*बोलते समय सावधानी रखें ज्योतिष कुमार*
“बोलते समय सावधानी रखें ज्योतिष कुमार ,विराम चिन्हों का स्थान बदल जाने पर, वाक्य के अर्थ बदल जाते हैं।”
प्रत्येक व्यक्ति के अपने-अपने विचार होते हैं। और वह अन्य लोगों के साथ अपने विचारों का आदान प्रदान भी करता रहता है। “अपने विचार होना कोई बुरी बात नहीं है। परंतु वे विचार सही हों, तो अधिक अच्छा है।” सही और गलत विचारों का निर्णय कैसे किया जाए? इस प्रश्न का उत्तर है, कि ईश्वर से। “ईश्वर सर्वज्ञ है। सर्वज्ञ होने के कारण, उसे किसी प्रकार की कोई भ्रांति या संशय कभी नहीं होता। इसलिए उसके विचार सदा सही होते हैं।” “मनुष्य अल्पज्ञ है। अल्पज्ञ होने से उसको अनेक अवसरों पर भ्रांति तथा संशय होते रहते हैं, जिसके कारण मनुष्य के विचारों में अनेक गलतियां हो सकती हैं। उन गलतियों को दूर करने के लिए, सत्य तक पहुंचने के लिए मनुष्य को ईश्वर के विचारों से अपने विचार मिलाकर देखना चाहिए।” “क्योंकि ईश्वर सर्वज्ञ है, इसलिए वह गलती नहीं करता। यदि मनुष्य के विचार भी ईश्वर के विचारों के साथ मेल खा जाएं, तो मनुष्य के विचार भी सत्य सिद्ध हो जाएंगे, और वह भी गलतियां नहीं करेगा।”
ईश्वर के विचार वेदों में उपलब्ध हैं। सृष्टि के आरंभ में ईश्वर ने 4 वेदों का ज्ञान दिया। अतः मनुष्यों को अपने विचारों को ठीक करने के लिए, सत्य को जानने समझने के लिए, वेदों का अध्ययन करना चाहिए। “वेद उच्च स्तर की कठिन पुस्तकें हैं। वे सीधी समझ में नहीं आती। इसलिए ऋषि लोगों ने जो वेदों के भाष्य किए हैं, उनको पढ़ना और समझना चाहिए। वहां से वेदों के सिद्धांत मनुष्य लोग समझ सकते हैं।”
इस प्रकार से ऋषियों के ग्रंथों से अपने विचारों को मिलाकर देखें। *”आपके जो जो विचार ऋषियों के विचारों के साथ मिल जाएंगे, उनके साथ समान होंगे, बस वे ही सत्य हैं।” “इसलिए यदि मनुष्य लोग पहले वेदों/ऋषियों के विचारों के साथ अपने विचारों को मिला कर सत्य और असत्य का निर्णय कर लेवें। फिर उसके बाद अपनी बात कहें, तो मनुष्य लोग कम से कम गलतियां करेंगे, या नहीं करेंगे।” उन्हें अपनी गलतियां समझ में आएंगी। और यदि वे चाहेंगे, तो उन गलतियों को दूर भी कर पाएंगे।
वेदों और ऋषियों के ग्रंथों का स्वाध्याय/ अध्ययन योग्य विद्वानों की सहायता से करना चाहिए। “फिर बोलते समय सावधानी से शब्दों का प्रयोग करना चाहिए। विराम चिह्नों का भी ध्यान रखना चाहिए। क्योंकि विराम चिह्नों का स्थान बदल जाने से, वाक्यों और शब्दों के अर्थ बदल जाते हैं। अर्थ का अनर्थ हो सकता है, जिसके कारण दुख, सुख में बदल सकता है। अथवा सुख, दुख में बदल सकता है। इसलिए सावधानी से बोलें।”
—– *ज्योतिष कुमार।*