*अपने समय को अपने अनुकूल बनाएं – ज्योतिष*
मुफ्त में न पहले कुछ मिलता था, न अब मिलता है, और न ही आगे मिलेगा। इसलिए पुरुषार्थी बनें, तथा अपने समय को अपने अनुकूल बनाएं।
एक कहावत है, कि *”समय बड़ा बलवान।” इसका अर्थ लोग यह समझते हैं, कि, *”सब कुछ समय ही करता है। हमारे अधिकार में कुछ नहीं है। जब अच्छा समय आएगा, तभी हमारा कल्याण होगा। तभी हमारी सुख-समृद्धि बढ़ेगी। और जब तक हमारा अच्छा समय नहीं आएगा, अनुकूल समय नहीं आएगा, तब तक जैसे तैसे जीवन बिताना होगा।”इस कहावत का यह अर्थ ग़लत है। “ऐसी विचारधारा से व्यक्ति भाग्यवादी पुरुषार्थहीन आलसी और निष्क्रिय (निकम्मा) बनता है।”
इस कहावत का सही अर्थ यह है, कि *”सृष्टि के नियम के अनुसार जितना समय किसी कार्य को संपन्न करने में लगता है, उतना तो लगेगा ही। जैसे दाल पकानी हो, तो 10/15 मिनट तो लगेंगे ही। यदि कोई चाहे, कि “मैं 1 मिनट में दाल पका लूं,” तो नहीं पकेगी।”
इसी प्रकार से यह भी समझना चाहिए, कि यदि गेहूं का बीज बोया है, तो फसल पकने में लगभग 3/4 महीना तो लगेगा ही। 10 दिन में तो फसल तैयार नहीं होगी। यह है, “समय बड़ा बलवान” कहने का सही तात्पर्य।
परंतु इसका अर्थ यह नहीं है, कि 4 महीने में गेहूं की फसल अपने आप पक जाएगी। “चार महीना तो केवल समय लगेगा। इसके अतिरिक्त किसान को पुरुषार्थ भी करना होगा। खेत में बीज बोना, पानी डालना, हल चलाना और जंगली पशुओं से खेती की रक्षा करना इत्यादि, कर्म भी करने होंगे। तभी उसे फसल मिलेगी, तभी उसका समय अनुकूल आएगा।
इसी प्रकार से सभी क्षेत्रों में समझना चाहिए। चाहे पढ़ाई लिखाई कर के विद्वान बनना हो, चाहे बच्चे का विकास करना हो, चाहे और कोई काम करना हो। जिस काम में जितना समय लगता है, उतना समय तो लगेगा ही, और बहुत सा पुरुषार्थ भी करना होगा। ऐसा करने से हमारे अनुकूल समय आएगा, तब पुरुषार्थ का फल मिलेगा। उस फल की प्रतीक्षा करनी चाहिए।
कुछ लोग पुरुषार्थ करना नहीं चाहते, और मुफ्त में सब कुछ प्राप्त करना चाहते हैं। ऐसे कुछ नहीं मिलता। “यह उनकी भयंकर भ्रांति है। ऐसी भ्रांति से बाहर निकलें।
जो लोग आपको मुफ्त में देने की बात करते हैं, वे लोग धोखेबाज हैं। उनकेे बहकावे में आने से बचें।” ईश्वर न्यायकारी है। वह कर्मों के आधार पर सबको फल देता है। और यही नियम उसने सबको सिखाया है, कि “जो व्यक्ति पुरुषार्थ पूर्वक कर्म करे, उसी को फल दो, आलसी और दुष्ट व्यक्ति को नहीं। अतः पुरुषार्थ करें, और अपने समय को अनुकूल बनाकर सुखी होवें।”*ज्योतिष कुमार।*