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यूक्रेन युद्ध रोकने की कोशिश में बाइडन, यूरोप यात्रा में पोलैंड भी जाएंगे Biden will also visit Poland for Europe tour in an attempt to stop Ukraine war

वॉशिंगटन. रूस बीते 26 दिनों से यूक्रेन पर हमले (Russia-Ukraine War) कर रहा है. इस बीच अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन (Joe Biden) यूक्रेन पर रूस के जारी हमलों के बीच उत्तर अटलांटिक संधि संगठन (NATO) और यूरोपीय सहयोगियों के साथ बातचीत के लिए अपनी आगामी यूरोप यात्रा के दौरान पोलैंड भी जाएंगे.

व्हाइट हाउस (White House) की प्रेस सचिव जेन साकी ने रविवार को बताया कि बुधवार को वॉशिंगटन से रवाना होने वाले बाइडन पहले ब्रसेल्स और फिर पोलैंड जाएंगे, जहां वह देश के नेताओं से मुलाकात करेंगे.

 

पोलैंड, यूक्रेन का पड़ोसी देश है. पोलैंड ने युद्धग्रस्त देश से पलायन करने वाले 20 लाख से अधिक लोगों को शरण दिया है. पोलैंड ने हमेशा नाटो के अपने साथी सदस्यों से यह रक्तपात रोकने के लिए अधिक प्रयास करने की अपील की है.

 

व्हाइट हाउस के अधिकारियों ने पहले कहा था कि बाइडन की यूक्रेन की यात्रा करने की कोई योजना नहीं है. बाइडन और नाटो ने बार-बार कहा है कि अमेरिका और सैन्य गठबंधन, गैर-नाटो सदस्य यूक्रेन को हथियार और अन्य रक्षा सहायता प्रदान करेंगे, लेकिन वे अपनी तरफ से रूस के साथ व्यापक युद्ध के जोखिम को बढ़ाने वाले किसी भी कार्रवाई से बचने के लिए भी दृढ़ हैं.

बाइडन ने चीन को दी थी चेतावनी
इससे पहले अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच शुक्रवार को एक घंटा 52 मिनट तक बात हुई. बाइडन ने चीन को चेतावनी दी कि अगर उसने रूस को ठोस मदद पहुंचाई, तो उसके ‘परिणाम’ होंगे. लेकिन शी पर इससे कोई फर्क नहीं पड़ा. उन्होंने अमेरिका और नाटो (उत्तर अटलांटिक संधि संगठन) को रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ बातचीत कर समस्या का समाधान निकालने की सलाह दे दी.

द्विपक्षीय मामलों पर भी शी के तेवर सख्त रहे. बाइडन ने कहा- ‘अमेरिका एक नया शीत युद्ध नहीं चाहता. चीन की अंदरूनी व्यवस्था को बदलने की भी उसकी कोई इच्छा नहीं है. बाइडन ने कहा कि अमेरिका ताइवान में ‘अलगाववाद को समर्थन’ नहीं देगा. इस पर शी ने कहा- ‘चीन और अमेरिका के संबंधों में मौजूदा तनाव का कारण अमेरिका में ऐसे लोगों का मौजूद होना है, जिन्होंने दोनों देशों के राष्ट्रपतियों के बीच बनी सहमतियों के अनुरूप आचरण नहीं किया है.’ साफ तौर पर उन्होंने तनाव का दोष अमेरिका के माथे डाल दिया

 

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