अवैध निर्माण और निगम चुप्पी, मिलीभगत घूसखोरी नहीं तो और क्या
भिलाई / इन्दू आई टी से पहले रोड से लगाकर पांच दुकानों का निर्माण परदे की आड़ में चल रहा है, आपको बता दें ये अवैध निर्माण कार्य जब शुरू हुआ था तब निगम भवन अनुज्ञा शाखा ने अवैध निर्माणकर्ता को नोटिस देकर निर्माण को रोकने और निर्माण से सम्बंधित दस्तावेज प्रस्तुत करने का नोटिस जारी किया था, सूत्रों से मिली जानकारी अनुसार नोटिस मिलने के बाद निगम के जोंन 2 कार्यालय में टेबल के निचे से 5 लाख रूपये लिए गए और अवैध निर्माण की मौन स्वीकृति दे दी गई ! लेकिन रिश्वतखोरी की रकम जोन 02 के कुछ चुनिन्दा लोगो के बीच बंदरबाट हो गई ! अब इस बंदरबाट से कोई अछुता भी रह गया, जिसने बाहर किसी को इस बात की जानकारी दे दी ! अब इस बंदरबाट की खबर को पत्रकारों को भी हो गई !
जब पुरे मामले को पत्रकारों ने खंगाला तो जो जानकारी खुलकर सामने आई वो इस तरह थी, दरअसल अवैध निर्माणकर्ता के पास उस जमीन से जुड़े दस्तावेज नहीं है, उसकी जमीन अन्दर की तरफ है, सूत्र बताते है कि जिस जमीन निर्माण कार्य चल रहा है उसका भूस्वामी मर चूका है और अवैध निर्माणकर्ता के द्वारा उसकी जमीन को अपना बताकर आसपास के लोगो को भ्रमित कर अपनी जमीन बताकर निर्माण कर रहा है ! इसलिए वो भवन अनुज्ञा से बगैर अनुमति लिए अवैध निर्माण करवा रहा है ! जब इस मामले को लेकर निगम के जोन 02 के अधिकारीयों से जवाब तलब किया गया तो उनके द्वारा दिखावे की कार्यवाही करते हुए निर्माणकर्ता को दुबारा नोटिस जारी कर दिया गया ! जिसके बाद भी निर्माण कार्य चलता रहा, इसलिए हमने कहा दिखावे की कार्यवाही, अब इस मामले को लेकर जब भवन अनुज्ञा अधिकारी से जवाब तलब किया गया तो भवन अनुज्ञा शाखा ने निर्माणकर्ता को तीसरी बार नोटिस जारी करते हुए 10 दिन के भीतर निर्माण संबधी दस्तावेज जमा कराने और अवैध निर्माण को स्वंय से हटाये जाने की बात कही, जिसके बाद निर्माण कार्य बंद हो गया, लेकिन निगम के द्वारा किसी भी प्रकार की कार्यवाही नहीं की गई ! अब दो महीने बाद एक बार फिर अवैध निर्माण परदे की आड़ में शुरू कर दिया गया है !
अब इस अवैध निर्माण को लेकर जब जोन 02 से जानकारी ली जाती है तो उनका जवाब होता है कि भवन अनुज्ञा शाखा के द्वारा नोटिस दिया गया है, कार्यवाही उनके द्वारा की जानी है, वही जब भवन अनुज्ञा शाखा से जवाब तलब किया जाता है तो उनका कहना होता है की जोन 02 क्षेत्र का मामला है वहा से कार्यवाही की जायेगी ! अब बात पहले आप पहले आप में अटकी हुई है और धीरे धीरे अवैध निर्माण लगभग अपने आखिरी चरम पर है ! जिस प्रकार से इस मामले पर निगम ने चुप्पी साध ली है, उससे ये लगता है कि ये मामला सिर्फ 5 लाख ही नहीं बल्कि इससे कही ज्यादा का मामला है ,क्योकि वो रोड की और बेशकीमती जमीन है जिसकी कीमत आज के समय में करोड़ों में होनी चाहिए !