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*डाइट में जीवन विद्या पर परिचय शिविर का सुंदर आयोजन संपन्न*

*बेमेतरा*– *एससीईआरटी रायपुर के निर्देशन में जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान डाइट बेमेतरा में चेतना विकास और मूल्य शिक्षा (जीवन विद्या) पर पांच दिवसीय परिचय शिविर का आयोजन किया गया। उदघाट्न सत्र के प्रथम दिवस में डाइट के प्राचार्य हेमंत भुवाल और पीएसटीई प्रभारी और संस्थान के वरिष्ठ व्याख्याता अनिल सोनी, जीवन विद्या प्रभारी व्याख्याता थलज कुमार साहू ने चेतना विकास और मूल्य शिक्षा की उपयोगिता और महत्ता पर विस्तार से प्रकाश डाला, साथ ही इसे प्राथमिकता के तौर पर अपने जीवन में लागू करने की बात कही। इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में एससीईआरटी की ओर से प्रबोधक के रूप में मुकेश देवांगन शिक्षक बहेरघट, घनश्याम देवांगन शिक्षक अकोली धमधा, राममिलन यादव मानव तीर्थ किरितपुर, लोकेश साहू भिलाई की नियुक्ति की गई है।*

*प्रथम दिवस मानव केंद्रित मध्यस्थ दर्शन में मानने से जानने की ओर यात्रा करने का गुण बताया गया। किसी भी स्वीकार्यता को मानना नहीं है बल्कि जांचना है और जांचने के बिन्दु निरीक्षण, परीक्षण और सर्वेक्षण के बारे में बताया गया। और मानने का आधार भय, प्रलोभन और आस्था के बारे में भी विस्तार से बताया गया। ततपश्चात प्रकृति की चार अवस्थाओं पदार्थ अवस्था, प्राण अवस्था, जीव अवस्था और ज्ञान अवस्था के बारे में और उनके परस्पर एक दूसरे के पूरक होने के बारे में भी बताया गया। प्रकृति में तीनों इकाई एक दूसरे के पूरक के रूप में है और एक दूसरे की मदद करते है लेकिन मानव प्रकृति की इन तीनों इकाइयों के भरपूर दोहन करता है और बदले में कुछ भी नहीं देता है उल्टे वह इन इकाइयों को प्रदूषित भी कर रहा है। मनुष्य अपनी बुद्धि और विवेक का इस्तेमाल कर इन इकाइयों को और भी बेहतर बना सकता था लेकिन ऐसा नहीं किया।*

*शिविर के दूसरे दिन मानव को परिभाषित करते हुए मानव की आवश्यकता पर चर्चा की गई। मानव की आवश्यताएँ तो सीमित है इच्छाएं और साधन अनन्त है। मानव को जीवन और शरीर का संयुक्त रूप बताया गया। जिससे शरीर की क्रियाएं और मानव की क्रियाएं स्पष्ट हुई। शिविर के तीसरे दिन जीवन की क्रियाओं को विस्तार से बताया गया जिसमें मानव के द्वारा जीवन की केवल साढ़े चार क्रियाओं को ही कर पाने की बात बताई गई जिसके कारण मानव सुखी होने के चक्कर मे भ्रम में पड़े रहते है और व्यवस्था में बिखराव होता है । चौथे दिवस जीवन की क्रियाओं के बारे में बताया गया। साथ ही मानव के सात संबंधों के बारे में भी बताया गया। मानव के सात ही संबंध होते है जिनमें मातापिता-पुत्र पुत्री का संबंध, भाई-बहन, साथी-सहयोगी, गुरु-शिष्य, मित्र-मित्र, पति-पत्नी, और व्यवस्था या नैसर्गिक संबंध। इन सब के बारे में विस्तार से चर्चा की गई।*

*कार्यक्रम नके समापन के अवसर पर सभी प्रबोधक गणों को डाइट बेमेतरा के प्राचार्य हेमन्त भुवाल के द्वारा प्रशस्ति पत्र, श्रीफल और साहित्य देकर सम्मानित किया गया।*

*इस महत्वपूर्ण परिचय शिविर कार्यक्रम में डाइट बेमेतरा के वरिष्ठ व्याख्याता अनिल सोनी, जीवन विद्या कार्यक्रम के प्रभारी व्याख्याता थलज कुमार साहू , डॉ बसुबन्धु दीवान व्याख्याता, तुकाराम साहू, श्रीमती श्रद्धा तिवारी, अमिन्दर भारतीय तकनीकी सहायक, व्याख्याता के. के. सोनी का विशेष योगदान रहा।*

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