छत्तीसगढ़

ट्रक चालकों के कारण मानसिक रोगियों का गढ़ बना बिलासपुर, ऐसे चल रहा गोरखधंधा

सबका संदेश न्यूज़ छत्तीसगढ़ बिलासपुर- छत्तीसगढ़ के न्यायधानी के रूप मे अपनी पहचान बनाने वाले बिलासपुर शहर और यहां रहने वाले इन दिनों एक अजीबो-गरीब समस्या से जूझ रहे हैं। दरअसल यहां देश के अलग-अलग हिस्सों से बेसहारा मानसिक रोगियों को गुपचुप तरीके से छोड़ने का गोरखधंधा चल रहा है।

इसमें सबसे बड़ी भूमिका अंतरराज्यीय परमिटधारी ट्रक चालकों की है। चंद रुपयों के लालच में ये मानसिक रोगियों को ट्रकों में बैठा लेते है और आधी रात बाद यहां छोड़कर अपने गंतव्‍य की ओर बढ़ जाते जाते हैं। बिलासपुर में राज्य का इकलौता मानसिक रोगियों का अस्पताल है। इसलिए ऐसे रोगियों से परेशान लोगों के लिए सुरक्षित आसरा बनते जा रहा है।

बेसहारा मानसिक रोगियों के प्रति लोगों का रवैया इतना अमानवीय हो चुका है कि वे इन रोगियों को अपने क्षेत्र से हटाने के लिए बेवजह दूसरे शहर भेजने से जरा भी हिचक नहीं रहे है। हो यह रहा है कि देश के अलग अलग हिस्सों से इन मानसिक रोगियों को ट्रक में बैठा कर बिलासपुर के लिए भेज जा रहा है। ट्रक चालक भी इन्हें लेकर बिलासपुर पहुंच रहे है और शहर के प्रवेश द्वार महाराणा प्रताप चौक में छोड़कर निकल जा रहे है।

इस वजह से लगातार शहर में बेसहारा घूमने वाले मानसिक रोगियों की संख्या बढ़ते ही जा रही है। ऐसा करने के पीछे ठोस वजह बिलासपुर में राज्य मानसिक चिकित्सा केंद्र का होना है। जहां पर मानसिक रोगियों को भर्ती कर उपचार किया जाता है। यह सुविधा राज्य के अन्य शहरों व समीपवर्ती राज्यों में नहीं है। ऐसे में लोगों का सोचना रहता है कि किसी न किसी तरह इन मानसिक रोगियों को बिलासपुर छोड़ दिया जाए।

 

इसके बाद कभी न कभी प्रशासन की नजर इन पर पड़ेगी और उनकी सूध लेते हुए उन्हें राज्य मानसिक चिकित्सा केंद्र सेंदरी में भर्ती करा देंगे। इसी वजह से आए दिन ट्रक चालक महाराणा प्रताप चौक में ऐसे लोगों को छोड़ने का काम करते है।

इस संबंध में महाराणा प्रताप चौक के व्यापारियों को कहना है कि अक्सर इस तरह के मामले देखने को मिलते है और हमेशा चौक में नए-नए मानसिक रोगियों को बेसहारा घूमते हुए देखते है, जो कुछ दिनों तक तो चौक के आसपास नजर आते है इसके बाद वे क्षेत्र को छोड़कर शहर के किसी अन्य क्षेत्र में चले जाते है। इसी वजह से शहर में बेसहारा घूमने वाले मानसिक रोगियों की संख्या बढ़ते ही जा रही है।

मानसिक चिकित्सा केंद्र में 120 मरीज दूसरे शहर के

राज्य मानसिक चिकित्सा केंद्र में 194 मानसिक रोगियों का उपचार किया जा रहा है। जिसमे से 120 मरीज अन्य प्रांत के है। इसमे से ज्यादातर मरीज बेसहारा है। जिन्हें संबंधित पुलिस थाना के प्रभारी के सहयोग से कोर्ट से अनुमति लेकर केंद्र में भर्ती कराया गया है।

शहरी क्षेत्र में बढ़ रही संख्या

मानसिक रोगियों को छोड़ने की वजह से शहरी क्षेत्र में इनकी संख्या बढ़ती जा रही है। शहरी क्षेत्र में यह हाईटेक बस स्टैंड, पुराना बस स्टैंड चौक, रेलवे स्टेशन, महाराणा प्रताप चौक के साथ अन्य मंदिरों व कुछ प्रमुख जगह में दिखने लगे है। जानकारी के मुताबिक शहरी क्षेत्र के 20 किलोमीटर के दायरे में 100 से ज्यादा मानसिक रोगी मौजूद हैं।

हाई कोर्ट के आदेश पर हो रहा संचालित

छाया नाम की एक मानसिक रोगी के साथ दुष्कर्म की घटना और उसके बाद बच्‍चे के जन्म को लेकर एक बड़ी घटना शहर में घटी थी। इस घटना के बाद एक स्वयंसेवी संस्था ने हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर कर मानसिक रोगियों के समुचित इलाज के लिए राज्य मानसिक चिकित्सालय के निर्माण की मांग की थी। हाई कोर्ट के निर्देश पर राज्य शासन द्वारा बिलासपुर में राज्य मानसिक चिकित्सालय की स्थापना के साथ ही मानसिक रोगियों के इलाज की व्यवस्था की जा रही है। यह प्रदेश का इकलौता मानसिक चिकित्सालय है।

यह गंभीर बात है। वैसे भी 200 बेड के राज्य मानसिक केंद्र में 194 मरीज है। ऐसे में नए मरीजों को भर्ती करने में व्यवहारिक दिक्‍कतों का सामना करना पड़ता है। यदि ऐसा हो रहा है तो शासन के प्रक्रिया के अनुसार इनके भी उपचार की व्यवस्था बनाई जाएगी। – डॉ. बीआर नंदा, अस्पताल अधीक्षक, राज्य मानसिक चिकित्सा केंद्र, बिलासपुर

 

 

 

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