराधना तप एवं उपवास के साथ आनंद मधुकर रतन भवन बांधा बांध तालाब दुर्ग में चल रहा है। साध्वी रत्न ज्योति ने धर्म सभा को संबोधित करते हुए कहा आत्म हित का मुख्य उपाय विनय गुण है आध्यात्मिक दृष्टि से और सांसारिक दृष्टि से जीवन में विनय का गुण अनिवार्य है। विनय में हृदय परिवर्तन की अद्भुत क्षमता है विनय सहनशील व्यक्ति अपने शत्रु को भी अपना हितकारी बना लेता है विनय के 3 लक्षण पहला कड़वी बात का मीठा उत्तर देना दूसरा क्रोध के समय चुप रहना तीसरा ह्रदय को कोमल रखना जिस प्रकार सुशील कन्या सत्पुरुष पाकर अपने आपको धन्य अनुभव करती है वैसे ही विनय वह शिष्य पाकर सद्गुरु अपने आपको धन्य अनुभव करते हैं जहां अज्ञान दशा रहती है वहां विनय गुण नहीं रहता जैसे पृथ्वी समस्त जीवो का आधार है वैसे ही समस्त गुणों का आधार भी नहीं है

धर्म सभा को संबोधित करते हुए  साध्वी डॉ अर्पिता श्री ने कहा कोई भी साधना आराधना करने के लिए तीन बातों पर चलना जरूरी है पहला दृढ़ संकल्प जो होना है वह होगा भगवान का दिया हुआ कभी अल्प नहीं होता बीच में टूट जाए वो संकल्प नहीं होता दूसरा सत्य को पहचानना शक्ति अंदर भरी हुई है उसे पहचानना चाहिए तीसरा समाधि भाव में रहना दुख आने पर भी प्रभु समाधि भंग ना हो समाधि बने जीवन का प्राण सच्चे साधक का संकल्प कभी अधूरे नहीं रहता साधना से जीवन में सुख शांति प्राप्त होती है।

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