अनोखे तरीके से ठगी के मामले में पुलिस ने दिल्ली से किया चार आरोपियों को गिरफ्तार,सरगना सहित तीन फरार

भिलाई। दुर्ग पुलिस ने बैंक मैनेजर से ठगी करने वाले अंतरराज्यीय गिरोह का पर्दाफाश एसएसपी बी एन मीणा ने पुलिस कंट्रोल रूम सेक्टर 6 में पत्रकारों के सामने किया। जिले में पहली बार नये तरीके से वारदात देने वाले मामले को दुर्ग रेंज के आईजी ओ पी पाल ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए जल्द से जल्द आरोपियेां को पकड्ने के निर्देश एसएसपी दुर्ग को दिये थे।
गत दिवस दुर्ग के एसबीआई बैंक मैनेजर से दुर्ग का बड़ा कारोबारी बनकर पहले झांसे में लेकर अपने एकाउंट में 18 लाख रूपये ट्रांस्फर करवाकर धोखाधड़ी करने वाले गिरोह के चार आरोपियों विकास ढ़ीगरा (39 साल) निवासी विकासपुरी जालंधर, पंजाब, पुनित गौतम (25 साल) निवासी इन्द्रा कॉम्पलेक्स नहरपार जिला फरीदाबाद, हरियाणा,मुन्ना साव (30 साल) बैडेल जिला हुगली थाना मोगरा, पश्चिम बंगाल,पवन मांझी (26 साल) बड़रिया जिला सिवान, बिहार को आज दिल्ली और उसके आस पास से गिरफ्तार कर दुर्ग ले आई। इस गिरोह का मुख्य सरगना फरीदाबाद हरियाणा निवासी विनय यादव सहित तीन लोग फरार है। पुलिस उनकी भी पतासाजी कर रही है उक्त बातें दुर्ग जिला के एसएसपी बी एन मीणा ने एएसपी शहर संजय ध्रुव एवं दुर्ग सीएसपी, मोहननगर थाना प्रभारी सहित अन्य पुलिस अधिकारियों की मौजूदगी में पुलिस कंट्रोल रूम में पत्रकारों से चर्चा के दौरान कही। एसएसपी श्री मीणा ने आगे बताया कि पुलिस ने पकड़ाये चारो आरोपियों के पास से 1.5 लाख रूपये नगद, 07 नग विभिन्न बैंको के एटीएम कार्ड और अलग-अलग बैंको के दस्तावेज जब्त किया है।
एसएसपी श्री मीणा ने बताया कि गत 24 जनवरी को भारतीय स्टेट बैंक शाखा दुर्ग के बैंक मैनेजर को एक अंजान नंबर से फोन आया। फोन करने वाले ने खुद को शहर के वेंकटेश मोटर्स का मालिक कैलाश मध्यानी बताया। उसने बैंक मैनेजर से कहा कि उसे एक बड़े अमाउंट की एफडी कराना है और एक बैंक खाते में 18 लाख रुपए आरटीजीएस करना है। फिर उसने ये कहा कि अभी वह किसी काम में व्यस्त है। इसलिए नहीं आ पाएगा। वो अपना खाता नंबर और चेक मेल कर रहा है। उसमें पैसे ट्रांसफर कर दें। थोड़ी देर में बैंक आकर वह चेक जमा कर देगा। यही बात सुनकर मैनेजर उसके झांसे में आ गया।
बैंक मैनेजर को कैलाश मध्यानी ने जो खाता नंबर बताया था उसने उस नंबर पर 18 लाख 24 हजार 780 रुपए ट्रांसफर कर दिया। थोड़ी देर बाद फिर उसी अंजान नंबर से फोन आया और कहा कि मुझे कुछ और फंड दूसरे अकाउंट में ट्रांसफर करना है। इस पर बैंक मैनेजर को शक हुआ तो उसने कैलाश मध्यानी को फोन किया। जब कैलाश मध्यानी ने बताया कि उसे न तो कोई एफडी करानी है और न ही उसने किसी को रुपए ट्रांसफर करने को बोला है। इसके बाद बैंक मैनेजर को ठगी का अहसास हुआ है। उन्होंने थाना मोहन नगर में मामले की शिकायत दर्ज कराई। शिकायत के बाद पुलिस ने मामले को जांच में लिया और 20 दिन बाद आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है।
