महाशिवरात्रि पर भक्ति भाव से कलेश्वर नाथजी का दुध और जलाभिषेक से किया गया आराधना
आस्था । महाशिवरात्रि पर भक्ति भाव से कलेश्वर नाथजी का दुध और जलाभिषेक से किया गया आराधना ।
व्रत, उपवास, फल-फ़ूल और अनुष्ठान से दिन भर चला पूजा पाठ का दौर , दो वर्ष के बाद महाशिवरात्रि पर्व रहा गुलज़ार।
महाशिवरात्रि और कांवर यात्रा के साथ शुरू हो जाता हैं कलेश्वर नाथ बाबाजी का दर्शन-पूजन।
*जन-जन की आस्था का प्रतीक बाबा कालेश्वर नाथ शिव मंदिर पीथमपुर*
*शशिभूषण सोनी की कलेश्वर नाथ मंदिर, पीथमपुर से ग्राउंड रिपोर्ट•••*
जांजगीर-चांपा जिला ऐतिहासिक , पुरातात्विक एवं प्राकृतिक संसाधनों से समृद्ध जिला हैं । जिले की सीमा को रेखांकित करती छत्तीसगढ़ की जीवनदायिनी नदी महानदी, हसदेव और बौराई के तट पर अनेक सभ्यता मिलने का प्रमाण ऐतिहासिक तथ्यों पर मिलता हैं।इसी हसदेव सरिता के तट पर छत्तीसगढ़ के सुप्रसिद्ध देव मंदिरों में से हैं पीथमपुर के कलेश्वर नाथजी, नवागढ़ के लिंगेश्वर नाथ जी और सेधवार महादेव,कंचन की नगरी,चांपा में स्थित हैं जै काली मंदिर के ठीक सामने अद्भुत शिव मंदिर । इन सबमें कलेश्वर नाथ जी की अपनी अलग महत्ता हैं । यह जांजगीर- चांपा जिलांतर्गत जांजगीर से मात्र 13 किलोमीटर दूर और चांपा रेलवे जंक्शन से मात्र 8 किलोमीटर दुर पीथमपुर नामक एक छोटे से ग्राम में स्थित हैं । यहां हसदेव नदी के किनारे ही भगवान शिवजी का प्राचीन मंदिर स्थित हैं । महाशिवरात्रि पर्व पर कलेश्वर नाथ मंदिर के परिसर में ही आज एक दिवसीय मेला लगा। यहां दूरदराज़ से ही श्रद्धालु भक्त दर्शन पाने पहुंच गए थे। मंदिर का पट खुलते ही सुबह से ही देर रात्रि तक दर्शन पूजन का दौर चलता रहा। लोगों ने कलेश्वर नाथ जी को दूध , घी, बेलपत्र, धूप, दीप, नैवेद्य अर्पित किया । सायंकालीन विशेष आरती उतारी गई जहां बड़ी संख्या में श्रद्धालु भक्त उपस्थित रहें । बोल बम सेवा समिति , चांपा के आह्वान पर महान तपस्वी एवं साधक तपसी महराज की पुण्य तपोभूमि जिसे अंचल के लोग तपसी आश्रम डोगाघाट के नाम से जानते हैं ।इसी तपसी बाबा के हसदेव सरिता से जल भरकर नाचते नाचते और गाते हुए नंगे पांव चलते हुए कलेश्वर नाथ जी के मंदिर में जाकर शिवलिंग पर जल अर्पित किये।शाम छह बजें पूजा आरती के पश्चात् महा आरती की गई । इस दौरान श्रद्धालु भक्तों की भारी भीड़ उमड़ी । शिवजी को बेलपत्र, आंक , धतुरा,दूध दही और नारियल प्रिय हैं । अतः शिवलिंग पर अर्पित करने
प्रतिवर्ष की तरह इस वर्ष भी मेला स्थल पर बड़ी संख्या में दुकाने लगी थी जिसे लेने लोगों की भीड़ देखी गई । इसके साथ ही कलेश्वर नाथ मंदिर के सामने और आसपास फल-फूल,माला, नारियल और अगरबत्ती की दुकाने लगाई गई और अन्य स्थानों से आए दुकानदार पूजन सामग्री विक्रय करते नज़र आए। शिवरात्रि पर्व पर शिव आराधना से मनुष्य के जीवन में नव संचार का उदय होता हैं एवं असीम तृती की प्राप्ति होती हैं। वैसे भी शिवालयों में शिवलिंग पर गंगाजल एवं दुग्धाभिषेक करने से शिवजी शीघ्र प्रसन्न होते हैं। मान्यता है कि शिवलिंग का रुद्राभिषेक भगवान भोलेनाथ को