खनिज विभाग और मुरम माफियाओं की मिलीभगत से बने गये हैं अनगिनत कुंए, इसमें डूबर कर मौत के मुंह में समा रहे हैँ बच्चे
बारिश के दिनों में कहर बरपाती ही है बेतरतीब हुई खुदाई वाली मुरम की खदानें
भिलार्ई। जिले का खनिज महकमा खामोश रहा और शहर के आउटर इलाकों में मुरुम खदान के नाम पर मौत के अनगिनत कुंए बन गए हैं। मुरुम की बेतरतीब खदाने बारिश के दिनों में कहर बरपाती रही है। इंजीनियरिंग पार्क के पास रविवार को खदान के गहरे पानी में डूबने से हुई एक किशोर की मौत ने इस बात को साबित कर दिया है। प्राय: बारिश के हर मौसम में खदानों में होने वाली जानलेवा घटनाओं को रोकने की दिशा में कोई योजना बन नहीं सकी है।
औद्योगिक क्षेत्र हथखोज से लगे इंजीनियरिंग पार्क से लगे मुरुम खदान में डूबने से जोन-2 खुर्सीपार निवासी प्रवीण मिरकाम (14 वर्ष) की रविवार को मौत हो गई। प्रवीण फ्रेंडशिप डे पर अपने दोस्तों के साथ खदान के पास टिक-टॉक विडियो बनाने गया था। इसी दौरान नहाने का मन होने पर वह दोस्तों के साथ ही कपड़ा उतारकर खदान के पानी में उतर गया। मुरुम की खदान में डूबने से मौत का यह पहला मामला नहीं है, बल्कि हर साल बारिश के दिनों में ऐसी घटनाएं होती रही है। बावजूद इसके शासन-प्रशासन का ऐसी घटनाओं को रोकने की दिशा में गंभीरता नदारद है।
रविवार को इंजीनियरिंग पार्क के समीप जिस मुरुम की खदान में जानलेवा घटना पेश आई है, उसकी खुदाई नियम कायदों को ताक में रखकर की गई है। भिलाई-चरोदा नगर पलिका की तात्कलाीन अध्यक्ष श्रीमती सीता साहू ने अपने कार्यकाल के दौरान इस खदान में मुरुम के अवैध उत्खनन की शिकायतों पर आधी रात को छापामार शैली में दबिश देकर खनिज विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों को सूचना दी थी। इस दौरान मुरुम माफिया के साथ श्रीमती साहू और उनके साथ गए समर्थकों की झड़प भी हुई थी। लेकिन दुर्भाग्य की कुछ दिन की शांति के बाद मुरुम का खनन फिर से शुरु हो गया और देखते ही देखते खदान क्षेत्र मौत का कुंआ बन गया।
ऐसे मौत के कुंए भिलाई-दुर्ग शहर से लगे आउटर में एक नहीं बल्कि अनेक है। मुरुम माफिया ने जैसा मन किया वैसा खनन करते हुए खदानों को मौत का कुंआ बना डाला। इस दौरान खनिज विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों की भूमिका भी संदिग्ध बनी रही। खनन के वैध अवैध तरीके के आंकलन को लेकर विभागीय अधिकारियों की उदासीनता ने मुरुम माफिया को मनमानी करने की खुली छूट दे दी। इस वजह से खुदाई ऐसी कर दी गई कि किनारों पर 20 से 25 फीट की गहरी खाई बनने के साथ ही पार एकदम खड़ी होने गलती से भी पानी के अंदर जाने वाले शख्स की बाहर निकलने की कोशिश संभव नही हो पाती है।
पहले भी हुई है जानलेवा घटनाएं
मुरुम खदानों में पहले भी कई जानलेवा घटनाएं हो चुकी है। ऐसी घटनाओं में कभी लाने के लिए खदानों के किनारों को सुरक्षित बनाने की कोई योजना अब तक नहीं बनी है। खासकर किनारों में ढाल नहीं होने से पानी के अंदर प्रवेश करने के बाद गहराई में डूबने वालों को बचने के लिए कोई सहारा नहीं मिल पाता। ऐसी ही हालातों के चलते भिलाई-चरोदा निगम क्षेत्र के सिरसा रोड खदान, हथखोज तालाब और सुपेला क्षेत्र के कृष्णा नगर मुरुम खदान में जानलेवा दुर्घटनाएं हो चुकी है। इस तरह की घटनाओं पर लगाम लगाने खदानों के पार में ढाल बनाया जाना आवश्यक प्रतीत होता है।