दुर्ग में चल रहा अजीबोगरीब सड़क निर्माण, जिम्मेदारों ने साधी चुप्पी
दुर्ग / अंजोरा से लेकर नेहरु नगर तक बनने वाले नेशनल हाइवे रोड निर्माण के कार्य में लगभग 2 साल लग चुके है लेकिन यह काम अभी भी कछुए की चाल चलता दिखाई दे रहा है, वही रोड निर्माण में ठेरों पैबंद नजर आ रहा है, जिसमे सर्वप्रथम मालवीय नगर चौक से लेकर जिला उद्योग केंद्र कार्यालय तक आवागमन को लेकर इस आधे किलोमीटर में पिछले एक साल से रोड को वनवे बनाकर रखा गया जिसको लेकर जहा राहगीरों को अच्छी खासी परिशानी का सामना करना पड़ रहा है तो वही राहगीरों को आये दिन दुर्घटना का शिकार भी होना पड़ रहा है ,लेकिन इसके बावजूद वहा से रोज गुजरने वाले निर्माण कार्य से संबधित अधिकारीयों व जनप्रतिनिधियों को इस अव्यवस्थित निर्माण कार्य को देख ठेकेदार से जवाब तलब करने की फुरसत तक नहीं है, कई बार ऐसा देखा गया है कि निर्माणाधीन कंपनी द्वारा काम तो बड़े पुख्ता दावे के साथ ले लिया जाता है और सम्बंधित ठेकेदार अपने सुपरवाईजर के मातहत काम को छोड़कर अन्यत्र जगह में नए टेंडर की जद्दोजहद में लगे होते है जिसके कारण हाइवे रोड निर्माण में विलम्ब होना स्वाभाविक भी है वही हाइवे निर्माण कंपनी की देखरेख में लगे अधिकारीयों को भी अपने आकाओं को खुश करने के लिए मदमस्त नजर आते है, इसी का परिणाम है कि अंजोरा से लेकर नेहरु नगर चौक तक जिस प्रकार से निर्माण कार्य चल रहा है, उससे आम जनता को ऐसा प्रतीत हो रहा है, कि नेशनल हाइवे रोड में जगह जगह पैबंद लगाकर ठेकेदार व अधिकारी रोड की गुणवत्ता पर ही प्रश्न चिन्ह लगाकर अपनी पीठ अपने ही हाथों थपथपाने में पारंगत नजर आते है, जिसका प्रमाण निचे दिए गए मापदंडों से लगाया जा सकता है, यहाँ सड़क निर्माण के मानदंडों की जमकर धज्जियां उड़ाई जा रही है, रोड से लगी नाली की ओर अगर आप नजर करेंगे है तो आप साफ़ देख पाएंगे की नाली निर्माण में जिस प्रकार से छड़ों का इस्तेमाल किया जा रहा है वो कही 8 इंच की दुरी पर है तो कही 10 इंच की दुरी पर और जब आप सम्बंधित विभाग के जिम्मेदार अधिकारी से पूछेंगे की नाली में छड़ों को कितनी दुरी में बांधा जाना है, तो उनका जवाब मिलेगा की 150 मिलीमीटर की दुरी पर बांधा जाना है, इस बात पर थोडा गौर करेंगे की आपने तो विभाग से इंच में जवाब पूछा था लेकिन आपको सम्बंधित अधिकारी ने बतायेंगे मिलीमीटर में, अब इस बात को समझिये, अधिकारी जानता है की इंच तो आसानी से लोगो को समझ में आ जाता है लेकिन मिलीमीटर सबकी समझ में जल्दी नहीं आता, अब हम आपको इंच और मिलीमीटर का फर्क समझाते है, लगभग 25 मिलीमीटर का एक इंच होता है और 150 मिलीमीटर का लगभग 6 इंच होता है , अब क्योकि 6 इंच की दुरी में छड़ों को बांधा जाना था लेकिन कही 8 कही 10 तो कही 12 इंच की दुरी में छड़ों को बांधकर काम किया जा रहा है, अब सरल शब्दों में कहे तो लोहे की हेराफेरी हो रही है !