अत्यंत प्रिय हैं । गंगाजल से स्नान कराने पर भी शिवाजी अति प्रसन्न होकर मनवांछित फल देते हैं। ग्रीष्म ऋतु के थपेड़ो से सहती हुई पृथ्वी के जन मानस को जलाभिषेक से वर्षा और शीतलता की प्राप्ति होती हैं। दुग्धाभिषेक व घृताभिषेक से योग्य संतान की प्राप्ति होती हैं। पीथमपुर के के कलेश्वर नाथ मंदिर परिसर और दो किलोमीटर दायरे में होली के पांचवें दिन अर्थात् रंग-पंँचमी के दिन से ही पन्द्रह दिवसीय मेला प्रारंभ होने वाला हैं । यहाँ भगवान् भोलेनाथ लिंग के रूप में बाबा कलेश्वर नाथ महादेव के रूप में स्थापित हैं । धार्मिक आस्था से परिपूर्ण शशिभूषण सोनी ने बताया कि कलेश्वर नाथ महादेव के दर्शन करने मात्र से ही आने वाले श्रद्धालु भक्तों को संतान प्राप्ति और पेट दर्द से मुक्ति मिलने के साथ मनोकामना पूर्ति भी होती हैं । महाशिवरात्रि के पावन पर्व के दिन लोग व्रत, उपवास, अनुष्ठान और पूजा पाठ दिन भर करते हैं।इस दिन कांवड़ यात्रा में भक्त बड़ी संख्या में विभिन्न तालाबों एवं हसदेव सरिता से जलभराव करते पद यात्रा के रुप में कांवर लेकर यात्रा निकालकर कलेश्वर नाथ जी को जलाभिषेक करते हैं । कई लोग इस स्थल पर पहुंचकर या देव मंदिरों या अपने निवास स्थल पर रुद्राभिषेक भी करते हैं। पीथमपुर स्थित कलेश्वर नाथ जी के स्थल पर रंग-पंचमी जिसे धूल पंचमी भी कहा जाता हैं । इस दिन कलेश्वर नाथजी की भव्य और परंपरागत बारात देखने लायक होती हैं । इसमें देश भर के नागा साधुओं की फौज दिखाई देती हैं, महाशिवरात्रि पर्व के साथ नागा साधुओं का दल पहुंचने लगा हैं।कहा तो यहा तक जाता हैं कि बारात में शामिल होने से पुण्य लाभ की प्राप्त होती हैं ।
जांजगीर चांपा जिले में अनेक जनश्रुति प्रचलित है कि जिनमें वंश वृद्धि से लेकर पेट दर्द से मुक्ति मिलने के प्रमाण हैं और लोग श्रद्धा और विश्वास से यहां आते हैं और मनोकामना पूर्ण पाते हैं । फाल्गुन मास में शिवजी की अराधना शास्त्रों और पुराणों में फलदायक माना गया हैं, ऐसे में महाशिवरात्रि के दिन भोलेनाथ के लिंग के रुप में स्थापित कलेश्वर नाथ जी हैं । लोग केवल शिवरात्रि के दिन ही नहीं बल्कि अन्य भी मंदिर में जाकर दर्शन करते हैं और सौभाग्य पाते हैं । कलेश्वर नाथ पीथमपुर में प्रतिदिन संध्या आरती देखने लायक रहती हैं । सामाजिक कार्यकर्ता शशिप्रभा सोनी ने बताया कि शिवलिंग की पूजा अर्चना करने मात्र से ही शिव और शक्ति दोनों की पूजा हो जाती हैं। लिंग पुराण में यह बात लिखी गई है कि शिवलिंग के मूल में ब्रह्माजी, मध्य में विष्णुजी और सबसे ऊपर महेश्वर जी विराजमान हैं । शिवलिंग को वेदों में महादेवी महाशक्ति मानी गई हैं अतएव शिवलिंग की पूजा अर्चना करने से हमें पूर्ण ब्रह्म की प्राप्ति होती हैं। इस वर्ष मंगलवार पढ़ने के कारण महाशिवरात्रि पूर्ण फलदाई हैं हनुमान जी के साथ शिवजी की पूजा करने का सौभाग्य मिला । पीथमपुर के कलेश्वर नाथ मंदिर में रामलला, लक्ष्मीनारायण,राम जानकी,मां अम्बाजी, गणेशजी के साथ हनुमानजी भी विराजमान हैं, जिसे देखकर नयन अपने आप झुक जाता हैं । अद्भुत है भगवान शिव की महिमा ।