बीएसएफ ने बस्तर के ग्रामीणों की हर प्रकार से मदद कर जीता विश्वास
भिलाई। नक्सल प्रभावित क्षेत्र के लोग बीएसएफ का सहारा पाकर आत्मनिर्भर बनने की दिशा में आगे बढ़ रहे है। सीमा सुरक्षा बल अपनी तैनाती के पश्चात अंदरूनी इलाके में कैम्प स्थापित कर धीरे-धीरे गांव वालों का भरोसा जीतने में कामयाब हुआ जिससे गांव वालों के दिल में सुरक्षा की भावना पैदा हुई है। आज जो युवा है अब सब कुछ समझ रहे है और उनका ध्यान नक्सलाईटों से संपर्क में नही बल्कि शिक्षा और रोजगार की ओर उनका ध्यान है।
बस्तर की जो जनता पहले पुलिस और बीएसएफ के जवान से डरते थे, पास नही आते थे लेकिन आज वे हमारे जवानों से डरते नही बल्कि जो समस्याएं है उसको बताते है, हमारी मदद भी करते है। यह सब हो सका है बीएसएफ द्वारा ग्रामीणों को हर प्रकार से की जा रही मदद और उनके विश्वास जीतने के कारण। ओवर ब्रिज, पुल, पुलिया, सड़क स्कूल के माध्यम से यहां के रहवासी जिला मुख्यालय से जुड़ गए हैं। अस्वस्थ व्यक्ति उचित इलाज के लिए अस्पताल तक पहुंच पा रहा है। यह कारनामा बीएसएफ द्वारा बस्तर में नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में ग्रामीणों की शिक्षा, स्वास्थ्य और आर्थिक रूप से मदद का कार्य करते हुए
कर दिखाया है। उक्त बातें आज एक पत्रकार वार्ता में सीमा सुरक्षा बल के प्रभारी महानिरीक्षक (स्पेशल ऑप्स) डीआईजी/पीएसओ समुंदर.सिह डबास सीमांत मुख्यालय भिलाई मे पत्रकारों से चर्चा करते हुए कही।.
डीआईजी पीएसओ समुंदर सिंह ने आगे कहा कि वर्ष 2009 में छत्तीसगढ़ में नक्सल समस्या के समाधान के लिए सीमा सुरक्षा बल को कांकेर जिला में तैनात किया गया। कांकेर के अति संवेदनशील बीहडो एवं दूरस्थ ग्रामीण तथा जंगली इलाके में सीमा सुरक्षा बल की टुकडियाँ कठिनाईयों से लड़ते हुए तैनात हुई, जिसके तहत सीमा सुरक्षा बल अपने कर्तव्य को सफलता पूर्वक अंजाम दे रहा हैं। समाज एवं प्रकृति के प्रति अपनी जिम्मेदारियों को भी ये बखूबी निभा रहे हैं
जिनमें 07 वृक्षारोपण प्रोग्राम वर्ष 2021 में कांकेर के दूरदराज फैले गांव में 40 सिविक एक्शन प्रोग्राम एवं 24 चिकित्सा शिविर के तहत गरीबों एवं स्कूली बच्चो को कुल 5252670.44 रूपये की जरूरत की चीजे मुहैया कराया एवं कुल 656607.66 मुफ्त चिकित्सा सुविधाएँ प्रदान कराया, बेरोजगार युवाओं को स्किल डेवलपमेन्ट प्रोग्राम के तहत रोजगार प्रशिक्षण देना, ट्राइबल यूथ प्रोग्राम के तहत आदिवासी बच्चों को भारत भ्रमण में ले जाना और प्रदेश की संस्कृति को देश के समक्ष रखना इत्यादि है।
छत्तीसगढ़ राज्य को नक्सल मुक्त बनाने में बल के जवान अपनी जान की बाजी लगा रहे हैं. यहां से नक्सल को खत्म करने नक्सलियों से जमकर लोहा लेते हुए अब तक 09 नक्सलियों को मारने के साथ ही 102 हार्डकोर नक्सलियों को आत्मसमर्पण कराकर देश की मुख्यधारा में जोडऩे में अहम भूमिका निभाई है। हालांकि इसमें बीएसएफ के 24 जवारन शहीद तक हो गये,उसके बावजूद भी बीएसएफ ने अपने मिशन को आगे बढाते हुए 1082 नक्सलियों को गिरफ्तारी किया और 537 अधिक आईईडी (जिन्दा बम्ब) की बरामदगी कर सुरक्षा बलों एवं आम जनता को भारी नुकसान होने से भी बचाया है।
