छत्तीसगढ़

शासन की इस योजना को मिल रही जनता की बेहतर प्रतिक्रिया, दवाइयों के एमआरपी पर 58 प्रतिशत तक की छूट This scheme of the government is getting better response from the public, up to 58 percent discount on MRP of medicines

शासन की इस योजना को मिल रही जनता की बेहतर प्रतिक्रिया, दवाइयों के एमआरपी पर 58 प्रतिशत तक की छूट

श्री कांत जायसवाल बैकुठपुर


कोरिया : बाज़र में मिलने वाली महंगी दवाइयों से मरीजों और उनके परिजनों को राहत दिलाने शासन द्वारा शुरू धन्वंतरि जेनरिक मेडिकल स्टोर योजना को जनता की बेहतर प्रतिक्रिया मिल रही है। नगरपालिका मनेन्द्रगढ़ में स्थापित मेडिकल स्टोर में डेढ़ महीने में ही 650 से भी ज्यादा लोगों ने जेनेरिक दवाइयां खरीदी है। संचालित मेडिकल दुकानों में सर्दी, ख़ासी, बुखार, ब्लड प्रेशर जैसी आम बीमारियों के साथ-साथ गंभीर बीमारियों की 251 जेनेरिक दवाएं, एंटीबायोटिक, सर्जिकल आइटम भी उपलब्ध है।मनेन्द्रगढ़ के अलावा नगर पालिक निगम चिरमिरी, नगर पालिका परिषद बैकुंठपुर और शिवपुर-चरचा में भी मेडिकल स्टोर संचालित है।

नगर पालिका निगम मनेन्द्रगढ़ में स्वामी विवेकानंद वार्ड में संचालित मेडिकल स्टोर में नवम्बर माह से अब तक 1 लाख 32 हजार 799 रुपए एमआरपी की दवाईयों पर 48 से 58 प्रतिशत तक की छूट मिली है, जिससे अब तक 676 हितग्राहियों को 75 हजार 374 की बचत के बाद जेनरिक दवाइयां मात्र 57 हजार 425 रुपए में प्राप्त हुई है।

मनेन्द्रगढ़ धन्वन्तरि मेडिकल स्टोर में आयी महिला बताती हैं कि बाजार में 300 रुपए एमआरपी की मिलने वाली दवा, इस स्टोर में मात्र 126 रुपए में मिल गयी। इसी तरह 77 रुपए एमआरपी की खांसी की सिरप मात्र 28 रुपए में मिल रही है, वहीं छोटे बच्चों के लिए उपयोगी ग्रिप वाटर पर 36 रुपए की छूट के बाद 21 रुपए पर ही मिल जा रही है।

क्या है जेनेरिक दवाइयां –

जेनरिक एवं ब्रॉडेड दवा का सॉल्ट समान – किसी एक बीमारी के ईलाज के सभी तरह के खोज और अनुसंधान के बाद एक केमिकल (सॉल्ट) तैयार किया जाता है जिसे आसानी से उपलब्ध करवाने के लिए दवा का रूप दे दिया जाता है। इस सॉल्ट को हर कंपनी अलग-अलग नामों से बेचती है, लेकिन इस सॉल्ट का जेनरिक नाम सॉल्ट के कम्पोजिशन और बीमारी का ध्यान रखते हुए एक विशेष समिति द्वारा नाम तय किया जाता है। किसी भी सॉल्ट का जेनरिक नाम पूरी दुनिया में एक ही रहता है। जेनरिक दवायें ब्रॉडेड दवाईयों से सस्ती होती हैं क्योंकि जेनरिक दवाईयों की कीमत तय करने के लिए सरकारी हस्तक्षेप होता है। इनका इस्तेमाल, असर सब ब्रांडेड दवाओं जैसा ही होता है।

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