सूखे मेवों से भरपूर दाल और गाजर हलवे का लेना है मज़ा तो चर्च मिशन रोड पर ‘ज्ञानीज़ दी हट्टी’ पर आएं If you want to enjoy lentils and carrot halwa rich in dry fruits, then come to ‘Gianez Di Hatti’ on Church Mission Road
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हलवा और लड्डू भारतीय मिठाइयों के आधार स्तंभ हैं. ये ऐसे मीठे व्यंजन हैं जो हर किसी को अपनी ओर खींचते हैं, आज से कुछ साल पहले तक सूजी का हलवा ही पसंद किया जाता था, या यह मान लीजिए कि कोई विकल्प ही नहीं था, इसलिए लोगों को सूजी हलवा में ही मजा आता था. इसी तरह बूंदी के लड्डू ही सर्व-सुलभ हुआ करते थे, लेकिन अब खानपान में हो रहे लगातार बदलाव के चलते इन दोनों मीठे व्यंजनों में भी तब्दीली आई है. अब तो देसी घी में तरबतर मूंग की दाल का हलवा ओर खोये से भरपूर गाजर का हलवा लोगों को ज्यादा ही पसंद आ रहे हैं. दूसरी ओर लड्डू की भी बहुत वैरायटी बढ़ गई है और बाजार में करीब आधा दर्जन किस्म के लड्डू दिखने लगे हैं. चूंकि आजकल सर्दी का मौसम चल रहा है, इसलिए आज आपको हलवे का स्वाद चखवाते हैं. मेवे और खोये से भरे मूंग दाल और गाजर हलवा आपके मुंह में पानी ला देंगे. यह दिल्ली की बहुत पुरानी दुकान है और यहां सर्दियों में ही हलवा मिलता है
देसी घी की खुशबू उड़ाता हलवा है लाजवाब
चांदनी चौक से आगे चलकर फतेहपुरी जाएंगे तो वहीं पर चर्च मिशन रोड है. यह रोड आपको पुरानी दिल्ली रेलवे स्टेशन से भी जोड़ती है. इसी सड़क पर सालों पुरानी ‘ज्ञानीज़ दी हट्टी’ नाम की दुकान है. यह
दुकान रबड़ी फलूदा के लिए खासी मशहूर है, लेकिन उसका स्वाद आपको गर्मियों में चखवाया जाएगा. यहां आप पहुंचेंगे तो पाएंगे कि दुकान के बाहर भीड़ लगी हुई है. उसका कारण यह है कि आजकल इस दुकान पर मंद आंच में तपता देसी घी की खुशबू उड़ाता हलवा बेचा जा रहा है. काउंटर पर भीड़ लगी हुई है. लोग हलवा लेकर खा रहे हैं और पैक भी करवाकर ले जा रहे हैं. खाने की तो बात ही अलग है, यह हलवा देखने में भी खासा आकर्षक है.
हलवों पर सूखे मेवे की होती है खास सजावट
इस दुकान पर सर्दियों में दो तरह का हलवा बेचा जाता है. मूंग की दाल का हलवा और गाजर का हलवा. दोनों हलवे देसी घी में तर हैं और उनके अंदर और ऊपर मेवों (ड्राई फ्रूट्स) की इतनी भरमार है कि आपको
भ्रम होने लगेगा कि यह हलवा है या मेवों से भरा खजाना. शीशे के काउंटर के अंदर दोनों हलवे की दो बड़ी-बड़ी परात रखी हुई हैं. उनके नीचे मंद आग सुलग रही है, जिसके चलते तप रहे यह हलवे पूरी फिजां में
खुशबू उड़ा रहे हैं. किसी भी हलवे का 100 ग्राम का दोना लीजिए, हाथ में आते ही देसी घी की खुशबू नाक में सीधे दस्तक देगी. बादाम, पिस्ता, खोया आदि से भरपूर इस गरम हलवे को मुंह में डालिए, बस वाह-वाह निकलेगी.हलवे को मुंह में ही देर तक रखने का मन करेगा. फिर लगेगा कि अभी तो और हलवा है, आप तुरंत चम्मच भर हलवा मुंह में डाल लेंगे. चाहे गाजर का हलवा खाइए या मूंग की दाल का, जन्नत जैसा मजा देगा. दोनों की कीमत 700 रुपये किलो चल रही है. लोग खाते हैं और परिवार को खिलाने के लिए पैकिंग कर ले जाते हैं.
1951 से चल रही है दुकान
पुरानी दिल्ली में यह दुकान ज्ञानी कुल्फी-फलूदा के नाम से मशहूर है. लेकिन सर्दियों में बिकने वाला हलवा मन मोह लेता है. इस दुकान को चलाने वाले लोग पाकिस्तान के लायलपुर इलाके से आए हैं. वर्ष 1951 में ज्ञानी गुरचरण सिंह ने इस दुकान को शुरू किया. पहले-पहल उन्होंने रबड़ी फलूदा ही बेचा. बाद में सर्दियों में हलवा भी शुरू कर दिया.आजकल उनके दो बेटे परमजीत सिंह व अमरजीत सिंह अपने लाडलों के साथ दुकान की बागडोर संभाले हुए हैं. सुबह 10 बजे दुकान खुल जाती है और नियमानुसार रात को दुकान बढ़ा दी जाती है. अवकाश कोई नहीं है.