सीमा सुरक्षा बल बीहड़ों में कैम्प स्थापित कर ग्रामीणों का विश्वास जीतने में लगी हुई है. कांकेर जिले में सीमा सुरक्षा बल बीएसएफ ने तैनाती के मात्र 9 वर्षों में ही इस नक्सल प्रभावित क्षेत्र के रहवासियों को मुख्य धारा में जोड़ पाने में सफल रहा है। विकास को नई ऊंचाइयों तक पहुंचा पाने में बीएसएफ सफल रहा है। इस सुदूर नक्सल प्रभावित क्षेत्र के बच्चे अब स्कूलों में जाने लगे हैं। इंटरनेट से जुड़ कर आज दुनिया को जान रहे हैं। आज यहां के युवा बस्तर से बाहर जा रहे है और शिक्षा प्राप्त कर वहां के रहन सहन और विचार देखकर वे स्वयं अपने यहां की तुलना करते हुए अपने रहन सहन को विचार को बदल कर शिक्षा रोजगार के अलावा अपने और अपने परिवार को विकासपरख बना रहे है।
उन्होंने आगे बताया कि 18 जनवरी 2013 को बल मुख्यालय के निर्देशानुसार सीमांत मुख्यालय महानिरीक्षक (स्पेशल ऑप्स) छत्तीसगढ़ के रूप में गठन किया गया और 07 फरवरी 2013 को प्रभावी रूप से कार्य करना प्रारंभ कर दिया गया जिसका टेक हेडक्वाटर भिलाई में है। वर्तमान में सीमांत मुख्यालय महानिरीक्षक (स्पेशल ऑप्स) छत्तीसगढ़ के अंतर्गत 02 क्षेत्रीय मुख्यालय भिलाई एवं दुर्ग और 08 वाहिनियों तैनात है।
रावघाट क्षेत्र के 22 गांव के लोगों के विकास और मदद के लिए बीएसपी से हुई चर्चा
श्री सिंह ने बताया कि रावघाट परियोजना के लिए भी रेलवे लाइन का कार्य तेजी से आगे बढ़ रहा है। फोर्स के साथ भिलाई इस्पात संयंत्र प्रबंधन की बैठक भी हो चुकी है। दोनों ही संस्थाएं क्षेत्र में शांति एवं विकास के लिए कार्य कर रहे हैं। बीएसपी प्रबंधन रावघाट क्षेत्र के 22 गांव के लिए करीब 50 लाख रुपए फोर्स को दे रहा है ताकि सीमा सुरक्षा बल इन गांव में विकास के कार्य कर सकें साथ ही ग्रामीणों की आवश्यकताओं की पूर्ति इस राशि के माध्यम से की जा सके। इस अवसर पर डीआईजी डॉ .भारती सेन,कमांडेंट प्रभाकर सिंह,कमांडेंट संजय सिंह, श्री सौरभ, पवन बंसल भी उपस्थित थे।
जवानों को आत्महत्या से बचाने के लिए शुरू किया गया एक सिस्टम
उन्होंने पत्रकारों के एक प्रश्र का जवाब देते हुए कहा कि ये सही है कि जवानों द्वारा कुछ सालों में आत्महत्या करने की प्रवृति बढी है। हमने इसके एनालिसिस किया है, जो जवान आत्महत्या करते है, वे अपने घरेलू समस्याओं के कारण करते है, पहले परिवार के साथ लोग रहते थे आज एका परिवार के कारण घरेलु परेशानिया बढती जा रही है। इसलिए जवानों के आत्महत्या को रोकने के लिए हमने एक सिस्टम शुरू किया है। हम बीच बीच में एक सैनिक सम्मेलन करवा रहे है, ताकि इसमें जवान अपनी जो भी समस्याएं है वे इस संबंध में ख्ुालकर बता सके। इसके अलावा अधिकारियों को यह निर्देशित किया गया है कि सप्ताह 15 दिन में एक दिन सैनिकों की समस्याएं सुने, यदि कोई सैनिक छुट्टी मांग तो उसकी छुट्टी भी स्वीकृत करें।