क्यों कड़ाके की ठंड की छुट्टी कर देगी उत्तर भारत में हो रही बारिशWhy the rain in North India will leave the winter cold
वैसे तो कहा जाता है कि भारत में जब ठंड पड़ रही होती है तो उत्तर भारत में कम बारिश होती है. जनवरी और फरवरी के महीने शुष्क होते हैं, जिससे ठंड में तापमान और गिरने लगता है और गिरते तापमान के बीच जब पहाड़ी इलाकों पर स्नोफाल होता है तो पिघलती बर्फ के साथ शीतलहरी चलने लगती है. मौसम के रिकॉर्ड बताते हैं कि ठंड के दिनों में अगर बारिश होती भी है तो हल्की फुल्की बारिश नवंबर और दिसंबर में देखी जाती है. इस बार तो उल्टा हो रहा है. नए साल के आने के साथ ही बारिश शुरू हो गई है और ये रुकने वाली नहीं है.मौसम विभाग के अनुमानों और एक्सपर्ट्स की मानें तो जनवरी के आने के साथ ही उत्तर क्षेत्र में वेस्टर्न डिस्टर्बेंस के हालात एक के बाद एक पैदा होंगे. जो समूचे उत्तर भारत में ओलावृष्टि और बारिश कराएंगे. मौसम विज्ञानी ये भी कहते हैं कि जनवरी का दूसरा हफ्ता कहीं ज्यादा भारी बारिश के नाम रहेगा. ऐसे में इसका एक फायदा ये होगा कि शायद शीतलहरी नहीं चले. आइए जानते हैं कि फिलहाल उत्तर भारत और देश में मौसम कैसा है और अगले कुछ दिनों में कैसा रहेगा. इस मौसम में अगर बदलाव आया तो उसकी वजह क्या रहेगी.फिलहाल पूरे देश में मौसम कैसा है?
– अगर पूरे उत्तर भारत में बारिश हो रही है तो दक्षिण और पूर्वी भारत में शुष्क और अच्छा मौसम है. तापमान बेहतर है. उत्तर भारत में बारिश फिलहाल अभी अगले हफ्ते तक जारी रहेगी. इसके साथ ओला भी कहीं कहीं गिरेगा. अगर दिल्ली में तापमान 10-12 डिग्री सेल्शियस के बीच है तो श्रीनगर में 01 या -1 के आसपास. वहीं केरल और तमिलनाडु में तापमान 25 से 35 डिग्री सेल्शियस के बीच है. उत्तर भारत में बारिश के साथ तेज हवाएं भी चल रही हैं.उत्तर भारत में किन इलाकों में बारिश और ओला गिरने की खबरें हैं?
– हिमाचल प्रदेश, राजस्थान, पंजाब, हरियाणा, कश्मीर, लद्दाख, उत्तर प्रदेश और दिल्ली में मौसम बारिश वाला है. छिटपुट बारिश हो रही है. इन इलाकों में कहीं कहीं बर्फबारी भी हुई है.
ऐसा मौसम क्यों हो रहा है?
– मौसम के इस बदलाव की वजह पश्चिमी विक्षोभ है. जो उत्तर भारत में बना है. उसकी वजह से ही बारिश हो रही है. हालांकि उत्तर भारत में इस समय एक बाद एक कई विक्षोभ की स्थिति आ सकती है. उससे जनवरी के पहले पखवाड़े यानि दूसरे हफ्ते तक बादल छाए रहने, बारिश होने और ओलावृष्टि की स्थितियां बनेंगी. 06 जनवरी के बाद इन इलाकों के साथ गुजरात और विदर्भ में भी बारिश और कहीं कहीं भारी बारिश भी होगी. असर छत्तीसगढ़ और बिहार तक भी देखा जा सकता है.
क्या मौसम में ये बदलाव पहली बार इस तरह हो रहा है?
– हर बार ठंड के मौसम में हल्की फुल्की बारिश नवंबर और दिसंबर में होती आई है. आमतौर पर जनवरी और फरवरी के महीने में बारिश नहीं होती है लेकिन बर्फ गिरती है. जिससे तापमान गिरने लगता है. फिर तापमान गिरने के साथ ही शीतलहरी चलनी शुरू होती है.
क्यों इस मौसम को बेमौसम बारिश कहा जा रहा है?
– इस तरह के वेस्टर्न डिस्टर्बेंस एक के बाद एक जनवरी में नहीं देखे जाते, इसीलिए इससे होने वाली बारिश को बेमौसम बारिश कहा जा रहा है. ये 08 जनवरी के आगे भी जारी रहेगी. इसके साथ कई जगह बर्फबारी भी हो सकती है. अगर इन इलाकों में जाने का प्रोग्राम बना रहे हों तो ये मानकर रखें यहां करीब 15 जनवरी तक मौसम बादलों और बारिश का रह सकता है. हवाएं भी चलेंगी.इस बीच देश के अन्य इलाकों का मौसम कैसा होगा?
– श्रीलंका के पास भी एक विक्षोभ का क्षेत्र बन रहा है, जिसके चलते एक दो दिनों में केरल और तमिलनाडु में बारिश होगी. इसी वजह से चेन्नई में काफी तेज बारिश हो भी चुकी है. लेकिन ये लंबा नहीं रहेगा. बाकि हिस्सों में मौसम शुष्क और सामान्य तापमान वाला होगा.
क्या इस बारिश से तापमान गिरेगा?
– आमतौर पर रात में पृथ्वी अपनी एनर्जी रिलीज करती है, जिससे रात में तापमान गिरता है और उसका असर दिन में देखने को मिलता है. लेकिन अगर मौसम बादलों वाला होता है तो पृथ्वी की एनर्जी रिलीज नहीं हो पाती तब तापमान में गिरावट नहीं होती और जब तापमान नीचे नहीं जाएगा तो शीतलहर नहीं चलेगी.
क्या इस साल शीतलहरी चलने की उम्मीद है?
– मौजूदा मौसम को देखते हुए एक्सपर्ट्स को लगता है कि इस बार शीतलहरी नहीं चलेगी और लोगों को कड़ाके की ठंड से राहत मिलेगी.पश्चिमी विक्षोभ किसे कहते हैं?
– पश्चिमी विक्षोभ या वेस्टर्न डिस्टर्बन्स (Western Disturbance) भारतीय उपमहाद्वीप के उत्तरी इलाकों में सर्दियों के मौसम में आने वाले ऐसे तूफान को कहते हैं जो वायुमंडल की की ऊँची तहों में भूमध्य सागर, अंध महासागर और कुछ हद तक कैस्पियन सागर में नमी लाकर उसे अचानक बारिश और बर्फ के रूप में उत्तर भारत, पाकिस्तान और नेपाल पर गिराता है.इससे खेती – किसानी पर क्या असर होगा?
उत्तर भारत में रबी की फसल के लिए विशेषककर गेहूं के लिए ये तूफान फायदेमंद होते हैं. फसलों के लिए हल्की बारिश भी फायदेमंद साबित होगी. इससे सरसों, गेहूं व चने की फसलों को सहारा मिलेगा. उन क्षेत्रों में ज्यादा लाभ मिलेगा, जहां पर सिंचाई की सुविधा नहीं है. किसानों का मानना है कि दिनभर रुक-रुक कर हुई बरसात से गेहूं, जौ, सरसों व चना की फसल को फायदा होगा.