अब निगम-मंडल सरकार को देंगे खर्च, कर्ज और कमाई का ब्योरा

सबका संदेश न्यूज छत्तीसगढ़ रायपुर- राज्य सरकार ने सभी विभागों से उनके अधीन निगम, मंडल व आयोगों की स्टेटस रिपोर्ट मंगाई है। विभागों को निगम-मंडलों के स्थापना व्यय, कर्ज और कमाई का ब्योरा देना होगा। बाजार से कितनी वसूली करनी है, यह भी बताना होगा। संभवत: यह रिपोर्ट आने के बाद ही सरकार नियुक्तियां करेगी। यह भी संकेत है कि सीएम कमजोर वित्तीय स्थिति वाले या केवल स्थापना व्यय बढ़ाने वाले निगमों के गठन की अनुमति ही न दें।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने मुख्य सचिव को निगम, मंडलों की रिपोर्ट देने के निर्देश दिए थे। इसमें अंतर्गत मुख्यमंत्री कार्यालय ने निगम, मंडलों में वर्तमान में पदस्थ कर्मचारियों की संख्या, नियमित, दैनिक वेतनभोगी कर्मचारियों की संख्या के अलावा भविष्य में होने वाली नियुक्तियों के बारे में जानकारी मांगी है। इसके अलावा जो महत्वपूर्ण बात है, वह आर्थिक स्थिति को लेकर है। मुख्यमंत्री ने सभी निगम, मंडलों के नाम पर जमीन, भवन, बैंकों में जमा राशि, शुल्क या कर बकाया और वसूली की जाने वाली राशि की जानकारी मांगी है।
मुख्यमंत्री के निर्देश के बाद सामान्य प्रशासन विभाग ने सभी विभागों को ये जानकारी सर्वोच्च प्राथमिकता के साथ उपलब्ध कराने के निर्देश दिए हैं।बता दें कि निगम, मंडल व आयोगों में नियुक्तियों की सुगबुगाहट शुरू हो गई है। इससे पहले सरकार इनकी आर्थिक स्थिति के बारे में जानकारी जुटा रही है। संभवत: उपयोगिता के आधार पर निगम-मंडलों में नियुक्तियां की जाएंगी या विभाग में मर्ज किया जा सकता है। राज्य में निगम, मंडल, आयोग व प्राधिकरण मिलाकर 62 सरकारी इकाइयां हैं, जो अलग-अलग विभागों के अधीन काम कर रही हैं।
इन ईकाइयों में महिला आयोग, बाल आयोग, अनुसूचित जाति-जनजाति आयोग या सूचना आयोग भी हैं, जिनमें कानूनी तौर पर गठन किया गया है। इसके विपरीत बड़ी संख्या में ऐसे निगम व मंडल हैं, जहां राजनीतिक नियुक्तियां की जाती रही हैं। कई निगम-मंडल कमाई के उद्देश्य से बनाए गए थे, लेकिन वे भी सरकार के अनुदान पर चल रहे हैं। इस तरह हर साल 200 करोड़ रुपए खर्च हो रहे थे।
राज्य पर 11000 करोड़ का वित्तीय बोझ :किसानों की कर्जमाफी, 2500 रुपए समर्थन मूल्य देने के लिए सरकार ने कर्ज लिया था। इस तरह सरकार पर 11000 करोड़ का वित्तीय बोझ है। यही वजह है कि सरकार उन योजनाओं पर फोकस कर रही है, जिससे लोगों का सीधा फायदा जुड़ा है। निगम, मंडल व आयोगों के कारण सरकार का बोझ बढ़ रहा है, जबकि फायदा नहीं मिल रहा है।
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