देश दुनिया

कोरोना वैक्सीन: कैसे काम करती है बूस्टर डोज, डबल डोज लगवाने के बाद भी क्यों यह है जरूरी Corona Vaccine: How booster dose works, why it is important even after double dose

नई दिल्‍ली. देश-दुनिया में इस समय कोरोना वायरस (Coronavirus) का नया वेरिएंट ओमिक्रॉन (Omicron) तेजी से फैल रहा है. ओमिक्रॉन के कारण दुनिया के कई देशों में चिंता की स्थिति बन रही है. इस बीच पहले से उठ रही कोरोना वैक्‍सीन (Corona Vaccine) की बूस्‍टर डोज (Booster Dose) की मांग ओमिक्रॉन के बाद और तेज हो गई है. इस पर यूरोप समेत कई देशों में बात हो रही है. ओमिक्रॉन वेरिएंट से पहले भी यह साफ था कि कोरोना संक्रमण के खिलाफ सुरक्षा को बनाए रखने के लिए बूस्टर डोज की आवश्यकता होगी.

वैक्‍सीन शरीर को न्यूट्रलाइजिंग एंटीबॉडी बनाने के लिए प्रेरित करती हैं, जो वायरस को हमारी कोशिकाओं को संक्रमित करने से पहले कोरोना को रोकती हैं, लेकिन समय के साथ एंटीबॉडी का प्रसार कम हो सकता है. टीकाकरण करने वाले पहले देशों में से एक इजरायल के डेटा ने केवल तीन महीनों के बाद संक्रमण से सुरक्षा में कमी दिखाई. यह भी पता चला है कि इसके बाद के कुछ हफ्तों की तुलना में उनकी वैक्‍सीन की दूसरी डोज लगने के छह महीने बाद लोगों के संक्रमित होने की संभावना लगभग 15 गुना अधिक थी.यहां तक ​​​​कि अगर अधिकांश लोग गंभीर बीमारी से सुरक्षित रहते हैं, तो यह घटती इम्‍युनिटी एक महत्वपूर्ण सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्या बनती है. युवा आबादी जब वैक्‍सीन के बिना रहती है तो वे संवेदलशीन रहते हैं. ओमिक्रॉन ने बूस्टर की आवश्यकता को और अधिक जरूरी बना दिया है. कोरोना वायरस में म्‍यूटेशन का मतलब है कि इसका स्पाइक प्रोटीन अब मूल स्ट्रेन से काफी अलग दिखता है जिसे सभी मौजूदा टीकों को लक्षित करने के लिए डिजाइन किया गया था.बदले में इसका मतलब है कि पिछले संक्रमण से एंटीबॉडी और ओमिक्रॉन को रोकने में टीकाकरण कम कुशल होगा. चूंकि वे वायरस से कम सख्ती से चिपके रहते हैं, इसलिए उन्हें कम अच्छी तरह से मेल खाने के लिए क्षतिपूर्ति करने के लिए अधिक मात्रा में एंटीबॉडी की भी आवश्यकता होती है.अध्ययनों से पता चलता है कि कोरोना वैक्‍सीन की एक बूस्टर डोज एंटीबॉडी के स्तर को दो खुराक के बाद देखे गए स्तर से काफी अधिक बढ़ा देती है. इसका मतलब है कि यह कहा जा सकता है कि तीसरी डोज या बूस्‍टर डोज लगने के बाद इम्‍युनिटी कम होने की प्रक्रिया धीमी हो जाएगी. प्रारंभिक अध्ययनों से यह भी पता चलता है कि बूस्टर के बाद एंटीबॉडी की गुणवत्ता अधिक होती है. प्रतिरक्षा प्रणाली काम करना जारी रखती है. अध्ययनों से पता चलता है कि तीसरी खुराक के बाद एक व्यापक, अधिक शक्तिशाली प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया होती है.

Related Articles

Back to top button