Up योगी सरकार प्रदेश अस्पताल से सभी को डिजिटल हेल्थ मिशन के तहत ई-हॉस्पिटल में तब्दील ,,कोरोना को लेकर भी बनाये गए नए हॉस्पिटल

Up योगी सरकार प्रदेश के जिला अस्पताल से लेकर सीएचसी तक सभी को डिजिटल हेल्थ मिशन के तहत ई-हॉस्पिटल में तब्दील करने जा रही है
सरकारी और गैर सरकारी अस्पतालों में कुल चार हजार बेड आरक्षित किये गये हैं। कोरोना की दूसरी लहर के बाद से ही स्वास्थ्य विभाग अधिक सजग है। सीएमओ डा. मनोज अग्रवाल ने बताया कि विभिन्न मेडिकल कोलेजों, जिला अस्पतालों, सीएचसी, निजी अस्पतालों समेत 34 अस्पतालों में चार हजार बेड आरक्षित हैं। साथ ही आवश्यकता पड़ने पर बेडों की संख्या में इजाफा किया जा सकता है। इनमें केजीएमयू, पीजीआई, लोहिया संस्थान, लोकबंधु, राम सागर मिश्र समेत निजी अस्पताल शामिल हैं।
सभी अस्पतालों में आक्सीजन की आपूर्ति से लेकर जरूरी दवाओं के इंतजाम करने के निर्देश दिए गए हैं। इसके अलावा जांच से लेकर संक्रमितों की भर्ती तक की व्यवस्था के भी पुख्ता किया जा रहा है। सीएमओ ने बताया कि केजीएमयू, लोहिया, पीजीआई और बलरामपुर अस्पताल में कोविड-19 की जांचें हो रही हैं। इन प्रयोगशालाओं को पूरी क्षमता से जांच करने के लिए निर्देशित किया गया है। सरकारी और निजी चिकित्सालयों को मिलाकर लगभग 25 प्रयोगशालाओं में कोरोना जांच की सुविधा उपलब्ध है। सरकारी पैथोलाजी में जांच की नि:शुल्क सुविधा है। इसके अलावा केजीएमयू में जीनोम सीक्वेंसिंग की जांच होती है।
फोकस सैंपलिंग में हुईं दस हजार कोरोना जांचें, सभी निगेटिव: कोरोना के प्रति सतर्कता बरतते हुए स्वास्थ्य विभाग ने दिसंबर के पहले सप्ताह में फोकस सैंपलिंग की थी। इस दौरान लगभग दस हजार लोगों की कोरोना जांच की गई। विभिन्न समूहों में की गई जांच निगेटिव आने पर स्वास्थ्य विभाग ने राहत की सांस ली है। राजधानी में एक से छह दिसंबर तक फोकस्ड कोविड टेस्टिंग अभियान में 9598 सैंपल लिए गए। इनमें मेडिकल छात्र, उच्च शिक्षण संस्थान के कर्मचारी, शिक्षक, दवा विक्रेता, सरकारी और निजी अस्पतालों के नर्स और वार्ड ब्वायज, पैरा मेडिकल स्टाफ सहित सभी कर्मचारी शामिल रहे।
इन सभी की आरटी-पीसीआर विधि से जांच की गई। कोरोना जांच के नोडल अधिकारी डा. मिलिंद वर्धन ने बताया कि पहले तीन दिन तक अभियान ऐसे समूह पर केंद्रित था जिनमें लोग बाहर से आ सकते हैं जैसे सेंट्रल यूनिवर्सिटी, इंजीनियरिंग कालेजों के हास्टल और कालेज कैंपस में बाहर से लोग आदि। अन्य तीन दिन संक्रमित लोगों के संपर्क में आये व्यक्तियों जैसे मेडिकल स्टोर, अस्पताल, नर्सिंग होम के स्टाफ आदि को शामिल किया गया। इन सभी की जांच आरटी-पीसीआर विधि से की गई जिनमें सभी की रिपोर्ट निगेटिव आई है। डा. वर्धन के अनुसार, कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए हमने आगे भी विभिन्न जगहों पर रैंडम सैंपङ्क्षलग करते रहने का निर्णय लिया है।
👉प्रदेश के अस्पतालों के डिजिटाइजेशन से जहां मरीजों के इलाज-जांच की पूरी डिटेल ऑनलाइन उपलब्ध होगी, वहीं हेल्थकेयर सर्विस देने वाले संस्थानों तक मरीज की पहुंच भी आसान होगी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बीते दिनों डिजिटल हेल्थ मिशन की शुरुआत की थी। प्रदेश ने भी इस दिशा में पहले ही कवायद शुरू कर दी थी। इसे अमलीजामा पहनाने के लिए यूपी सरकार ने हेल्थ सिस्टम का डिजिटाइजेशन शुरू कर दिया है। सबसे पहले सरकारी अस्पतालों, मेडिकल कॉलेजों को केंद्र सरकार के एप ‘मेरा अस्पताल’ पर कनेक्ट किया जा रहा है। इस एप पर मरीज अपने नजदीकी अस्पताल को खोज सकेगा। स्वास्थ्य विभाग धीरे-धीरे इसका दायरा बढ़ाने की तैयारी में है।
31 अस्पताल ई-हॉस्पिटल सुविधा से लैस
चिकित्सा एवं स्वास्थ्य महानिदेशक डा. वेदव्रत सिंह ने बताया कि अभी 31 अस्पताल ई-हॉस्पिटल सुविधा से लैस हैं। जल्द ही सभी अस्पतालों व सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों (सीएचसी) को भी ई-हॉस्पिटल बनाया जाएगा। मरीज का पूरा ब्योरा जैसे उसको कौन सी बीमारी है और उसका कहां और क्या इलाज हुआ, यह सब ऑनलाइन मौजूद रहेगा। यूपी में स्वास्थ्य विभाग के अस्पतालों में 175 के करीब जिला व संयुक्त अस्पताल हैं। इसके अलावा 3604 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (पीएचसी) हैं। प्रदेश में 856 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) हैं।