गत दिलों श्रृंखला साहित्य मंच पिथौरा द्वारा बसंतोत्सव के अवसर पर ग्राम टेका वनांचल में काव्य गोष्ठी आयोजित की गई।गत दिलों के आधार पर चलने वाले चैनल पर चलने वाले मंच पर चलने वाले वन पर चलने वाले गोष्ठी में शामिल हैं।
छत्तीसगढ़ महासमुंद
गत दिलों श्रृंखला साहित्य मंच पिथौरा द्वारा बसंतोत्सव के अवसर पर ग्राम टेका वनांचल में काव्य गोष्ठी आयोजित की गई। इस काव्य गोष्ठी में कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ रचनाकार स्वराज्य ‘करुण’ जी कर रहे थे। कार्यक्रम के संचालन का दायित्व प्रवीण ‘प्रवाह’ ने संभाला। इस अवसर पर वरिष्ठ कवि एस के डी डड़सेना ने सरस्वती वन्दना की।
युवा कवि निर्वेश दीक्षित ने अपनी उत्कृष्ट रचनाओं से गोष्टी का शुभारंभ किया। उनकी ये पंक्तियाँ काबिले तारीफ थीं:-
“कौन गोरा है , कौन काला है
पहचानो तुम,चुनाव आने वाला है”
कवियत्री गुरप्रीत कौर ने श्रृंखला के कवियों के व्यक्तित्व पर रचनाएँ सुनाई एवं व्यंग्य कविता से खूब वाहवाही लूटी:-
“पड़ते न थे पांव ज़मीं पर,
घुटनों पे चल के आया है।
नेता जी को रोग नहीं,
सब चुनाव की माया है’
वरिष्ठ कवि अनूप दीक्षित की कविताएँ बहुत प्रभावशाली थीं उनकी ग़ज़ल की इन पंक्तियों पर खूब वाहवाही मिली:-
“बेबसी के आलम में जी रहे जो लोग/ जिंदगी के दर्द-ए-ग़म को
पी रहे जो लोग/ उनके जीवन में खुशियां कब आएंगी/अच्छे दिनों की चाहत पाले जी रहे जो लोग//”
श्रृंखला के सुपरिचित हस्ताक्षर शिवा मोहन्ती ने अपनी रचनाओं से वर्तमान राजनीति पर अनेक चुटिले व्यंग्य किये। उनकी ये व्यंग्यात्मक पंक्तियाँ देखिए:-
धर्म नगरी में संकट निकट है इन दिनों
सारे अधर्मी सियासत के निकट है इन दिनों
जिनके माथे दर्ज ,दीवानी फौजदारी मामले
उनके नापाक हाथों में ,टिकट है इन दिनों”
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे सुप्रसिद्ध कवि स्वराज्य ‘करुण’ ने अपनी कविता के माध्यम से गोष्टी को नई ऊँचाई दी। उनकी ये पंक्तियाँ काबिले तारीफ थीं:-
“वह अपने ही गाँव ,देश में
परदेशी अनजान हो गया ,
आज वसंत भी अपने आंगन
अनचाहा मेहमान हो गया।’
कवि दिनेश दीक्षित की कविताएँ बहुत प्रभावशाली थीं, उनकी इन पंक्तियों पर खूब वाहवाही हुई:-
“हर युग की पहचान है नारी,
मातृभूमि की आन है नारी।
ईश्वर की हर अनुपम कृति में,
सदा गुणों की खान है नारी।”
कवि एस के नीरज ने हास्य व्यंग की रचनाओं से समा बांधा उनकी ये पंक्तियां देखिए:-
“जो अपने हाथ से खाना खिलाये
बेड पे जब पत्नी मोबाइल चलाये
उसके पाँव दबाने में न शरमाये
वही आज आदर्श पति कहलाये !”
छत्तीसगढ़ी हस्ताक्षर कवि बंटी छत्तीसगढ़िया ने बुजुर्गों की दुर्दशा पर बहुत भाव प्रवण कविता सुनाई। उनकी इन पंक्तियाों पर खूब सराहना मिली;-
“मरे ददा बर अरसा सोंहारी
जीयत ला पानी नोहर जी,
दाई ददा ला दुख जेन देवे
ओखरे निकलथे जौंहर जी।”
कवियत्री जीतेश्वरी साहू ने अपनी गंभीर कविताओं से गोष्टी को गरिमा प्रदान की। उनकी ये पंक्तियाँ देखिए:-
“आडंबरों के बड़े इलाकें पसरें देखो/
और मैं सादगी की झालर टांगे रखता हूँ /
हाँ! मैं विक्षिप्त हूँ /”
युवा कवि संजय गोयल ने अपनी क्षणिकाओं से अपनी प्रतिभा का परिचय दिया। उनकी ये पंक्तियाँ देखिए:-
“सच का इक्का हार गया
झूठ के जोकर से
हे भगवान सच की लाज बचा लो
बंद कर दो मेरी जुबान”
कार्यक्रम का संचालन कर रहे प्रवीण ‘प्रवाह’ ने वसंत के आगमन पर एक जबरदस्त ग़ज़ल सुनाई, जिसकी इन पंक्तियों पर खूब वाहवाही हुई:-
“आस नहीं प्यास लिए आगया वसंत
एक अविश्वास लिए आ गया वसंत।
दूर अभी भी विकास है रुका हुआ,
सिर्फ शिलान्यास लिए आगया वसंत
इनके अलावा कवियत्री श्रीमती सरोज साव, एवं उत्तरा सिन्हा ने भी अपनी रचनाओं का पाठ किया
कार्यक्रम के अंत में वरिष्ठ रचनाकार उमेश दीक्षित ने श्रृंखला के सदस्यों को बसंत उत्सव की बधाई दी और निरंतर उत्कृष्ट साहित्य की रचनाओं के लिए शुभकामनाएँ दी।
काव्य गोष्ठी के पश्चात स्वर कोकिला भारत रत्न लता मंगेशकर एवं छत्तीसगढ़ के सुप्रसिद्ध कवि दुर्ग निवासी श्री दानेश्वर शर्मा जी के निधन पर 2 मिनट का मौन रखकर श्रृंखला के सदस्यों ने श्रद्धांजलि अर्पित की।