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दुर्ग निगम आयुक्त हरेश मंडावी की कार्यशैली पर क्षेत्र की जनता लगा रही निष्क्रियता की मोहर

दुर्ग । दुर्ग जिला प्रदेश के वीवीआईपी जिलों की श्रेणी में आता है जिसके चलते जिले के अधिकारियों की कार्यशैली पूरे प्रदेश भर की नजर बनी रहती है बात की जाए दुर्ग जिला कलेक्टर की तो कलेक्टर डॉ सर्वेश्वर नरेंद्र भूरे का जब स्थानांतरण दुर्ग में हुआ था तब कोरोना अपनी चरम सीमा पर था और सुविधाओं का अभाव था डॉक्टर नरेंद्र भूरे ने आते ही सर्वप्रथम स्वास्थ्य सुविधाओं को बढ़ाने पर विशेष रूप से जोर दिया एवं निजी अस्पतालों पर लगाम कसते हुए आगे बढ़ाते रहें प्रदेश के सबसे हॉटस्पॉट जिले के रूप में दुर्ग जिले की पहचान बनी हुई थी लेकिन कलेक्टर नरेंद्र भूरे की सक्रियता और अथक प्रयास से जिले में कोरोना काबू में आ गया l प्रदेश सरकार की योजनाओं को सुचारू रूप से क्रियान्वित करने के लिए कलेक्टर भूरे द्वारा लगातार क्षेत्र में दौरा कार्यक्रम कर मुख्यमंत्री की गोठान योजना, मोहल्ला क्लीनिक मोबाइल वाहन के लिए को धान खरीदी केंद्रों का निरीक्षण हो धान उठाव की प्रक्रिया हो गोधन न्याय योजना हो जेनेरिक दवाओं का विक्रय संबंधी मामला हो जिला अस्पताल में ऑक्सीजन प्लांट का मामला हो चंदूलाल चंद्राकार में स्वास्थ सुविधाओं की बढ़ोतरी की बात हो सुपेला सरकारी अस्पताल में सुविधाओं की बढ़ोतरी भिलाई में जल समस्या जवाहरलाल नेहरू हॉस्पिटल में कोरोना काल में इलाज संबंधी मामला जैसे कई मामलों में डॉक्टर नरेंद्र भूरे की सक्रियता के कारण कार्य व्यवस्थित और सुचारू रूप से आगे बढ़ने लगा । वहीं अगर भिलाई नगर पालिक निगम के आयुक्त प्रकाश सर्वे की बात करें तो प्रकाश सर्वे ने भिलाई निगम में पदभार संभालते ही सक्रियता से सभी प्रशासनिक कार्यों को सुचारू रूप से चलाने हेतु सुबह से लेकर रात तक दौरा करते रहे एवं वस्तु स्थिती का निरीक्षण स्वयं करते हुए नजर आए, रिसाली निगम क्षेत्र में भी आयुक्त कृष्णा देवांगन द्वारा लगातार शासन की योजनाओं को क्रियान्वित किया जाने लगा साथ ही क्षेत्र का दौरा कर इस स्थिति का निरीक्षण किया जाने लगा किंतु अगर बात करें तो दुर्ग नगर निगम में पदस्थ निगमायुक्त हरेश मंडावी के पद संभालने के बाद साल भर से ज्यादा समय होने के बाद भी शहर की स्थिति दिन पर दिन बदहाल ही होती जा रही है, जल व्यवस्था की तरफ देखें यह सड़क में गड्ढों की तरफ देखें अमृत मिशन कार्य योजना की तरफ देखें सफाई व्यवस्था की तरफ देखें अतिक्रमण की तरफ देखें निर्माण कार्य की तरफ देखें विकास कार्यों की बात करें अधिकारियों के भ्रष्टाचार पर लगाम की बात करें सभी मामलों में निगमायुक्त की निष्क्रियता जग जाहिर है निगमायुक्त ने पदभार संभालने के बाद साल भर से ज्यादा का समय बीत जाने के बाद भी घंटों मीटिंग में ही व्यस्त रहते हैं, वही भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने में भी निगम आयुक्त पीछे ही नजर आ रहे हैं, दुर्गेश गुप्ता थान सिंह यादव ,राजेश पांडे ,मोहन पुरी गोस्वामी ,व्हीपी मिश्रा जैसे अधिकारियों पर भ्रष्टाचार के आरोप प्रमाण सहित लगने के बाद भी इन पर कार्यवाही में लेटलतीफी निगमायुक्त हरेश मंडावी की कार्यप्रणाली पर पश्न चिन्ह अंकित कर रही है वहीं शहरी सरकार को अपनी मंशा के अनुरूप चलाने वाले विधायक वह भी लगातार इन अधिकारियों की और निगम प्रशासन की निष्क्रियता पर सवाल उठाते रहे हैं साथ ही लगातार इनकी शिकायत उच्च स्तर पर कर रहे हैं बावजूद इसके भी निगम प्रशासन और मुखिया की कार्य पद्धति जस की तस है क्या यह दुर्ग शहर का दुर्भाग्य है कि दुर्ग शहर को आज एक निष्क्रिय निगमायुक्त मिला हुआ है । जिसके कारण आज शहर की स्थिति बदहाल जैसी दिखाई दे रही है।

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