चरचा कालरी के कोयले की खदान में पसीना बहा कर चट्टानों से कोयला काट कर कालरी में काम करने वाला Worker in the coal mine of Charcha Kalri cutting coal from rocks by sweating
श्री कांत जायसवाल कोरिया
बैकुठपुर/की चरचा कालरी के कोयले की खदान में पसीना बहा कर चट्टानों से कोयला काट कर कालरी में काम करने वाला मजदूर और छग शासन के पूर्व कैबिनेट मंत्री कोई और नहीं बल्कि बैकुण्ठपुर के छोटे से गांव सरॅडी के ही भईयालाल राजवाडे है, जिनका आज
जन्मदिन है। चरचा कालरी के कोयले की खदान से हीरा निकल कर आया है यह बात भईयालाल राजवाडे पर सोलह आने खरी उतरती है। लेकिन इसमें सबसे बड़ी बात यह है कि इस हीरे को किसी और ने नही भईयालाल ने स्वयं तराशा है व इसे निखारने की महती भूमिका छग शासन के पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने निभायी हैं। उन्होने श्री राजवाड़े की काबिलियत को पहचान कर विधायक बनने के बाद पहली पारी में संसदीय सचिव राज्यमंत्री
का दर्जा व इसके बाद दूसरी पारी में केबिनेट मंत्री बना कर इस हीरे का सही आकार दे दिया। अत्यंत गरीबी व मजदूरों के बीच रहकर भईयालाल उनके सुख-दुख में खड़े रहते थे व उनके हितों के लिए आवाज उठाते रहे है। गरीबों की दुर्दशा व कालरी के मजदूरों का शोषण देख कर उनके मन में एक टीस सी उठती थी वह कहते थे कि मैं चाह कर भी उनके दुखों को पूरी तरह दूर नहीं कर पाता हूं। इसके बाद उन्होंने शोषित हो रहे लोगों के लिए कालरी की नौकरी से त्यागपत्र दे कर सरपंच का चुनाव लड़ा और वह चुनाव जीत गए। इसके बाद जनपद सदस्य, जनपद अध्यक्ष व जिला पंचायत सदस्य बनने के बाद उन्होंने फिर राजनीतिक जीवन में पीछे मुड़कर नहीं देखा। लोगों की मदद करना व सौम्य व्यवहार के लोगों से सहजता से मिलते रहने ने लालों के लाल भईयालाल को और लोकप्रिय बना दिया। जिसके बाद 2003 के छग विधानसभा चुनावों में डॉ. रमन सिंह ने जिला पंचायत सदस्य भईयालाल को बैकुण्ठपुर सीट से उतार दिया। जहां उनका मुकाबला उस समय के 5 बार विधायक, अपराजेय योद्वा व छग शासन में वित्तमंत्री रहे डॉ. रामचंद्र सिंह को कड़ी चुनौती। लेकिन तकरीबन 5200 मतों से उन्हें कोरिया के इस महापुरुष से पराजित होना पड़ा। इसके बाद श्री राजवाड़े 2008 व 2013 की विधानसभा में बैकुण्ठपुर से विधायक के रूप में निर्वाचित हुए। लेकिन लगातार तीसरी पारी खेलने से भैयालाल चूक गए और उन्हें कांग्रेस की अम्बिका सिंहदेव से लगभग 5 हजार मतों से पराजय मिली।
दूसरी बार विधायक बनने पर उन्हें संसदीय सचिव बनाया गया। इसके बाद से ही श्री राजवाड़े ने जिले के अलावा पूरे छग के कई हजारों लोगों का रायपुर के नामी-गिरामी चिकित्सायलयों में उपचार कराया। बड़ी से बड़ी बीमारी के मरीजों का उपचार श्री राजवाड़े ने कराया। जिसके पीछे कई लाख रुपए खर्च किए गए। यहीं नहीं जिन मरीजों को छग के बाहर बड़े शहरों में उपचार की आवश्यकता थी तो वह भी श्री राजवाड़े ने कमी नहीं होने दी। उनका रायपुर का बंगला हर समय सैकड़ों मरीजों से भरा पड़ा रहता था उनका बंगला कम वह मरीजों के लिए तो एक सरायखाना बन चुका था। लोगों के रहने, खाने की पूरी सुविधा के साथ चिकित्सालय आने-जाने हेतु वाहन, चिकित्सालय में श्री राजवाड़े का एक सहायक व मरीजों को पूरी दवा उपलब्ध करा कर उसे ट्रेन या बस द्वारा गंतव्य तक पहुंचाने की पूरी सुविधा मुहैया करायी गई थी। उनके कार्यकाल में रिकॉर्ड संजीवनी कोष से लोगो को उपचार का लाभ मिला।
कैबिनेदट मंत्री बनने के बाद भी लोगों की सेवा का यह जुनून और खुद को जनता का हरवाहा बताने वाले श्री राजवाड़े का रायपुर स्थित मंत्री बंगला भी मराजा की भीड़ से लबालब रहता है। कोरिया के ही नहीं वरन छग के विभिन्न विधानसभा क्षेत्रों के मरीज भी भईयालाल से उपचार के मामले में सहायता ले चुके हैं।
इस संबंध में भईयालाल राजवाड़े कहते थे यह सब आपकी इच्छा शक्ति पर निर्भर करता है कि आप सामने वाले की सहायता करना चाहते हो या नहीं। आज मेरे पास यदि साधन व सुविधा उपलब्ध है तो मैं लोगों की सहायता कर पा रहा हूँ और जब तक मेरे में सामर्थ्य रहेगा तब तक लोगों की मदद करूंगा। लोगों के हर दुख दर्द में खड़े रहने वाले श्री राजवाड़े के पास आम जनता के अलावा दूसरी राजनीतिक पार्टी के लोग भी मदद के लिए आते थे जो सार्वजनिक मंच से उनका विरोध करते थे लेकिन दलगत राजनीति को परे रख भैयालाल राजवाड़े ने उनकी भी भरपूर मदद की। आज उनके पास पद भले ही ना हो और पूर्व विधायक का तमगा लग चुका है बावजूद इसके अभी भी वह लोगों की यथासंभव मदद करते हैं। मिलनसार, जमीनी स्तर के नेता, निश्छल व बेबाक पूर्व कैबिनेट मंत्री भैयालाल राजवाड़े जन्मदिन की हार्दिक बधाई