देश दुनिया

क्या है जियोमैग्नेटिक तूफान, जिसने खत्म कर दी स्टारलिंक की 40 सैटेलाइट्स; जानें सबकुछ What is Geomagnetic Storm, which destroyed 40 of Starlink’s satellites; learn everything

नई दिल्ली. लॉन्चिंग के एक दिन बाद ही जियोमैग्नेटिक स्टॉर्म (Geomagnetic storm) में फंसी स्टारलिंक की 40 सैटेलाइट खो गई हैं. इस बात की जानकारी एलन मस्क की कंपनी स्पेस एक्स ने दी है. कंपनी ने गुरुवार को बताया कि फाल्कन 9 रॉकेट के जरिए 49 स्टारलिंक सैटेलाइट्स पृथ्वी के लो ऑर्बिट में भेजी गईं थी. खास बात है कि एक ही सौर घटना में इतनी बड़ी संख्या में सैटेलाइट के प्रभावित होने को ‘काफी बड़ा’ माना जा रहा है

इन सैटेलाइट्स को पृथ्वी के वायुमंडल में दोबारा प्रवेश कर जलने और अंतरिक्ष में मलबा नहीं बनाने के मकसद से तैयार किया गया था. कंपनी की तरफ से जारी बयान के अनुसार, इनमें से करीब 80 प्रतिशत सैटेलाइट्स शुक्रवार को आए जियोमैग्नेटिक तूफान से ‘काफी प्रभावित’ हुई हैं.

सौर तूफानों या लपटों के बारे में जानते हैं
सौर तूफान सौर सतह से तेजी से निकलने हुए मैग्नेटिक प्लाज्मा हैं. जब सूर्य के सनस्पॉट्स से जुड़ी मैग्नेटिक एनर्जी निकलती है, तो ये तूफान तैयार होते हैं और कुछ मिनटों से लेकर घंटों तक बने रह सकते हैं. सैटेलाइट्स को प्रभावित करने वाला सौर तूफान 1 और 2 फरवरी को आया और इसके शक्तिशाली निशान 3 फरवरी को भी देखे गए.

कोलकाता स्थित इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस एजुकेशन एंड रिसर्च (IISER) के सेंटर फॉर एक्सिलेंस इन स्पेस साइंसेज इंडिया (CESSI) के प्रमुख और भौतिक विज्ञानी दिब्येंदु नंदी कहते हैं कि यह तूफान असामान्य, काफी बड़ा और ऐसा था, जिसे हाल के समय में नहीं देखा गया.

 

 

सभी सौर लपटें पृथ्वी तक नहीं पहुंचती हैं. लेकिन करीब आने वाले सौर लपटें या तूफान, सोलर एनर्जेटिक पार्टिकल्स (SEPs), हई स्पीड सोलर विंड्स और कोरोनल मास इजेक्शन्स (CMEs) पृथ्वी के नजदीक अंतरिक्ष के मौसम और ऊपरी वायुमंडल को प्रभावित कर सकते हैं.

सौर तूफान जीपीएस, रेडियो और सैटेलाइट कम्युनिकेशन्स पर असर डाल सकते हैं. साथ ही जियोमैग्नेटिक तूफान हाई-फ्रीक्वेंसी रेडियो कम्युनिकेशन्स और जीपीएस नेविगेशन सिस्टम्स में हस्तक्षेप करते हैं. इसके अलावा विमान, पावर ग्रिड्स और स्पेस एक्सप्लोरेशन प्रोग्राम असुरक्षित होते हैं. लाखों मील प्रति घंटे की रफ्तार करने वाले पदार्थ से लदे इजेक्टाइल्स से के साथ CMEs मैग्नेटोस्पीयर में उथल-पुथल मचा सकते हैं. यह पृथ्वी के आसपास एक सुरक्षित शील्ड होती है.

कैसे लगाते हैं तूफानों का अनुमान
सौर भौतिक विज्ञानी और दूसरे वैज्ञानिक सौर तूफानों और सौर गतिविधियों का पूर्वानुमान लगाने के लिए कंप्युटर मॉडल्स का सहारा लेते हैं. 1-2 फरवरी को स्टारलिंक की सैटेलाइट्स को प्रभावित करने वाली घटना का पूर्वानुमान 29 जनवरी को लगाया गया था. रिपोर्ट के अनुसार, प्रोफेसर नंदी बताते हैं, ‘मौजूदा मॉडल्स तूफान के आने के समय और उसकी रफ्तार का पूर्वानुमान लगाने में सक्षम हैं, लेकिन तूफाने के आकार और झुकाव का अनुमान अभी भी नहीं लगाया जा सकता.’

Related Articles

Back to top button