बजट स्पेशल: 2017 के बाद बजट में बदले गए नियम, जुड़े नए शब्द; जानिए इनके अर्थ Budget Special: After 2017 the rules changed in the budget, new words added; Know their meaning

नई दिल्ली. Budget 2022: बजट सरकार द्वारा सालभर का देश की आय और खर्च का लेखा-जोखा होता है. इसकी अवधि 1 अप्रैल से 31 मार्च तक तक होती है. इसलिए इसे लिखते समय बजट 2022-23 (दो साल एक साथ) लिखे जाते हैं. मुख्य तौर पर बजट के दो भाग होते हैं आय और व्यय. सरकार की सभी प्राप्तियों और राजस्व को आय कहा जाता है और सरकार के सभी खर्चों को व्यय कहा जाता है.
बजट में पहले सरकार के खर्च को दो वर्गों में बांटा जाता था. योजनागत खर्च (Plan expenditure) और गैर-योजनागत खर्च (Non-Plan expenditure), लेकिन साल 2017 में सरकार ने इस वर्गीकरण को खत्म कर दिया. वित्त मंत्रालय ने सरकारी योजनाओं पर एकसमान पैसा खर्च करने का फैसला किया. इसलिए, इस वर्गीकरण को पूरी तरह से खत्म कर दिया गया.
पहले बजट में ज्यादा जोर योजनागत खर्च (Planned expenditure) पर होता था और योजनाओं के रखरखाव और उसके सुचारू तरीके से चलाने के लिये इस्तेमाल होने वाले गैर-योजनागत खर्च की उपेक्षा होती थी. इस वजह से सरकार ने इसे खत्म कर इसका नाम कैपिटल स्पेंडिंग (Capital spending) और रेवेन्यू स्पेंडिग (Revenue Spending) कर दिया.योजनागत खर्च (Plan expenditure) क्या है?
एक्सपेंडिचर बजट में केंद्र सरकार की योजनाओं पर होने वाले खर्च के साथ केंद्र सरकार द्वारा राज्यों और केंद्रीय शासित प्रदेशों को अलॉट किए जाने वाले फंड का लेखा-जोखा होता है. बजट को तरह इसे भी राजस्व (Revenue) और पूंजी में बाटा जा सकता है. वहीं, प्लान एक्सपेंडिचर यानी योजनागत व्यय सरकार के कई मंत्रालयों और नीति आयोग द्वारा मिलकर बनाया जाता है. इसमें मोटे तौर पर वे सभी खर्च शामिल होते हैं, जो विभिन्न विभागों द्वारा चलाई जा रही योजनाओं पर किया जाता है. इसमें मंत्रालयों और विभागों को एक निश्चित राशि आवंटित की जाती है. यह सरकार द्वारा खर्च की जाने वाली राशि का सबसे बड़ा हिस्सा होता है.गैर-योजनागत खर्च (Non-Plan expenditure) क्या है?
गैर-योजनागत व्यय यानी Non-Plan expenditure के दो हिस्से होते हैं. गैर-योजनागत राजस्व व्यय (Non-Planned Revenue expenditure) और गैर योजनागत पूंजीगत व्यय (Non-Planned capital expenditure). गैर-योजनागत राजस्व व्यय में वो खर्च आते हैं जो सरकार द्वारा लिए गए लोन पर ब्याज देने, लोगों को सब्सिडी देने, सरकारी कर्मचारियों को सैलरी देने के साथ राज्य सरकारों को अनुदान, विदेशी सरकारों को दिए जाने वाले अनुदान आदि में खर्च किया जाता है. वहीं, गैर-योजनागत पूंजीगत व्यय में डिफेंस, पब्लिक इंटरप्राइजेज को दिया जाने वाला लोन, राज्यों, केंद्र शासित प्रदेशों और विदेशी सरकारों को दिया जाने वाला लोन शामिल होता है
.कैपिटल स्पेंडिंग और रेवेन्यू स्पेंडिंग
कैपिटल स्पेंडिंग (Capital Spending) यानी पूंजीगत व्यय सरकार द्वारा किया जाने वाला वह खर्च है, जो भविष्य के लिए लाभ का सृजन करता है. Capital Spending का इस्तेमाल संपत्तियां (Assets) या इक्विपमेंट (Equipment) आदि खरीदने के लिए किया जाता है. साथ ही विभिन्न इक्विपमेंट के अपग्रेडेशन के लिए भी इसका उपयोग होता है.
रेवेन्यू स्पेंडिंग क्या है
वहीं, सरकार के रेवेन्यू अकाउंट से खर्च होने वाली राशि को रेवेन्यू एक्सपेंडिचर (Revenue Spending) कहते हैं. इसमें सरकार के रोजमर्रा के खर्च शामिल होते हैं. जैसे कर्मचारियों की सैलरी, मंत्रालयों और विभागों का बिजली, पानी आदि का बिल, स्टेशनरी, कम्प्यूटर पर किया जाने वाला खर्च आदि. वहीं, किसी सरकार द्वारा व्यक्तियों या समूहों को नकदी या कर से छूट के रूप में दिया जाने वाला लाभ सब्सिडी कहलाता है.