अब हम बात करेंगे लहरदार बलखाती नालियों की, आप देख पा रहे होंगे ये लहरदार नालियाँ ठेकेदार ने बना तो दी है, अब इन लहरदार नालियों की क्या कहानी है वो भी आपको बताते है, जब रोड सीधा है तो नाली कैसे टेढ़ी होगी, इस बात को जानने के लिए सबसे पहले हमने फोन पर सड़क निर्माण के उप अभियंता गगन जैन से संपर्क साधना चाहा लेकिन कई बार फोन करने के बाद भी उन्होंने हमेशा की तरह फोन उठाना जरुरी नहीं समझा, उसके बाद हमने सीनियर डिविजन अधिकारी ओंग्रे जी को फोन लगाया तो उन्होंने भी हमेशा की तरह फोन उठाकर बात करना उचित नहीं समझा, अब ये तो शासन ही जानता है कि आखिर शासन ने ऐसी कौन सी जिम्मेदारी इनके कन्धों पर डाल रखी है की वो इतने व्यस्त है ना तो वो अपने कार्यालय में मिलते है और ना ही फोन उठाना जरुरी समझते है ! चलिए आगे बढ़ते है अब नाली के लिए खुदाई करने वालों से हमारी मुलाकात हुई हमने पूछा की रोड सीधी है फिर नालियों को लहरदार और टेड़ीमेंड़ी क्यों बना रहे हो ! उसने पहले तो बताया की वहा एक पेड़ बीच में आ रहा था उसको काटने की अनुमति नहीं मिली इसलिए वहा नाली को टेढ़ा करना पड़ा, और बाकी जहा जहा बिजली के पोल है वहा वहा साइड से निकलना पड़ा जिसके चलते ये नाली लहरदार बनी है ! अब एक पेड़ को लेकर नाली को टेढ़ा कर दिया गया, जबकि शिवनाथ नदी से अंजोरा तक रोड चौडीकरण में हजारों पेड़ों की बेदर्दी से बलि पहले ही दी जा चुकी है, अगर इसी तरह से काम हो सकता था तो उन पेड़ों को भी बचाया जा सकता था,
यहाँ तो वन विभाग पर भी सवाल खड़े हो गए, अगर वहा भी वन विभाग ने पेड़ों को काटने की अनुमति नहीं दी होती तो ठेकेदार बिना पेड़ काटे भी रोड और नाली निर्माण कर देता ! जैसा की ठेकेदार के कर्मचारी ने कहा, कि बिजली के पोल के चलते नाली टेढ़ी कर दी गई, ऐसा देखा जाता है कि शासन के द्वारा जब किसी रोड का चौड़ीकरण किया जाता है तो बड़े बड़े मकान को गिरा दिया जाता है, तो क्या इतने महत्वपूर्ण रोड के निर्माण के बीच आने वाले बिजली के पोल हटाये जाने को लेकर तैयारी नहीं की गई थी या फिर निविदा में यह बात लिखी थी की जगह और मौके को देखकर ही ठेकेदार को निर्माण कार्य करना है ! और रोड निर्माण को लेकर बनाए गए एस्टीमेट के विपरीत भी ठेकेदार को काम करने की छुट होगी !
थोड़ी सी गुणवत्ता को लेकर भी बात कर ली जाए, अभी रोड का काम पूरा भी नहीं हुआ है और अभी से नालियों में जगह जगह दरार दिखाई देने लगा है, नालियों के उपर लगे टॉप का तो बुरा हाल है कही कही तो गिट्टियां चुने भी लगी है, अब इसको देखकर भी गुणवत्ता का अंदाज़ा नहीं लगाया जा सकता तो विभाग को निरिक्षण की नवटंकी बंद कर देनी चाहिए !
अब ये बड़ा सवाल राज्य शासन और जिला प्रशासन के लिए खड़ा है, कि क्या ऐसे ठेकेदारों की मनमानी पर सिर्फ इसलिए शासन प्रशासन आंख मूंद लेगी कि ठेकेदार सत्ताधारी पार्टी के विधायक का रिश्तेदार है, या फिर संबंधित विभाग के मंत्री का करीबी है ! और अगर नहीं ऐसी कोई बात नहीं है तो तत्काल उल्लेख किये गए बिन्दुओं के आधार पर जांच करते हुए ऐसे गुणवत्ताविहीन और मनमानी कार्य करने वाले ठेकेदार को तत्काल ब्लैक लिस्टेड कर रिकवरी की कार्यवाही की जानी चाहिए !