एटीएम से रुपए निकालते ही पुलिस पहुंची फरीदाबाद
जिन दो बैंक अकाउंट मैनेजर ने रुपए ट्रैंसफर किए थे। उसमें से एक इन्डसइंड बैंक में खाता था और परमजीत कौर के नाम पर था। वहीं दूसरा खाता आईसीआईसीआई बैंक में कांता रानी के नाम पर था। दोनों बैंक अकाउंट में कुल 18 लाख 24 हजार 780 रुपए ऑनलाइन ट्रांसफर किया गया था। पुलिस ने उन खातों का स्टेटमेंट एवं केवाईसी लिया । उसमें पता चला कि उन अकाउंट से दूसरे बैंक खातों में तकरीबन 14 लाख रूपए ऑनलाइन ट्रांसफर किया गया है। वहीं 4 लाख रुपए हरियाणा के फरीदाबाद के अलग-अलग एटीएम से निकाले गए हैं। इस पर पुलिस की एक टीम फरीदाबाद पहुंची और मामले की पड़ताल में जुट गई।
अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग नाम के मिले खाते
पुलिस ने जब जांच किया तो पाया कि ठगी के बाद रकम ट्रांसफर के लिये उपयोग किये गये खाते जालंधर पंजाब, दिल्ली, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में अलग-अलग नाम से कुछ समय पहले ही खोले गए हैं। इन्होंने कई राज्यों में इसी तरह की और भी धोखाधड़ी की है और इन्हीं खातों में लाखों रुपए ट्रांसफर कराए और लाखों रुपए दिल्ली हरियाणा के अलग अलग स्थानों के एटीएम से निकाले भी गए हैं। इन खातों और मोबाइल नंबरों की जांच के आधार पर ही पुलिस जालंधर निवासी विकास ढिंगरा तक पहुंची और पूछताछ में उसने अपने साथियों करन कपूर, राजन कपूर व अन्य के साथ अपराध करना स्वीकार किया। इसके बाद पुलिस ने विकास की निशानदेही पर तीन अन्य आरोपियों तक पहुंची, वहीं तीन आरोपी फरार होने में कामयाब हो गए।
ऑटो डीलर्स और बड़े व्यापारियों को बनाते थे निशाना
आरोपी मुख्यरूप से ऑटो डीलर्स व बड़े व्यापारियों को अपना निशाना बनाते थे। वह पहले गूगल से उनके बारे जानकारी लेते थे। उनका नंबर सर्च करते थे। इसके बाद संबंधित व्यक्ति के यहां गाड़ी या अन्य सामान खरीदी करने के बहाने उनका अकाउंट नंबर और चेकबुक जैसे जिटेल हासिल करते थे। इसके बाद वह संबंधित बैंक के मेनेजर को फोन करके इतना डिटेल बताते थे कि उसे विश्वास हो जाए कि फोन करने वाले सही आदमी है। बड़े खाताधारक के दबाव और विश्वास में आकर बैंक मैनेजर भी उनके झांसे में आ जा रहे हैं।
इन्होंने कोरबा और रायगढ़ में भी इसी तरह के कॉल किए थे, लेकिन दुर्ग का मामला सामने आने के बाद बैंक मैनेजर अलर्ट हो गए और ठगी होने से बच गए। उन्होंने कहा कि संस्था का धन उनका अपना धन है और उसकी सुरक्षा की जिम्मेदारी भी उनकी है। इसीलिए वह साइबर ठगी से बचने के लिए अपने स्टॉफ को और ट्रेनिंग देने की व्यवस्था कर रहे हैं।
पुलिस के गिरफ्त में आये आरोपी
विकास ढ़ीगरा (39 साल) निवासी विकासपुरी जालंधर, पंजाब, पुनित गौतम (25 साल) निवासी इन्द्रा कॉम्पलेक्स नहरपार जिला फरीदाबाद, हरियाणा, . मुन्ना साव (30 साल) बैडेल जिला हुगली थाना मोगरा, पश्चिम बंगाल, पवन मांझी (26 साल) बड़रिया जिला सिवान, बिहार।
सरगना सहित फरार आरोपी
विनय यादव निवासी फरीदाबाद हरियाणा।
करन कपूर निवासी जालंधर, पंजाब।
राजन कपूर, निवासी जालंधर, पंजाब।