जिला अस्पताल के डॉक्टर डराकर डिलीवरी केस को भेजा प्राईवेट नर्सिंग होम

डॉक्टरों की मनमानी के खिलाफ एनएसयूआई ने उठाई आवाज

दुर्ग। शासकीय जिला अस्पताल में पदस्थ डॉक्टरों व स्टॉफ की मनमानी पर रोक लगाने एनएसयूआई ने आवाज उठाई हैं। इस संबंध में सिविल सर्जन को ज्ञापन सौंपकर एनएसयूआई ने एैसे डॉक्टरों व स्टॉफ को चिन्हित कर कार्यवाही पर जोर दिया हैं। जिला एनएसयूआई के महासचिव सोनू साहू ने अपने सौंपे गए ज्ञापन में जिला अस्पताल की एक घटना का जिक्र करते हुए कहा है कि 21 दिसम्बर की शाम करीब 7 बजे हथखोज, खुर्सीपार बजरंग चौक पारा भिलाई निवासी निलेश्वरी साहू पति लखन साहू द्वारा ईलाज कराने के लिए जिला अस्पताल आए हुए थे। करीब 9 बजे के दौरान ड्यिूटी अधिकारी ने मरीज की स्थिति को देखते हुए उन्हें मेकाहारा रायपुर रिफर करने के लिए कहा। मरीज क परिजन ने डॉक्टर से सहयोग करने के लिए कहा। इस बीच डियूटी डॉक्टर द्वारा यह कहा गया कि डिलवरी में लेट होने की वजह से बच्चे की मौत भी हो सकती है। यह कहकर परिजन को डरा दिया और यह बोला गया कि आप लोग इसे जेवरा सिरसा खपरी स्थित निहार हॉस्पिटल में ले जाए। मैं बात करके अच्छे से इलाज करवा दूंगा। वहां के डॉक्टर से बात कर लेता हूँ। ऐसा कहकर उन्हें जिला चिकित्सालया दुर्ग से ले जाने को कहा और यह भी बोला गया कि हमारे हॉस्पिटल में सुविधा नहीं है। देरी किये बिना चले जाईऐ। तब परिजन से सलाह मशवरा कर उसी रात 10 बजे के करीब परिजन के लोगों ने मरीज को स्मार्ट कार्ड की सुविधा से ईलाज करने के लिए शंकरा जुनवानी हॉस्पिटल में एडमिट कराया। ईलाज पश्चात् डिलवरी हुई। जिसमें जच्चा बच्चा दोनों सकुशल है। उसी रात लगभग 1.30 बजे शासकीय हॉस्पिटल के ड्यूटी डॉक्टर द्वारा मरीज के पति के पास मोबाईल फोन पर बात कर डॉट-फटकार करने लगे कि मैं तुम लोगों को जिस हॉस्पिटल में भेजा था वहां न जाकर तुम लोग दुसरे हॉस्पिटल में ले गए। मेरे कहने पर उक्त अस्पताल में डिलवरी की तैयारी कर लिया गया था। उनकी बात सुनकर परिजनों को एैसा लगने लगा कि वह अपनी निजी स्वार्थ के चलते उक्त हॉस्पिटल में भेज रहे थे। श्री साहू ने सिविल सर्जन से आग्रह है कि उक्त घटना का संज्ञान में लेते हुए ड्यूटी डॉक्टर के विरूद्ध कार्यवाही करने की मांग की है ताकि भविष्य में इस प्रकार की घटना की पुनरावृत्ति न हो सके।




