बस्तर दशहरा शुरू; पहली बार दो बार हुई पूजा, पूर्व राजपरिवार नाराज

सबका संदेश न्यूज़ छत्तीसगढ़ जगदलपुर- हरियाली अमावस्या से शुरू होने वाले बस्तर दशहरा पर्व की पहली परंपरा पाट जात्रा पूजा विधान गुरुवार को संपन्न हुआ। हालांकि विश्व प्रसिद्ध बस्तर दशहरा की शुरूआत के साथ ही विवाद भी शुरू हो गया है। पहली बार ऐसा हुआ है कि दो बार पूजा का विधान किया गया। इसके चलते पूर्व राजपरिवार ने नाराजगी जताई और विधान को अनुचित बताया है।
पाट जात्रा पूजा का विधान दो बार कराया गया, पूर्व राजपरिवार ने सीएम से की शिकायत
- दरअसल, पूजा का समय सुबह 11 बजे का निर्धारित किया गया था। जबकि दशहरा समिति अध्यक्ष और सांसद दीपक बैज ने नारायणपुर जाने के चलते इसे सुबह 9.30 बजे शुरू करवा दिया गया। इस दौरान जहां पाट जात्रा पूजा विधान संपन्न हुआ, वहीं आखिर में बस्तर के पूर्व राजपरिवार की ओर से भिजवाए जाने वाले सामान पहुंचने से दोबारा रस्मों को पूरा किया गया।
- इधर समय से पहले पूजा विधान संपन्न करने पर पूर्व राजपरिवार के सदस्य कमलचंद्र भंजदेव ने नाराजगी जताई। उन्होंने बताया कि हर साल पूर्व राजपरिवार पूजा विधान के लिए सामान जोड़कर भेजता रहा है। इस साल भी तय समय तक इसे भेजने के लिए रखा गया था, लेकिन पहले पूजा विधान शुरू कर दिया गया। इसकी शिकायत भी उन्होंने सीएम भूपेश बघेल और कैबिनेट मंत्री टीएस सिंहदेव से की है।
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1966 से राज्य सरकार करा रही है बस्तर दशहरा का आयोजन
साल 1966 में तत्कालीन बस्तर महाराजा प्रवीरचंद्र भंजदेव की मृत्यु के बाद बस्तर दशहरा का आयोजन पूरी तरह से प्रशासन करता रहा। इसके बाद साल 2000 में छत्तीसगढ़ गठन के बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री अजित जोगी की पहल पर बस्तर दशहरा में बस्तर राजपरिवार को शामिल किया गया था।
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रथ निर्माण दल के मुखिया ने ठुरलू खोटला में कील ठोकी
बस्तर दशहरा की शुरूआत के दौरान हुई पूजा में परंपरा के अनुसार लाई-चना, अंडा, मोंगरी मछली और बकरा अर्पित किया गया। रथ निर्माण दल के मुखिया दलसाय ने पूजा विधान किया। इसके बाद ठुरलू खोटला में बारसी के साथ कील ठोककर पूजा विधान संपन्न किया। इस विधान के बाद रथ निर्माण शुरू हो जाएगा। हर साल 4 और 8 पहियों वाले रथ का निर्माण होता है। इस साल 4 पहियों वाले नए फूलरथ का निर्माण किया जाएगा।
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