छत्तीसगढ़

किया इस तकनीक का उपयोग, बगैर चीरफाड़ पेट से निकाला तीन लीटर मवाद

सबका संदेश न्यूज़ छत्तीसगढ़ रायपुर- लिवर एब्सेस (फोड़ा) का इलाज डॉ. भीमराव आंबेडकर अस्पताल के रेडियोडायग्नोसिस और मेडिसीन विभाग के डॉक्टरों ने बगैर चीरफाड़ करने में सफलता हासिल की है। मरीज को बगैर बेहोश किए हुए सीधे लिवर में पिन होल तकनीक के जरिए नली ले जाकर तीन लीटर मवाद निकाला और मरीज को नई जिंदगी दी। लिवर का वजन 1.3 से 1.6 किलो होता है, उससे ज्यादा मवाद था। इसे रियल टाइम अल्ट्रासाउंड गाइडेड ट्रीटमेंट कहते हैं। अल्ट्रासाउंड मशीन के जरिए वास्तविक स्थिति का पता लगाने के साथ त्वरित उपचार करना है।

इलाज करने वाले डॉक्टर्स के मुताबिक बैकुंठपुर जिला कोरिया निवासी 52 साल के मरीज को पेट दर्द और तेज बुखार के साथ 16 जुलाई को आंबेडकर अस्पताल मेडिसीन विभाग में भर्ती करवाया गया था। डॉ. आरके पटेल ने सोनोग्राफी की सलाह दी। रेडियोडायग्नोसिस विभाग के इंटरवेंशन रेडियोलॉजिस्ट डॉ. विवेक पात्रे ने सोनोग्राफी के दौरान पाया कि लिवर के अंदर एब्सेस है। डॉ. पात्रे ने मरीज की गंभीर स्थिति को देखते हुए तत्काल मवाद निकालने का फैसला लिया। मरीज का परिवार कहता है कि हमें जीवन-दान मिला है।

क्या है लिवर एब्सेस-

मरीज के परिजनों को मामले की गंभीरता के बारे में बताया जाता है। हाई रिस्क कंसेट लिया जाता है। उसके बाद अल्ट्रासाउंड मशीन के जरिए फोड़े में निडिल डालते हुए वायर की सहायता से रास्ता बनाकर उसमें नली डालकर मवाद को बाहर निकाला जाता है। मवाद गाढ़ा था, इसलिए उसे पतला करने के लिए डॉ. विवेक पात्रे ने नई तकनीक का इस्तेमाल करते हुए उसमें दवा डालकर उसे पतला किया।

डॉ. पात्रे का कहना है कि ट्यूब की सहायता से बाहर नहीं निकलता। फोड़े से तीन लीटर मवाद निकला। इसके लिए मरीज को बेहोश करने की जरूरत नहीं पड़ी। केवल उसी स्थान को सुन्न किया गया, जहां से मवाद निकालना था। यह बिना चीड़फाड़ की तकनीक है।

आम व्यक्ति को इस बीमारी से बचने के लिए क्या करना चाहिए?

डॉ. आरके पटेल कहते हैं कि प्रारंभिक दौर में लिवर से संबंधित बीमारियों का कोई लक्षण नजर नहीं आता। अच्छा यह है कि हमें 30-40 साल की उम्र में जरूर लिवर फंक्शन टेस्ट या सोनोग्राफी करवानी चाहिए। इससे पेट दर्द, कब्ज या लूज मोशन और वोमिटिंग, हल्का बुखार, भोजन में अरुचि, थकान और बेचैनी, वजन का घटना लिवर से संबंधित बीमारी का पता चल सकता है। अगर कोई बीमारी पता चलती है तो तुंरत ही विशेषज्ञ की सलाह लें।

मशीनों का इस्तेमाल जांच के साथ इलाज में भी-

एडवांस रेडियोडायग्नोसिस उपकरणों जैसे- एक्स रे, सोनोग्राफी तथा सीटी स्कैन जैसी मशीन का इस्तेमाल न सिर्फ जांच, बल्कि उपचार में भी किया जा रहा है। इनकी सहायता से जोड़ों, मांसपेशियों, किडनी, पथरी व पित्ताशय की पथरी, ट्यूमर और सिस्ट बीमारी का उपचार तथा जांच के लिए उत्तकों के नमूने लेने की सुविधा भी उपलब्ध है – डॉ. एसबीएस नेताम, विभागाध्यक्ष, रेडियोडायग्नोसिस, डॉ. आंबेडकर अस्पताल

 

 

 

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