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स्कूल-कॉलेज जाने वाली मुस्लिम लड़कियों में लगातार हो रहा इजाफा: डेटा स्कूल-कॉलेज में होने वाली आय में प्रतिशतता:

नई दिल्ली. कर्नाटक से उठा हिजाब का विवाद (Karnataka Hijab Controversy) आजकल सुर्खियों में है. सवाल उठ रहे हैं कि हिजाब पहनकर स्कूल पहुंची लड़कियों को रोका जाना सही है या गलत. मामला अदालत की चौखट तक पहुंच गया है. लेकिन एक पहलू है, जिसकी तरफ भी ध्यान दिया जाना चाहिए. और ये पहलू है शिक्षा में मुस्लिम बच्चों (muslim education) की भागीदारी का. कई सरकारी सर्वे दिखाते हैं कि कर्नाटक ही नहीं, पूरे देश में पढ़ाई करने वाले मुस्लिम बच्चों की तादाद बढ़ी है.नैशनल सैंपल सर्वे (एनएनएस) के 64वें और 75वें राउंड के यूनिट लेवल डेटा के जरिए बताया है कि 2007-08 में उच्च शिक्षा में मुस्लिम लड़कियों की ग्रोस अटेंडेंस रेश्यो (gross attendance ratio -GAR) 6.7 प्रतिशत थी, जो 2017-18 में बढ़कर 13.5 हो गई. ये एनालिसस करने वाले इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ दलित स्टडीज के खालिद खान के मुताबिक, ये इजाफा कॉलेज जाने वाली 18 से 23 साल की मुस्लिम लड़कियों में हुआ है. बेशक यह मुस्लिम आबादी के अनुपात में कम है, लेकिन इसमें बढ़ोतरी साफ नजर आती है. अगर उच्च शिक्षा में हिंदू लड़कियों का अटेंडेंस रेश्यो देखें तो यह 2007-08 के 13.4 प्रतिशत से बढ़कर 2017-18 में 24.3 प्रतिशत हो गया. अगर कर्नाटक की बात करें तो वहां 2007-08 में मुस्लिम महिलाओं का हायर एजुकेशन में अटेंडेंस रेश्यो 2007-08 में महज 1.1 प्रतिशत था, जो 2017-18 में बढ़कर 15.8 फीसदी पहुंच गया.ये स्थिति सिर्फ कॉलेज जाने वाले मुस्लिम बच्चों की नहीं हैस्कूल लेवल पर भी फर्क साफ नजर आया है. प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा पर यूनिफाइड डिस्ट्रिक्ट इन्फॉर्मेशन सिस्टम फॉर एजुकेशन (UDISE) का नैशनल डेटा इसका गवाह है. इसके अनुसार, अपर प्राइमरी यानी 5वीं से 8वीं क्लास में दाखिला लेने वाली मुस्लिम

 

 लड़कियों का प्रतिशत 2015-16 में 13.30 प्रतिशत था, जो बढ़कर 14.54 हो गया. कर्नाटक को देखें तो यह आंकड़ा 15.16 प्रतिशत से 15.81 प्रतिशत हो गया.क्या हिजाब प्रकरण से मुस्लिम लड़कियों की शिक्षा में भागीदारी पर फर्क पड़ेगा? इस सवाल पर खालिद खान कहते हैं कि अगर हिजाब पहनकर आईं लड़कियों को कॉलेज में रोका गया तो ये उनकी तरक्की के आड़े आ सकता है. बहुत सी लड़कियां परिवार के दवाब में हिजाब पहनती हैं, ऐसे में इसकी इजाजत देने में क्या बुराई है. हालांकि योजना आयोग के पूर्व सचिव एनसी सक्सेना इसे अलग नजरिए से देखते हैं. वह कहते हैं कि मुस्लिम महिलाओं को हिजाब पहनने का नैतिक और कानूनी अधिकार है लेकिन स्कूल-कॉलेजों में इस पर जोर देने से भेदभाव को ही बढ़ावा मिलेगा. मुस्लिम बच्चों को बेहतर शिक्षा की तरफ लाने के लिए की गई मेहनत पर पानी फिर सकता है.

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