भूपेश सरकार का भगवान ही मालिक है- सांसद विजय बघेल

राज्य सरकार शराब का ओपनिंग और क्लोंजिंग स्टॉक की दे जानकारी
भिलाई। छग सरकार का भगवान ही मालिक है। केन्द्र सरकार छूट नही निर्देश देती है,छत्तीसगढ राज्य में शराब बेचने का आदेश केन्द्र ने नही दिया है, ये राज्य सरकार को तय करना है कि किस किस चीजों में शिथिलता कर सकते है। राज्य सरकारे स्थिति परिस्थितियों को देखकर छूट देने का प्रावधान है। कांग्रेस ने चुनाव के समय जो अपना वादा किया था कि प्रदेश में पूर्ण शराब बंदी होगी, उसे निभाने में विफल है। उक्त बातें जिले के सांसद विजय बघेल ने हमारे प्रतिनिधि से चर्चा करते हुए कही। श्री बघेल ने आगे कहा कि राज्य सरकार के लोग गलत आरोप प्रत्यारोप लगाने से जरा भी नही चूक रहे है, अन्य राज्यों में छग के फंसे मजदूरों के ट्रेन से यहां लाने के सवाल पर विजय बघेल ने कांग्रेस को आड़े हाथों लेते हुए कि सोनिया गांधी जी का वह बयान कि मजदूरों से रेल का किराया लिया जा रहा है, उन्हें लाने ले जाने का किराया कांग्रेस उठायेगी पर तल्ख लहजे में कहा कि केन्द्र सरकार आम जनता के साथ साथ मजदूरों के हितों को लेकर बहुत सजग है, उन्होंने कहा कि मजदूरों को लाने और खाने पीने तक की व्यवस्था के लिए 85 प्रतिशत केन्द्र और 15 प्रतिशत राज्य को वहन करना है। उसके बावजूद भी भूपेश सरकार सिर्फ कागजों में ही लाखों मजदूरों को लाने की बात कह रही है, जो कि बहुत ही चिंता का विषय है कि छग के 22 टोली में मजदूर पूणे से पैदल लौट रहे हैं, अभी कुछ ही दिन पहले कोसानाला टोल प्लाजा के पास बलौदा बाजार के मजदूर पैदल जा रहे थे, इस दौरान हमारे पार्टी के कुछ लोगों की नजर पड़ी और पूछताछ की तो उन मजदूरों ने बताया कि वे पुणे से पैदल आ रहे है, और बलौदा बाजार जा रहे है, हमारे पार्टी के कार्यकर्ता ठाकुर रंजीत सिंह और उनकी टीम ने इस मामले से मुझे अवगत कराया तो मेरे द्वारा कलेक्टर दुर्ग से दूरभाष पर चर्चा कर इनके भोजन और बलौदा बाजार पहुंचाने की व्यवस्था की गई। छग सरकार के नियम कानूनों का दृश्य यदि देखना है तो राजनांदगांव जिले के बाग नदी बार्डर पर देखा जा सकता है, जो बाहर से आ रहे है, जिसके पास परमीशन भी है, उन्हें भी रोका जा रहा है, धंटो वहां इतंजार कराकर अधिकारी परेशान कर रहे हैं, ये किस तरह का नियम कानून ओैश शर्तें राज्य सरकार की है ये समझ से परे हैं। उन्होंने और दु:ख व्यक्त करते हुए कहा कि कोटा में पढने गये बच्चे बच्चियां जब वापस छग लोैटे तो उन्हें भूखे ही रखा गया जब कोटा के हास्टल से वो निकले तो हास्टल प्रबंधन ने ही उन्हें जो प्रबंधन दिया था, बस उतना ही खाकर घंटों की 9 सौ किलो मीटर दूरी तय कर यहां तक पहुंचे थे जबकि राज्य सरकार ने 70 से अधिक बसे भेजी थी, जिसमें बच्चों के खाने पीने और लाने ले जाने के लिए करोड़ों रूपये राज्य सरकार ने फूंके लेकिन बच्चे पहुंच जरूर लेकिन भूखे। श्री बघेल ने आश्चर्य करते हुए कहा कि मेरे द्वारा भी मुजफ्फरनगर जो 14 सौ किलोमीटर है वहां से कुछ लोगों को छग लाया गया उसका किराया 76 हजार रूपये आया लेकिन कोटा से बच्चे लाने के मामले में सरकार लाखों करोड़ों रूपये खर्च करने जैसी बात कह रही है, जो समझ से परे हैं।
उन्हेांने भूपेश सरकार को याद दिलाया कि जब 2017 में रमन सिंह की सरकार राज्य में थी तब पीसीसी अध्यक्ष एवं वर्तमान में मुख्यमंत्री भूपेश बधेल ने टवीट करके कहते थे कि रमन ब्रांड और उनके मंत्रियों के कई ब्रांड छग राज्य में बेखौफ बिक रहे है, अवैध शराब और कोचियागिरी चरमसीमा पर है राज्य में तो मैं उनसे पूछना चाहता हूं कि डेढ साल और खासतौर से इस लॉकडाउन में क्या भूपेश ब्रांड की दारू बिक रही है क्या? जगह जगह कांग्रेस कार्यकर्ता खुलेआम दारू बेंच रहे हैं, और यदि पुलिस पकड़ रही है तो उसे वह भाजपा का कार्यकर्ता बताने से जरा भी नही चूक रही है। कांग्रेस राज्य में दारू बेचने का काम भाजपा के कार्यकर्ता नही बल्कि कांग्रेस कार्यकर्ता दारू बेचने का काम बेखौफ कर रहे हैं।उन्होंने आगे कहा कि राज्य सरकार बताये कि 24 मार्च को जब लॉकडाउन हुआ आबकारी विभाग उस दिन का क्लोजिंग स्टॉक का विवरण देे वहीं दूसरी ओर 4 मई को जब खुला तो ओपनिंग स्टॉक कितना है, ये सरकार स्पष्ट है, आबकारी विभाग और सरकार के नुमांईदे सारे शराब के स्टॉक को नील बता रहे है, क्या ये संभव है? भूपेश अब दारू वाले कका बन गये है, उन्होनें यह भी कहा कि तात्कालिक सरकार को कोसने वाले पहले अपने गिरेबान में झांके। 40-45 दिन लोगों ने शराब नही पी थी लेकिन अपने व्यक्तिगत लाभ के लिए शराब की कोचिागिरी और शराब दुकानों को खोला जाना जनता के साथ सीधा खिलवाड़ हेै,जनता सब देख रही है और जान रही है।
सांई एसोसिएट फर्जी संस्था, करवाऊंगा जांच- सांसद
सेक्टर 9 हॉस्पिटल में ठेका श्रमिक जिनकी संख्या 90 से अधिक है, उनको काम से बैठाये जाने के मामले में उन्होनें स्पष्ट कहा कि सांई ऐसोसिएट संस्था फर्जी संस्था है, उसके सारे क्रिया कलापों की जांच मैं स्वयं कराऊंगा। वह श्रमिकों और प्रबंधन को गुमराह कर रही है, वहीं उन्होनें भिलाई प्रशिक्षु संघ के लोगों को सही बताया ओर उनके कार्यों को ईमानदारी पूर्वक करना बताया। सेक्अर 9 में भी बहुत सोर मामले को टेंडर नही हुआ है, उस पर जल्द टेंडर प्रक्रिया होगी। |